डिलीवरी ऑफ़ बेबी इन हिंदी - Delivery Of A Baby In Hindi!
बच्चों के जन्म को ही हम अंग्रेजी में डिलिवरी ऑफ ए बेबी कहते हैं. गर्भावस्था के समाप्ति पर गर्भवती महिला एक नवजात शिशु को जन्म देती है. नवजात शिशु को जन्म देने की इस क्रिया को ही प्रसव या डिलिवरी ऑफ ए बेबी कहते हैं. आजकल के लाइफस्टाइल में कई कारणों से कभी-कभी गर्भवती महिला नॉर्मल डिलीवरी नहीं कर पाती हैं. प्रसव यानि डिलीवरी की यह क्रिया जब नॉर्मल नहीं होती है तो ऑपरेशन द्वारा गर्भ से भ्रूण को बाहर निकाला जाता है. इस प्रकार के डिलीवरी को सिजेरियन डिलीवरी कहते हैं. बेबी की डिलिवरी से जुड़ी विभिन्न बातों को जानना बेहद आवश्यक है.
कैसे सही तरीके से हो डिलिवरी ऑफ ए बेबी?
सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला को रिकवर होने में यानि पूर्व के सामान्य स्थिति में आने में काफी समय लगता है व उन्हें अपना खास ख्याल रखना पड़ता है. वहीं नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिला को रिकवर होने में ज्यादा समय नहीं लगता है. इस मायने में नॉर्मल डिलीवरी ही उचित है. पर प्रश्न उठता है कि किस प्रकार सिजेरियन डिलीवरी से बचा जाय और यह सुनिश्चित किया जाये कि प्रसव नॉर्मल डिलीवरी से ही हो? सिजेरियन डिलीवरी की आवश्यकता है या नहीं यह तो उस समय के स्थिति के आधार पर ही तय होता है पर पूर्व से कुछ बातों का ख्याल रखकर नॉर्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य माँ के स्वास्थ्य पर ही निर्भर करता है अतः गर्भावस्था के दौरान अपने रहन-सहन व स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि जन्म लेने वाले शिशु स्वस्थ हो. आइये यहाँ हम इन्हीं सब बातों की चर्चा करते हैं.
1. सक्रिय रहें
गर्भावस्था के दौरान यदि महिला सिर्फ आराम करती है व कोई काम नहीं करती है तो नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना कम हो जाती है. इसलिए गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से चुस्त रहना चाहिए व खुद को एक्टिव रखना चाहिए. चलना-फिरना चाहिए, इससे पेट में पल रहे बच्चा हलचल करता है व आराम भी मिलता है.
2. चिकित्सक से लगातार संपर्क बनाए रखें
जब गर्भावस्था का पता चले उसी समय तुरत डॉक्टर से संपर्क कर जाँच करानी चाहिए व गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से चिकित्सक के संपर्क में रहकर अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए. इससे नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है व डिलीवरी में तकलीफ भी कम होती है.
3. आवश्यक निर्देशों का पालन करें
जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य व उसका शारीरिक व मानसिक विकास उसके माँ के उस समय के स्वस्थ्य पर निर्भर करता है जब वह गर्भ में पल रहा था. अतः गर्भावस्था के दौरान यदि किसी भी प्रकार के रोग या बीमारी हो तो बिना देरी किए तुरत चिकित्सक से मिलकर उसका ईलाज करवाना चाहिए व चिकित्सक द्वारा दी गयी आवश्यक निर्देशों का पालन करना चाहिए.
4. खून की कमी से बचें
प्रसव पीड़ा के समय शरीर में खून की कमी नहीं रहनी चाहिए अतः नियमित रूप से अपना ब्लड टेस्ट करवाते रहना चाहिए व जरूरत पड़ने पर चिकित्सक के सलाह से उचित दवा लेना चाहिए व अपने खान-पान पर ध्यान देना चाहिए.
5. आवश्यक पोषक तत्वों से युक्त भोजन लें
चिकित्सक के निर्देश के अनुसार भोजन करना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान अपने डाइट में विटामिन, आयरन, कैल्शियम व प्रोटीन की मात्रा अधिक रखना चाहिए. साथ ही समय पर भोजन करना चाहिए. शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए.
6. तनाव मुक्ति है नॉर्मल डिलिवरी की कुंजी
गर्भवती महिला को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहिए. खुद को तनाव यानि टेंशन से दूर रखना चाहिए. रोज छः से आठ घंटा की नींद अवश्य लेनी चाहिए. चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स, फास्ट फूड, शराब, धूम्रपान, खैनी, तंबाकू व किसी भी तरह के नशा का सेवन नहीं करना चाहिए.
7. आराम और सक्रियता में सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक
गर्भवती महिला को आराम जरूरी है पर इसका मतलब यह नहीं कि वह पूर्ण आराम करे व कोई काम न करे. अपने रोज़मर्रा के जीवन का कार्य करना चाहिए व पैदल चलना व टहलना चाहिए.
8. व्यायाम के लिए विशेषज्ञों की राय आवश्यक है
गर्भावस्था के पहले से यदि व्यायाम किया जा रहा है तो नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है. गर्भावस्था के दौरान भी अपने को फिट रखने के लिए व मांसपेशी को मजबूत रखने के लिए उचित व्यायाम किया जाना चाहिए. पर ख्याल रखें कि वह व्यायाम नहीं किया जाना चाहिए जिसे गर्भावस्था में करने की मनाही हो, या जिससे गर्भ या भ्रूण को नुकसान हो. इसके लिए अपने चिकित्सक या एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए.
नोट: - इस प्रकार गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला यदि अपने रहन-सहन व खान-पान पर ध्यान दे तो प्रसव के दौरान उन्हें कष्ट भी कम होंगे व होने वाले बच्चे भी स्वस्थ होंगे.