आंखों की बीमारी - Aankhon Ki Bimari!
हमारे शरीर में वैसे तो सभी अंगों का अपना महत्व है लेकिन आँखें विशेष रुप से महत्वपूर्ण हैं. क्योंकि आँखों के माध्यम से ही हम इस दुनिया को देख पाते हैं. जिंदगी के रंग आँखों से ही महसूस कर सकते हैं. लेकिन कई बार आँखों में कुछ समस्याएँ या बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं. आंखों की बीमारियां किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है. आइए इस लेख के माध्यम से हम आंखों की बीमारियों और इनसे बचने के कुछ टिप्स जानें.
1. मोतियाबिंद-
आंखों के लेंस विभिन्न दूरियों की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है. समय के साथ लेंस अपनी पारदर्शिता खो देता है. लेंस के धुंधलेपन को मोतियाबिंद कहते हैं. आंखों के लेंस तक प्रकाश नहीं पहुंच पाने के कारण रेटिना आंखों में विजन नहीं बनने देती है और नतीजा हम अंधेपन की ओर पहुंच जाते हैं. आमतौर पर 55 साल की आयु से अधिक के लोगों में मोतियाबिंद होता है, लेकिन अब युवा भी इससे प्रभावित होने लगे हैं. सर्जरी कर आंखों में लेंस लगाना ही इसका एकमात्र इलाज है.
2. ग्लूकोमा-
ग्लूकोमा को काला मोतियाबिंद भी कहते हैं. कॉर्निया के पीछे आंखों को पोषण देने वाला तरल पदार्थ होता है जो यह तय करता है कि आंखों के भीतरी हिस्से में कितना दबाव रहे. जब ग्लूकोमा होता है तब हमारी आंखों में इस तरल पदार्थ का दबाव बहुत बढ़ जाता है. इससे आंखों के ऑप्टिक नर्व्स नष्ट हो जाते हैं और आंखों की देखने की क्षमता खत्म हो जाती है.
3. रेटिना की बीमारी-
रेटिना आंखों के पीछे पतली-पतली रेखाएं होती है जो कोशिकाओं से निर्मित होती है. आँखों से जब प्रकाश गुजरता है तो रेटिना ही उसको विद्युतीय संवेग में परिवर्तित कर तस्वीर बना कर मस्तिष्क के न्यूरॉन को भेजती है. रेटिना में गड़बड़ी होने के बाद आंखों की देखने की क्षमता कम हो जाती है. डायबिटीज में या फिर उम्र होने के बाद रेटिना कमजोर हो जाती है.
4. आंखों का सूख जाना-
आंख तब सूखती हैं जब आंखों के अंदर की आंसू ग्रंथियों में आंसू का बनना कम हो जाता है या बंद हो जाता है. आंख सूखने के बाद काफी परेशानी होती है. आंखों में खूजलाहट, जलन और कभी-कभी रोशनी भी चली जाती है.
5. आंखो से ज्यादा पानी या आंसू निकलना-
कभी-कभी हमारी आँखें रोशनी-हवा और मौसम के बदलाव को लेकर ज्यादा सेंसेटिव हो जाती है और हमारी आंखों से ज्यादा मात्रा में आंसू निकलने लगते हैं. यह एलर्जी और सर्दी के वजह से होता है. आंखों में संक्रमण से भी आंखों से ज्यादा पानी निकलने लगता है.
6. कंजक्टिवाइटिस-
यह एक प्रकार का आंखों का इंफेक्शन है. वायरल इंफेक्शन या फिर एलर्जी से आंखों का काफी लाल हो जाना कंजक्टिवाइटिस कहलाता है. इसमें आंखों में तेज जलन व चुभन होती है. आंखों से काफी पानी निकलने लगता है.
7. प्रिसबॉयोपिया-
आंख की इस बीमारी के बाद आप नजदीक की चीजों को नहीं देख पाते हैं या फिर छोटे अक्षरों को नहीं पढ़ पाते हैं. यह एक सामान्य बीमारी है जो चालीस के बाद किसी को भी हो सकती है. ग्लास लगाने के बाद आंखों के देखने की क्षमता ठीक हो जाती है.
8. फ्लोटर्स-
आँख की इस बीमारी में धूप में खड़े होने पर या फिर कमरे में रोशनी के बाद भी आंखों के आगे छोटे-छोटे स्पॉट नजर आते हैं. यह सामान्य बीमारी है, लेकिन कभी-कभी गंभीर भी हो जाती है. खास कर तब जब आपके आंखों के आगे रोशनी के फ्लैश चमकते नजर आए. यह रेटिना के जगह बदलने के कारण होती है.
आंखों के बचाव के लिए इन टिप्स को आजमाएं
- कंप्यूटर पर काम करने के लिए आंखों के डॉक्टर के परामर्श से चश्मा बना लें.
- कंप्यूटर के मॉनिटर की पोजिशनिंग ऐसा करें जिससे आपके आंखों पर कम दबाव पड़े.
- कंप्यूटर पर एंटी ग्लैयर स्क्रीन लगा कर काम करें.
- अगर काम करते-करते लगे कि आंख का पानी सूख रहा है तो 20 मिनट का ब्रेक लेकर बाहर घूमने चले जाएं.
- आंखों के सेहत के लिए सुबह-सुबह खाली पैर घास और ओस पर चलना काफी फायदेमंद होता है.
- आंखों का रेगुलर चेकअप कराते रहें.