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Last Updated: Dec 28, 2022
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फैटी लीवर को नज़रंदाज़ करना पड सकता है महँगा
अल्ट्रासाउंड करवाने पर आमतौर पर पायी जाने वाली समस्या है- फैटी लीवर | अचरज की बात है की यह एक ऐसी समस्या है जिसे आम तौर पर बिमारी नहीं समझा जाता और ज़्यादातर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है|
- फैटी लीवर की बिमारी में अतिरिक्त वसा या चर्बी जिसे फैट भी कहा जाता है, हमारे लीवर में इकठ्ठा होने लगता है| यह फैट लीवर की कोशिकाओं के काम करने में अवरोध उत्पन्न कर देता है जिससे लीवर की कोशिकाएं मर जाती हैं| सरल भाषा में कहा जाए तो छन्नी-नुमा कोमल लीवर के टिश्यू में क्षमता से अधिक फैट जमा हो जाने पर अवरोध उत्पन्न होने लगता है और लीवर का आकार बढ़ने लगता है| इस अवरोध के कारण लीवर में मौजूद साय्नुसाइड नामक इकाई सामान्य प्रक्रिया से खून को साफ़ नहीं कर पाती और खून से ज़रूरी तत्त्व सोखने में विफल हो जाती है| इसी कारण टोक्सिन और जीवाणु निष्क्रिय नहीं हो पाते और रक्त के बहाव के साथ शरीर के विभिन्न हिस्सों में जमा हो जाते हैं, जिनसे अनेक बीमारियाँ शरीर में घर करने लगती हैं| हालांकि इस स्थिति तक भी लीवर अपना काम बखूबी कर लेता है परन्तु इस स्थिति से शरीर के विभिन्न हिस्सों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और कई तरह के लक्षण उभरने लगते हैं|
- अपच, एसिडिटी, खून की कमी, मोटापा या दुबलापन, बी. पी. की समस्याएं, थाइरोइड की गड़बड़ी, डायबिटीज, यहाँ तक की कैंसर आदि भी हमारे लीवर के ठीक से काम ना करने के कारण हो सकती हैं| हमें यह समझना होगा की लीवर हमारे शरीर के लिए बेहद ज़रूरी अंग है| इसके किसी भी प्रकार के ठीक से काम न करने के शुरुआती लक्षणों को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए|
- जब कई लीवर की इकाईयां यानी साय्नुसाइड विफल हो जाती हैं और फैट यानी चर्बी ज्यादा मात्रा में लीवर में जमा होने लगता है तब फैटी लीवर गंभीर रूप लेने लगता है जिसे ग्रेड-2 फैटी लीवर कहा जाता है| ऐसी स्थिति में शरीर को पोषण नहीं मिल पाता और तरह-तरह की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं| यह स्थिति अगर ज्यादा दिनों तक बनी रहती है तब गंभीर परिणाम आने लगते हैं और अगले चरण में मरी हुई कोशिकाएं सूख कर ठोस हो जाती हैं, जिसे सिरोसिस ऑफ़ लीवर कहा जाता है| सिरोसिस ऑफ़ लीवर में हमारा लीवर शरीर की आवश्यकता अनुसार काम नहीं कर पाता जिससे लीवर फेलियर हो जाता है और लीवर ट्रांसप्लांट तक करने की नौबत आ जाती है|
- हालाँकि लीवर की कोशिकाएं पुनर्जीवित हो जाती हैं परन्तु अगर समय पर शुरूआती लक्षणों पर ध्यान देकर उनका समाधान न किया जाए तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं| इसके लिए हमें अपने आहार के साथ-साथ दिनचर्या का भी ध्यान रखना चाहिए और अनुचित दवाओं के सेवन से परहेज़ करना चाहिए| दवाइयों का सेवन केवल प्रशिक्षित एवं अनुभवी चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए|