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Last Updated: Aug 29, 2019
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कितना खाना ? समझे आयुर्वेद से
▪ कितना खाना यह समझने के लिये पहले अपने पेट के चार समान भाग की कल्पना करे।
▪ इसमें से दो भाग जितनी मात्रा में ही खुराक लेना है, अर्थात् हमारे पेटकी क्षमता से ५०% ही अन्न हमें लेना है । शेष तीसरा भाग जल के लिये और चौथा भाग वायु के आवागमन के लिये बचायें।
▪पेट में बारी-बारी कुछ न कुछ डालते रहना यह उचित नही है। इससे हमारे पाचनक्रिया प्रभावित होती है और इसके दुष्परिणाम स्वरूप जो कच्चा आम बनता है वो हमारे स्वास्थ्य पर त्वचा के रोग, आमवात, सफेद दाग और कई जटिल दर्द इत्यादि का कारण बनता है।
▪भोजन के दो समय के बीच कमसे कम तीन से चार घंटे का अंतर रहना जरुरी है।
▪ भूख से कम मात्रा में खाना उचित है।
(आयुर्वेद के बिभिन्न ग्रंथोमें से साभार)
डॉ. निकुल पटेल (BAMS)
अथर्व आयुर्वेद क्लिनिक एवं पंचकर्म सेन्टर
मणीनगर, अहमदाबाद
▪ कितना खाना यह समझने के लिये पहले अपने पेट के चार समान भाग की कल्पना करे।
▪ इसमें से दो भाग जितनी मात्रा में ही खुराक लेना है, अर्थात् हमारे पेटकी क्षमता से ५०% ही अन्न हमें लेना है । शेष तीसरा भाग जल के लिये और चौथा भाग वायु के आवागमन के लिये बचायें।
▪पेट में बारी-बारी कुछ न कुछ डालते रहना यह उचित नही है। इससे हमारे पाचनक्रिया प्रभावित होती है और इसके दुष्परिणाम स्वरूप जो कच्चा आम बनता है वो हमारे स्वास्थ्य पर त्वचा के रोग, आमवात, सफेद दाग और कई जटिल दर्द इत्यादि का कारण बनता है।
▪भोजन के दो समय के बीच कमसे कम तीन से चार घंटे का अंतर रहना जरुरी है।
▪ भूख से कम मात्रा में खाना उचित है।
(आयुर्वेद के बिभिन्न ग्रंथोमें से साभार)
डॉ. निकुल पटेल (BAMS)
अथर्व आयुर्वेद क्लिनिक एवं पंचकर्म सेन्टर
मणीनगर, अहमदाबाद