Lybrate Logo
Get the App
For Doctors
Login/Sign-up
Last Updated: May 20, 2019
BookMark
Report

जाने प्रेगनेंसी के बारे में- हफ्ते दर हफ्ते - Pregnancy Week By Week In Hindi!

Profile Image
Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
Topic Image

प्रेगनेंसी के दौरान मां को कई प्रकार की जिम्‍मेदारियां उठानी पड़ती हैं. ऐसे में शिशु के स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल करना बहुत जरूरी होता है. इस लेख के माध्यम से हम प्रेगनेंसी के विभिन्‍न हफ्तों में देखभाल, प्रेगनेंसी का आखिरी सप्‍ताह, प्रेगनेंसी कैलेंडर, विभिन्‍न सप्‍ताह में मां और शिशु की देखभाल के बारे में पढेगें.

पांचवा सप्ताह-
प्रेगनेंसी के पांचवे हफ्ते में प्रवेश करने तक आप मासिक धर्म न होने का, होम प्रेगनेंसी टेस्ट आदि और कुछ प्रेगनेंसी सम्बंधित समस्याओं जैसे मॉर्निंग सिकनेस, दर्द, स्तनों में असहजता, थकान, चक्कर आना इत्यादि महसूस करने लगती हैं. यह सब प्रेगनेंसी के 5वें सप्ताह का आवश्यक हिस्सा है. इस हफ्ते के अल्ट्रासाउंड में गर्भ में बच्चे की उपस्थिति पता चलने लगती है.

पांच हफ्ते की प्रेग्नेंट महिला के बॉडी में होने वाले परिवर्तन: पांचवे हफ्ते में आपको प्रेगनेंसी के सभी लक्षणों का अनुभव होने लगता है और प्रेगनेंसी टेस्ट रिजल्ट्स में आपके बॉडी में एचसीजी हार्मोन का लेवल अधिक निकलता है जिसका मतलब है कि आप प्रेग्नेंट हैं. लेकिन हार्मोन के लेवल में बहुत ज्यादा और तेज़ी से परिवर्तन होने से भावनाओं पर कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है जिसके परिणामस्वरुप मूड स्विंग जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस सप्ताह में शायद मूड स्विंग ज्यादा महसूस न हो, लेकिन पेट में सूजन का अनुभव जरुर होता है. आपका पेट सही प्रकार से लगभग 14 हफ्तों तक नहीं बढ़ता है लेकिन उस पर प्रेशर निरंतर बढ़ता रहता है जिस कारण आपको रेस्ट करने की अधिक जरुरत होती है. इस हफ्ते तक आपको देखकर यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि आप प्रेग्नेंट हैं.

पांच हफ्ते की प्रेगनेंसी में भ्रूण का विकास: प्रेगनेंसी के पांचवे हफ्ते में बच्चा तेजी से ग्रोथ करने लगता है. इस सप्ताह के अंत तक बच्चा मेढक जैसा लगने लगता है. उसमें एक छोटी पूंछ भी जुडी होती है और वो संतरे के बीज के साइज़ या लंबाई में 1-5 मिमी. का होता है. इस सप्ताह में बच्चे के महत्वपूर्ण ऑर्गन जैसे हार्ट, सेंट्रल नर्वस सिस्टम, बोन और मसल्स इत्यादि का विकास होता है. इसके अलावा स्केल्टन भी इसी दौरान बनना शुरू हो जाता है.

बच्चे के हार्ट का विकास तेज़ी से होता है क्योंकि उसे चार क्लास में विभाजित होने के साथ ब्लड को पंप करने का कार्य भी करना होता है. कुछ अल्ट्रासाउंड में पांचवे सप्ताह में बच्चे की हार्ट बीट सुनाई देने लगती है. नर्वस ट्यूब जो अंत में माइंड और स्पाइनल में परिवर्तित हो जाती है उसका निर्माण इसी हफ्ते से शुरू होता है. इस दौरान ही प्लेसेंटा का विकास भी होता है जिसके माध्यम से आपके बच्चे को पोषण प्राप्त होता है. आँखें, कान, नाक, मुंह, हाथ और पैरों की उंगलियां आदि भी दिखनी शुरू हो जाती हैं.

