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Last Updated: Nov 14, 2023
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अंडकोष में गांठ का इलाज

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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अंडकोष में गांठ या सूजन होना अकसर बहुत अधिक चिंता का कारण बन जाता है । इसे बहुत गम्भीर बीमारी के तौर पर देखा जाता है,पर अधिकतर मामलों में ये कैंसर नहीं होता। अंडकोष में कई दूसरी बीमारियों का संकेत हो सकता है। पर इसके कैंसर होने की सम्भावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता।जानकार कहते हैं कि अंडकोष में अधिकांश गांठ हानिरहित होती हैं, लेकिन अंडकोष की गांठ आमतौर पर तरल पदार्थ इकट्ठा होने, किसी प्रकार के संक्रमण या त्वचा या नसों में सूजन के कारण होती है। हालांकि, इस गांठ का कारण और उसका निवारण करने के लिए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। आइए अब हम इसके कारणों पर गौर करें -

1.सिस्ट

सिस्ट एक तरल पदार्थ से भरी थैली होती है जिसे छूने पर एक छोटी, सख्त गांठ जैसा महसूस हो सकता है। सिस्ट शरीर पर लगभग कहीं भी विकसित हो सकती हैं और आमतौर पर हानिरहित होते हैं। आम तौर पर  ये सिस्ट किसी भी लक्षण का कारण नहीं बनती हैं। पर ये अंडकोष में भारीपन या हल्का दर्द पैदा कर सकती हैं।अधिकतर मामलों में इन्हें शायद ही कभी उपचार की आवश्यकता होती है। जिन मामलों में सिस्ट दर्द जैसे लक्षण पैदा करती हैं उनमें सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। इनके कारण अस्थायी सूजन हो सकती है।

2.वैरिकोसील

वैरिकोसील एक ऐसी गांठ है जो अंडकोष में नसों में सूजन के कारण होता है। जिस प्रकार कुछ लोगों के पैरों में वैरिकोस वेन्स की समस्या होती है उसी प्रकार वैरिकोसील के भी देखा जाता है।

अधिकतर मामलों में वैरिकोसील वाले लोग किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं करते हैं। पर यह यौवन के दौरान बांझपन और अंडकोष की धीमी वृद्धि जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है।यह अनुमान लगाया गया है कि 100 में से लगभग 15 पुरुषों में वैरिकोसील होती है।

3.हाइड्रोसील

अंडकोष के चारों ओर तरल पदार्थ जमा होने से हाइड्रोसील नामक सूजन हो सकती है।यह अक्सर शरीर के इस क्षेत्र में संक्रमण या चोट लगने के बाद होता है। हाइड्रोसील आमतौर पर दर्द रहित होते हैं और सूजन के अलावा कोई लक्षण पैदा नहीं करते हैं।इसके कारण एक या दोनों अंडकोष प्रभावित हो सकते हैं।हालांकि हाइड्रोसील किसी भी उम्र में हो सकता है पर ये  नवजात शिशुओं में जन्म के समय कम वजन या ब्रीच पोज़ीशन के मामलों में अधिक देखने को मिलता है।हाइड्रोसील में जटिलताएं भी हो सकती हैं।

•    संक्रमण

• वृषण (टेस्टिस) की समस्या

• बांझपन

• अंडकोष की थैली में मवाद भरना

• हेमेटोसील या अंडकोष की थैली में रक्त भरना

4.टेस्टिकुलर टॉर्शन

टेस्टिकुलर टॉर्शन एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। यह तब हो सकता है जब अंडकोष से जुड़ी कॉर्ड मुड़ जाती है और रक्त की आपूर्ति बंद कर देती है।अंडकोष की सूजन के अलावा टेस्टिकुलर टॉर्शन में कई गंभीर लक्षणों का अनुभव हो सकता है जिनमें शामिल हैं:

