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Last Updated: Jan 20, 2024
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बवासीर के मस्से का इलाज - Bawasir Ke Masse Ka Ilaj in Hindi

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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बवासीर का मस्सा एक बहुत ही दुख और तकलीफ देने वाला रोग होता है जिसमें अत्यधिक दर्द होने के कारण रोगी बहुत अधिक परेशान और दुखी हो जाता है. बवासीर के मस्से की बीमारी के दौरान गुदा के अंदर और गुदा के आसपास की जगह पर सूजन होती है. गुदा, बड़ी आंत के नलिका का अंतिम हिस्से को कहते हैं. आपको बता दें कि ये लगभग 4 सेमी लंबा होता है जो गुदा नलिका के निचले सिरे पर बाहर की ओर खुलता है. आपको बता दें कि इसी के माध्यम से मल निष्कासित होता है. मुख्य रूप से बवासीर 2 प्रकार की होती है - आंतरिक और बाहरी. आंतरिक बवासीर वो होती है जो गुदा नलिका के अंदर 2-3 सेंटीमीटर ऊपर होती है. आंतरिक बवासीर आम तौर पर पीड़ारहित होती है, क्योंकि ऊपरी गुदा नलिका में कोई दर्द तंत्रिका फाइबर नहीं होता है. आइए इस लेख के माध्यम से बवासीर के मस्से के इलाज (Bawasir Ke Masse Ka Ilaj in Hindi) पर प्रकाश डालें.

बवासीर के मस्से का इलाज के लिए बदलें अपना खानपान

अधिकांश स्थिति में, बिना किसी उपचार के ही बवासीर ठीक हो जाता है. बहुत सारे रोगियों ने यह देखा हैं कि उपचार कराने से बहुत हद तक दर्द और खुजली से राहत मिलता है. कब्ज़ के कारण मल त्याग करने में बहुत ज़ोर लगाना पड़ता है जिसकी वजह से बवासीर होता है. डाइट में बदलाव करने से मल नियमित और मुलायम हो सकता है. अपने खाने में ज़्यादा से ज़्यादा फाइबर, जैसे की फल और सब्जियां शामिल करना चाहिए और नाश्ते में अनाज की जगह चोकर शामिल करना चाहिए. इसके अलावा पानी सबसे उपयुक्त पेय पदार्थ है और रोगी को यह सलाह दी जाती है कि वह ज़्यादा से ज़्यादा पानी का सेवन करें. वह खाद्य पदार्थ जिनमें कैफीन अधिक होता है, उनका सेवन सिमित करें. अगर मरीज़ मोटापे से पीड़ित है तो, वज़न कम करने से बवासीर की तीव्रता को रोका जा सकता है. कुछ आसान चीज़ों को अपना कर आप खुद को बवासीर होने से बचा सकतें है, जैसे मल त्याग करने के दौरान अधिक जोर ना लगाएं, जुलाब से दूर रहें और एक्सरसाइज करें.

बवासीर के मस्से सुखाने की दवाइयां और उपाय - Bawasir ke Masse Sukhane ki Dawa

1. कुछ दवाइयों के इस्तेमाल से मलाशय के आस-पास होने वाली लालिमा और सूजन में आराम मिलता है. इसमें विच हेज़ल, हीड्रोकॉर्टिसोने जैसी सक्रिय सामग्री होती है जो खुजली और दर्द में राहत प्रदान करता है. in दवाइयों से पाइल्सठीक नहीं होता है केवल लक्षण ठीक किये जातें हैं. इन्हे सात दिन तक लगातार इस्तेमाल करने के बाद, इस्तेमाल न करें - ज़्यादा समय तक इस्तेमाल करने से मलाशय में परेशानी और उसके आस-पास की त्वचा पतली हो सकती है. डॉक्टर से परामर्श लिए बिना दो या दो से ज़्यादा दवाइयों का एक साथ इस्तेमाल न करें.

2. कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स: - यह जलन और दर्द को कम करने में मदद करता है.

3. दर्द निवारक दवाइयां: - पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाइयों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

4. बैंडिंग: - डॉक्टर मलाशय के अंदर, पाइल्स के आस-पास इलास्टिक बैंड लगा देंगे, जिससे ब्लड की आपूर्ति रुक जाएगी और कुछ दिन बाद बवासीर झड़ कर निकल जाएगा. यह इलाज बवासीर की ग्रेड 2 और 3 के लिए काम करेगा.

बवासीर के मस्से के इलाज के लिए सर्जरी 

1. स्क्लेरोथेरपी: - इसमें एक दवा दी जाती है जिससे पाइल्स सिकुड़ जाता है और फिर सूख जाता है. यह बवासीर के ग्रेड 2 और 3 में प्रभाव दिखाता है, यह बैंडिंग का विकल्प है.

2. इंफ्रारेड कोएगुलशन: - इसे इंफ्रारेड लाइट कोएगुलशन भी कहतें हैं. इसका इस्तेमाल बवासीर की ग्रेड 1 और 2 में किया जाता है. यह एक तरह का यन्त्र है जिससे बवासीर के मस्सों की जमावट को रोशनी द्वारा जला दिया जाता है.

3. जेनेरल सर्जरी: - इसे बड़ी बवासीर में इस्तेमाल किया जाता है या ग्रेड 3 या 4 की बवासीर में इस्तेमाल किया जाता है. अधिकतर सर्जरी तब की जाती है जब दूसरी प्रकिरियाओ से आराम नहीं पड़ता. कभी-कभी सर्जरी आउटपेशेंट प्रक्रिया की तरह की जाती है, यानी जिसमें मरीज़ सर्जरी की प्रक्रिया पूरी होने पर घर जा सकता है.

4. हेमोर्रोइडेक्टमी: - बहुत सारे ऊतक जिनकी वजह से खून आ रहा है उसे सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है. इसे बहुत सारे तरीकों से किया जाता है. इसमें स्थानीय एनेस्थेटिक, बेहोश करने की प्रक्रिया, रीढ़ की हड्डी में दिया जाने वाला एनेस्थेटिक और सामान्य अनेस्थेटिक का मेल इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तरह की सर्जरी बवासीर को जड़ से मिटाने में कारगर है, लेकिन इसमें जटिलताएं पैदा होने का जोखिम है, जैसे की मल निकलने में दिक्कत और मूत्र पथ में संक्रमण.

5. हेमोर्रोइड को बांधना: - बवासीर की ऊतक की तरफ हो रहे खून के बहाव को रोक दिया जाता है. यह प्रक्रिया हेमोर्रोइडेक्टमी से कम दर्दनाक होती है. लेकिन बवासीर के फिर से होने का और मलाशय के आगे बढ़ना का जोखिम बढ़ जाता है.

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