पांचवें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स: इस हफ्ते के अंत तक यह सुनाश्चित हो जाता की आप गर्भवती है और यह खुशखबरी आप अपने पार्टनर के साथ साझा कर सकते है. यह आपके जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण समय है, अगर आपने अपनी खराब आदतों को बंद नहीं किया है या अपनी व्यस्त लाइफस्टाइल में परिवर्तन नहीं किया है तो अब इसकी शुरुआत कर दीजिये अन्यथा आपको अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. पांचवें सप्ताह में आपके बच्चे के महत्वपूर्ण ऑर्गन का विकास होता है इसलिए अपनी खराब हैबिट (अल्कोहल, स्मोकिंग, ड्रग्स, बिना निर्धारित दवाओं आदि) में बदलाव कर दीजिये अन्यथा आपके बच्चे के स्वास्थ्य जोखिम हो सकता है. इनकी आदत से निजात पाने के लिए आप करीबी स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर सकती हैं.

प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते का डाइट प्लान: यह हफ्ता बच्चे के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान बच्चे का विकास बहुत तेजी से होता है. इसलिए उसे विकास करने के लिए पोषण की आवश्यकता होती है. इसके लिए महत्वपूर्ण है कि आप जरुरी और पर्याप्त पोषक तत्वों का सेवन करें. इस दौरान आपको उचित मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन, फोलिक एसिड आदि का सेवन करना चाहिए. आपको अपनी डाइट में फ्रूट और हरी सब्ज़ियों की मात्रा को बढ़ा देनी चाहिए. आयरन युक्त आहार का अधिक मात्रा में सेवन करें जो आपके बच्चे की रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. कॉफी या कैफीन का सेवन कम से कम करें. बाहर का खाना से दूरी बनाएं, क्योंकि उससे इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. अपने डाइट में प्रोटीन युक्त आहार की मात्रा बढ़ाएं. डेयरी पदार्थों, अंडे, चिकन आदि में प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं. पर्याप्त मात्रा में पानी पीती रहें, क्योंकि इस दौरान बॉडी को हाइड्रेटेड रखना बहुत महत्वपूर्ण है.

दसवाँ सप्ताह-
प्रेगनेंसी के दसवें हफ्ते में आने के बाद बच्चे में जन्मजात समस्या के होने का जोखिम कम होता है. लेकिन इस हफ्ते में आने के बाद असामान्यताओं या विकृति होने का जोखिम पूरी तरह से तो नहीं ख़त्म होता, लेकिन उसके विकास के सबसे महत्वपूर्ण सप्ताह खत्म हो चुके होते हैं. लगातार देखभाल और डॉक्टर द्वारा आप प्रेगनेंसी के आगे के हफ़्तों में बढ़ सकती हैं.

दसवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में बॉडी में होने वाले परिवर्तन: प्रेगनेंसी के दसवें सप्ताह में भी आप प्रेग्नंत प्रतीत नहीं होगी, लेकिन आपको प्रेग्नेंट होने का अनुभव होने लगता है. अभी तक आपका वज़न लगभग एक किलोग्राम ही बढ़ा होता है लेकिन इस सप्ताह से आपको अधिक वज़न बढ़ने का अनुभव होने लगता है. जैसे जैसे आप अपनी पहली तिमाही के अंत तक पहुंचती हैं, मॉर्निंग सिकनेस जैसे अन्य प्रेगनेंसी में महसूस होने वाले लक्षण थोड़े कम हो जाते हैं. दसवें सप्ताह के दौरान आप अपनी प्रेगनेंसी के बारे में ज्यादा बेहतर महसूस करने लगती हैं, क्योंकि आपका पहला चेकअप हो चुका होता है और आप अपने बच्चे के हार्ट बीट को भी सुन सकती हैं. भावी माता पिता के लिए यह क्षण बहुत ही रोमांचक होते हैं और यह आपके बॉडी में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के बढ़ते लेवल के कारण उत्पन्न होने वाली नकारात्मक भावनाओं को कम कर करने में मददगार है.

दसवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में भ्रूण का विकास: इस समय शिशु का विकास तेजी से रहा होता है. हालांकि यह ग्रोथ इतनी तेज़ी से होता है कि इसको बताना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. इस हफ्ते बच्चा चकोतरे के साइज़ का हो जाता है. आपका बच्चा हफ्ते दर हफ्ते इसी तेजी से बढ़ता है. इस हफ्ते आपके बच्चे के इंटरनल ऑर्गन का विकास होता है जैसे किडनी, लिवर, इंटेस्टाइन आदि और माइंड कार्य करना शुरु कर देता है. अगले तीन हफ्तों के दौरान आपका बच्चा काफी बड़ा हो जाएगा. पैरों की उंगलियों के नाखून भी दिखाई देने लगेंगे और यदि आप अधिक करीब से देखेंगी तो आपको बच्चे की त्वचा पर रोयें भी दिखाई देंगे.