•    गंभीर दर्द

•    उल्टी

•    जी मिचलाना

• अंडकोष का लाल होना या काला पड़ना

टेस्टिकुलर टॉर्शन किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह आम नहीं है।इसके होने के कारणों की बात करें तो ये किसी सदमे के कारण, अवरोही अंडकोष के कारण, पहले भी टेस्टिकुलर टॉर्शन होने के कारण, बेल क्लैपर विकृति की वजह से हो सकता है। यदि उपचार ना किय़ा जाए तो टेस्टिकुलर टॉर्शन संक्रमण, बांझपन का कारण बन सकता है।इसमें अंडकोष आकार में सिकुड़ जाता है। कुछ मामलों में अंडकोष गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकता है और शल्य चिकित्सा द्वारा निकालने की आवश्यकता पड़ सकती है।

5. एपिडीडिमाइटिस

एपिडीडिमाइटिस एक ऐसी स्थिति है जो एपिडीडिमिस में दर्द और सूजन का कारण बन सकती है। एपिडीडिमिस एक ऐसा ट्यूब है जो प्रत्येक अंडकोष के पीछे होता है और शुक्राणु को वहन करता है। इसमें होने वाली सूजन एक गांठ की तरह महसूस होती है। एपिडीडिमाइटिस से पीड़ित लोगों को अंडकोष के आसपास की त्वचा में दर्द, कोमलता और गर्मी का अनुभव भी हो सकता है।एपिडीडिमाइटिस के अन्य संभावित लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

• पेशाब करने में कठिनाई

• लिंग के सिरे से सफेद, हरा या पीला स्त्राव

• एक या दोनों अंडकोष में अचानक या धीरे-धीरे दर्द होना

एपिडीडिमाइटिस एक यौन संचारित संक्रमण क्लैमाइडिया से जुड़ा है।ऐसे लोगों में एपिडीडिमाइटिस विकसित होने का अधिक खतरा होता है जिनका खतना ना हुआ हो, जो बिना किसी प्रोटेक्शन या कंडोम के संभोग करें, जिनमें मूत्र पथ के भीतर बढ़े हुए प्रोस्टेट या अन्य संरचनात्मक असामान्यताएं हैं,जिन्हें हाल ही में कैथेटर लगा हो,  यौन संचारित संक्रमण या मूत्र मार्ग में संक्रमण का इतिहास रहा हो

इस स्थिति को यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो एपिडीडिमाइटिस संक्रमण का कारण बन सकता है, जिससे एपिडीडिमल या फोड़ा हो सकता है। यह बांझपन या सेप्सिस के जोखिम को भी बढ़ा सकता है, जो गंभीर हो सकता है।

6. टेस्टिकुलर कैंसर

टेस्टिकुलर कैंसर के प्राथमिक लक्षणों में अंडकोष में गांठ या सूजन देखे जा सकते हैं। अधिकांश मामलों में ट्यूमर किसी भी दर्द का कारण नहीं बनते हैं। गांठ आमतौर पर अंडकोष के सामने या किनारे पर बनती है। छूने पर यह कठोर महसूस होता है और पूरा अंडकोष सामान्य से अधिक सख्त लग सकता है। एक गांठ अंडकोष के अंदर या सिर्फ त्वचा के नीचे विकसित हो सकती है। एक अंडकोष बड़ा या सूजा हुआ हो सकता है। टेस्टिकुलर कैंसर के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

• अंडकोष कठोर लगना

• अंडकोष में भारीपन महसूस होना

• अंडकोष में दर्द जो कम औऱ अधिक हो सकता है

जिन कारणों से टेस्टिकुलर कैंसर हो सकता है उनमें शामिल हैं-

 • क्रिप्टोर्चिडिज्म: यह स्थिति तब होती है जब एक या दोनों अंडकोष जन्म से पहले स्क्रोटम में गिरने में विफल हो जाते हैं। अवरोही अंडकोष वाले लोगों की तुलना में इस स्थिति वाले लोगों में टेस्टिकुलर कैंसर विकसित होने का अधिक खतरा होता है।

• आयु: हालांकि वृषण कैंसर सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन अधिकतर ये 20-34 आयु वर्ग के लोगों में होता है।

