अल्सर का आयुर्वेदिक उपचार - Ulcer Ka Ayurvedic Upchar!
बीमारी चाहे कोई भी हो उसके कारण और विकृति का जानकारी होना महत्वपूर्ण है. ज्यादातर अल्सर का कारण वात और पित्त के उत्तेजक कारक पर निहित होते हैं. अल्सर रोग कई प्रकार के हो सकते है, जैसे पेप्टिक अल्सर, पेट के छाले, अमाशय का अल्सर, या गैस्ट्रिक अल्सर. अल्सर तभी बनते है जब अमाशय के परत को खाना पचाने वाला एसिड नुकसान पहुंचाने लगता है. ये एसिड इतना तेज होता है की आयरन के ब्लेड तक को आसानी से गला सकता है. इस एसिड के अधिकता का कारण स्ट्रेस और खराब लाइफ स्टाइल के साथ अनुचित आहार होता है.
आजकल की खराब लाइफस्टाइल जैसे की ऑयली फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड, और अनुचित आहार के साथ आलस्य, मानसिक तनाव आदि के परिणामस्वरुप ज्यादातर व्यक्ति पेट से संबंधित रोग से पीड़ित रहते हैं. पेट के छाले, एसिडिटी, कब्ज़, गैस, अल्सर, पाइल्स, एनल फिशर आदि ऐसे कुछ प्रमुख पेट से संबंधित रोग होते है. हालाँकि इसके उपचार के लिए भी कई विकल्प मौजूद होते है. आयुर्वेद के अनुसार, अल्सर के उपचार के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण सबसे ज्यादा लाभदायक होता है.
आयुर्वेद के अनुसार, बाॅडी में होने वाले अल्सर होने के निम्न कारण हैं:
* अनुचित खानपान के कारण पेट में जख्म बन जाता है जिसे अल्सर कहते हैं.
* चाय, कॉफ़ी, सिगरेट और शराब का ज्यादा सेवन करने से अल्सर होता है.
* ज्यादा खट्टे, मसालेदार, गर्म चीजों का सेवन करने से अल्सर होता है.
* तनाव, जलन, गुस्सा, थकन, मानसिक परेशानी, एंग्जायटी आदि कारणों से भी हो सकता है.
* कभी-कभी पेट में जहरीला रोग पैदा होकर दूषित द्रव्य जमा होकर आमाशय और पक्वाशय में जख्म बन जाता है.
अल्सर के लक्षण-
* जब किसी व्यक्ति को अल्सर रोग हो जाता है तो रोगी के पेट में जलन और पेट दर्द होने लगता है.
* खट्टी डकार आती हैं.
* उल्टी होती है
* भोजन अच्छा नहीं लगता
* कब्ज़ की समस्या हो सकती है
* दस्त के साथ ब्लड आ सकता है
* कमजोरी का आभास हो सकता है
* बेचैनी होती है
अल्सर का आयुर्वेदिक उपचार-
1. आंवला- एक चम्मच आंवले का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेट में दूषित द्रव्य निकल जाते है जिससे अल्सर ठीक हो जाते है. इसके अलावा आंवले का एक चम्मच चूर्ण के साथ सोंठ का आधा चम्मच, जीरे के चूर्ण का आधा चम्मच और एक चम्मच मिश्री को मिश्रित कर लें, फिर इसे सुबह शाम सेवन करने से पेट के दर्द ठीक हो जाते है और दर्द व उल्टी से राहत मिलती है.
2. निर्गुण्डी- 50 ग्राम निर्गुण्डी के पत्ते को ½ लिटर पानी में धीमी आग पर पकाकर चौथाई शेष बचे तो 10-20 मिलीलीटर दिन में 2 से 3 बार पीएं. इससे पेप्टिक अल्सर रोग से छुटकारा मिलता है.
3. केले- केले में एसिड की मात्रा कम करने और घाव को भरने वाले गुण पाए जाते है. रोजाना 3 केले खाने से पेट में जख्म को ठीक करने में मदद मिलती है.
4. पान- पान के हरे पत्ते को आधा चम्मच रस रोजाना पीने से पेट दर्द और और जख्म से राहत मिलती है.
5. घी- हल्दी और मुलेठी को चूर्ण पानी में उबालकर ठंडा करके पेट पर लगाने से अल्सर रोग में राहत मिलता है.
6. देवदारु- देवदारु, ढाक, आम की जड़, गजपीपल, सहजन, और असंगध, को गाय के ताजे मूत्र में पीस कर पेट पर लेप करने से पेट का जख्म ठीक होता है.
7. सोंठ- 1 चम्मच चव्य और 1 चम्मच सोंठ को पीसकर गाय के मूत्र में मिलाकर रोगी को सेवन करना चाहिए. इससे पेट के जख्म और दर्द ठीक होते है.
8. दूध- अल्सर रोगी को रोजाना दूध पीना चाहिए साथ ही आनर का रस व आंवले का मुरब्बा खाना चाहिए.
9. हरङ- 2 छोटी हरङ और 4 मुनक्के को पीस कर सुबह खाने से पेट की जलन और उल्टी ठीक हो जाती है.
10. एरण्ड- एरण्ड तेल के दो चम्मच को गाय मूत्र या दूध में मिलाकर सेवन करने से आंतो का अल्सर ठीक होता है.
अल्सर में भोजन और परहेज:
* अल्सर होने के दौरान भोजन में दूध, सब्जियों का सूप, मसाले कस्टर्ड और दलिया लेना चाहिए.
* रेशे वाले आहार का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसके खाने से अल्सर से उत्पन्न पेट की जलन ठीक होती है.
* ज्यादा मीठे और खट्टे पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए.
* अनन्नास, संतरा, अमरूद और टमाटर का सेवन हानिकारक होता है.
* चाय, काॅफी, शराब और स्मोकिंग नहीं करना चाहिए.