दसवें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स: इस सप्ताह में आप अपने पति के साथ डॉक्टर के पास जाना चाहिए. डॉक्टर आप दोनों को अल्ट्रासाउंड के माध्यम से बच्चे की हार्ट बीट सुनाएंगे और साथ ही आप दोनों अपने बच्चे की इमेज भी देख सकते हैं. इन सबसे आपके पति को आपकी प्रेगनेंसी के बारे में अधिक जानकारी होगी साथ ही वे खुद को भी इस प्रक्रिया का हिस्सा महसूस करेंगे. इससे आपके पति और बच्चे के बीच अच्छे सम्बन्ध स्थापित होंगे जो प्रेगनेंसी के समय बहुत जरुरी होता है. अपने लिए माँ वाले कपड़े खरीदना भी शुरू कर दीजिये, क्योंकि अब आपको नए साइज के कपड़ों की जरुरत बहुत जल्द पड़ेगी.

प्रेगनेंसी के दसवें हफ्ते का डाइट प्लान: 9 से 12 सप्ताह के दौरान का डाइट प्लान लगभग एक जैसा ही होता है. विटामिन बी, कैल्शियम और मैग्नीशियम आदि पोषक तत्वों से भरपूर डाइट आपके और आपके बच्चे के हेल्थ के लिए बहुत जरुरी होते हैं. कैल्शियम बच्चे के दांतों और हड्डियों आदि को मजबूत बनाने में मदद करता है. पेय पदार्थों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें. पानी के आलावा आप आमपन्ना, जलजीरा, अदरक की चाय और टोमैटो सूप इत्यादि भी पी सकती हैं.

चौदहवाँ सप्ताह-
प्रेगनेंसी के चौदहवें सप्ताह के दौरान आप थोड़ा सहज अनुभव कर सकती हैं क्योंकि आपका बॉडी होने वाले आंतरिक बदलावों के अनुसार अडॉप्ट हो रहा होता है. इस सप्ताह के दौरान आप दूसरी तिमाही के दूसरे सप्ताह में पहुँचती हैं और बच्चे के ग्रोथ के लगभग महत्वपूर्ण स्टेज पूरे हो चुके होते हैं लेकिन अभी भी डाइट पर ध्यान देना बहुत जरुरी है.

चौदहवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में बॉडी में होने वाले परिवर्तन: प्रेगनेंसी के सबसे खराब लक्षण लगभग इस समय से खत्म होने लगते हैं और आपके वज़न में वृद्धि होने के साथ साथ आपकी कमर भी बढ़ने लगती है. इस सप्ताह से आपको ज्यादा भूख लग सकती है. लेकिन ध्यान रहे ऐसा भूलकर भी न करें, क्योंकि इससे आपका वज़न बहुत अधिक बढ़ सकता है जो खतरे का कारण बन सकता है. आपके दाग धब्बे और झाइयों के निशान ज्यादा गहरे हो जायेंगे और आपके स्तन दुग्ध उत्पादन की तैयारी के कारण ज्यादा सेंसिटिव होते जाएंगे. आपके बॉडी पर नए मस्से आ सकते हैं लेकिन यह सामान्य है इसमें घबराने की कोई बात नहीं है. इस तिमाही के दौरान बार-बार मूड स्विंग्स की समस्या बढ़ जाती है. इस बारे में अपने पति या डॉक्टर से बात करें.

14वें हफ्ते की गर्भावस्था में भ्रूण का विकास: अंततः आपके बच्चे का शरीर भी सिर के साथ बढ़ने लगता है. कान और आँखें अपनी सही स्थिति में आ जाते हैं. जैसे जैसे गर्दन लम्बी होती है, आपके बच्चे की ठोड़ी छाती से ऊपर होने लगती है. मासपेशियां विकसित होती रहती हैं लेकिन मां इस सप्ताह में भी बच्चे की गतिविधियां महसूस नहीं कर पाएंगी क्योंकि इसके लिए बच्चा अभी बहुत छोटा होता है. बच्चा सभी पोषक तत्व प्लेसेंटा के माध्यम से ग्रहण करता है. इसलिए इस समय आपको अपने खान पान पर ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है. अल्ट्रासाउंड के दौरान आप अपने बच्चे को मुट्ठी खोलते बंद करते देख पाएंगी और उसकी उंगलियां भी एक दूसरे से पूरी तरह से से अलग हो जाएंगी. शिशु का दिल आपके दिल के धड़कने की दुगनी तेज़ी से धड़केगा लेकिन यह सामान्य प्रक्रिया है इसमें परेशां होने की ज़रूरत नहीं है.