• पारिवारिक इतिहास: जिन लोगों के परिवार के किसी सदस्य को टेस्टिकुलर कैंसर हुआ है, उन्हें इसका अधिक खतरा हो सकता है।

अंडकोष में समस्या का पता कैसे लगाया जाता है

आप अगर ऐसी समस्या का सामना कर रहे हैं तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें। डॉक्टर  अंडकोष में समस्या का कारण पहचानने के लिए कई परीक्षण कर सकते हैं।इन परीक्षणों में शामिल हैं:

• रक्त या मूत्र परीक्षण: संक्रमण या कैंसर जैसी अन्य स्थितियों के लक्षण देखने के लिए डॉक्टर रक्त या मूत्र का एक नमूना लेते हैं।

• इमेजिंग: अल्ट्रासाउंड परीक्षण के ज़रिए गांठ का पता लगाया जाता है।इस प्रकार डॉक्टरों को हर्निया या कैंसर जैसी स्थितियों का पता चल जाता है।

• शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर आपके को छूकर उसकी सूजन का कारण समझने की कोशिश कर सकते हैं।

 • ट्रांसिल्युमिनेशन: डॉक्टर अंडकोष के पीछे एक चमकदार रोशनी डालते हैं ताकि यह देखा जा सके कि द्रव्यमान का स्थान और आकार क्या है, और द्रव्य मौजूद है या नहीं।

देखभाल और उपचार

· यदि अंडकोष में गांठ के कारण रोगी को किसी प्रकार का दर्द या परेशानी महसूस नहीं हो रही है, तो उसे उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। अंडकोष की गांठ वाले किसी भी व्यक्ति को नियमित रूप से घर पर इसकी जांच करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसका     आकार बदल तो नही रहा है। सिस्ट आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती हैं। अगर सिस्ट में दर्द होता है, तो गर्म सिंकाई से सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। यदि सिस्ट संक्रमित हो जाती है, तो संक्रमण का इलाज कराने के लिए चिकित्सक से संपर्क करें।डॉक्टर ज़रूरत लगने पर सिस्ट को हटा सकते हैं। हालांकि, डॉक्टर आमतौर पर इसकी सलाह नहीं देते हैं।

· वैरिकोसील या हाइड्रोसील वाले लोग जो किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं कर रहे हैं, उन्हें उपचार की सलाह नहीं दी जाती है। हाइड्रोसील के कारण बनने वाली द्रव्य की थैली को ठीक किया जा सकता है या इसे हटाया जा सकता है।वैरिकोसील में भी सर्जरी पर विचार किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में सूजी हुई नसों में रक्त के प्रवाह को रोकना शामिल है, जिससे नसें सिकुड़ जाती हैं और समस्या समाप्त हो जाती है।

· एपिडीडिमाइटिस में डॉक्टर आमतौर पर संक्रमण दूर करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की सलाह देते हैं। दर्द और सूजन में मदद के लिए दर्द निवारक दवा ली जा सकती है या अंडकोष पर ठंडा पैक लगा कर सेंका जा सकता है।

· यदि अंडकोष में गांठ कैंसरयुक्त पाई जाती है तो व्यक्ति को उपचार की आवश्यकता होगी। उपचार कैसा होगा ये कैंसर के चरण के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

डॉक्टर कैंसर कोशिकाओं को मारने या उन्हें बढ़ने से रोकने के लिए रेडिएशन चिकित्सा और कीमोथेरेपी का उपयोग करते हैं। अंडकोष से गांठ को हटाने के लिए रोगी को सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टर के लिए कैंसर का निदान करने और इसे फैलने से रोकने के लिए अंडकोष का एक हिस्सा या सभी भाग निकालना आवश्यक हो सकता है। अंडकोष को अक्सर प्रत्यारोपण से बदला जा सकता है। यह प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है, इसलिए रोगी को सर्जरी से पहले शुक्राणु को बचाने और संग्रहीत करने का अवसर दिया जा सकता है।

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