14वें हफ्ते तक बच्चा तीन इंच लंबा और लगभग 28 ग्राम का हो जाता है. आपका बच्चा इस स्तर पर अपना अंगूठा चूसने लगेगा और उसका चेहरे की मांसपेशियों पर नियंत्रण बढ़ जाता है अर्थात वो आँखें मीचना, भौहें चढ़ाना शुरु कर देता है जैसे बड़े लोग गुस्से के समय करते हैं. इसके अलावा बच्चे का लिवर पित्त का जबकि तिल्ली लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन शुरू कर देती है.

14वें सप्ताह के प्रेगनेंसी के लिए टिप्स: जैसा की ऊपर बताया गया है की इस सप्ताह में आपकी भूख बढ़ जाती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप उचित खाना खाएं और जरुरी एक्सरसाइज सही तरह से करें. अगर आपको लगता है कि वजन बहुत ज्यादा हो गया है तो आपको अपने खाने-पीने में कमी करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि ऐसा करने से आपके बच्चे के विकास के लिए जरुरी पोषक तत्वों में कमी आ जाती है. वज़न को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर के साथ चर्चा करके एक्सरसाइज रूटीन शुरू करें और सुनिश्चित करें कि आप एक बार में अधिक भोजन करने के बजाए दिन में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ज्यादा भोजन करें.

प्रेगनेंसी के चौदहवें हफ्ते की डाइट: इस समय आयरन और कैल्शियम युक्त आहारों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें. प्रेगनेंसी के दौरान आयरन का सेवन करने से ब्लड की कमी नहीं होती, क्योंकि आयरन रेड ब्लड सेल्स की संख्या में बढ़ोतरी करता है. कैल्शियम आपको जरुरी एनर्जी प्रदान करता है. 14वें हफ्ते की डाइट और 13वें हफ्ते की डाइट एक जैसी ही होती है. कैल्शियम युक्त आहार का ज्यादा सेवन करें जैसे दूध और दूध से बने उत्पाद आदि. कैफीन के सेवन पर प्रतिबंध लगाएं. विटामिन सी समृद्ध आहार जैसे नींबू पानी, संतरे का रस आदि का सेवन करने से आयरन की आपूर्ति होती है. नाश्ते में स्प्राउट्स, सोया, सूखे मेवे आदि अन्य आहारों का सेवन करें.

17वाँ सप्ताह-
17वें हफ्ते तक आप अपनी प्रेगनेंसी के साथ ज्यादा सहज महसूस करने लगती हैं और प्रेगनेंसी के लक्षणों को समझने लगती हैं और उनसे सामना करना भी सीख जाती हैं. आपका पेट अब एक प्रेग्नेंट महिला की तरह दिखने लगता है.

17वें हफ्ते की प्रेगनेंसी में बॉडी में होने वाले बदलाव: 17वें सप्ताह में आपका पेट पूरी तरह से दिखना शुरू हो जाएगा. बच्चे को पेट में चारों ओर घूमने के लिए जगह बनाने के लिए गर्भाशय बढ़ने लगता है. आपका गर्भाशय पेट की ओर, इंटेस्टाइन को ऊपर या बाहर की ओर पुश करना शुरू कर देता है. सोने और बैठने की तुलना में खड़े होने पर आपको पेट पर ज्यादा दबाब महसूस होगा. कुछ महिलाओं को पैरों की नसों में कभी कभी साइटिका का दर्द भी महसूस होता है जो बहुत दर्दनाक हो सकता है. साइटिका नस, बॉडी में सबसे बड़ी नस होती है और यह ओवरी से लेकर पूरे पैरों में फैली होती है. आमतौर पर इस दर्द का कारण बढ़ते बच्चे की वजह से नसों पर पड़ने वाला भार होता है. एक स्थान पर लंबे समय तक खड़े रहने या सोते समय पैरों के नीचे तकिया लगाकर सोने की आदतों को छोड़ने से इस समस्या को ठीक किया जा सकता है.

डॉक्टर दर्द को दूर करने के अन्य तरीकों का सुझाव दे सकते हैं. रक्त की मात्रा में वृद्धि होने के कारण अधिक पसीना भी आ सकता है. इसके अलावा, कुछ महिलाओं को योनिस्राव या नाक बंद होने का अनुभव भी होता है. लेकिन यह सामान्य स्थितियां होती हैं और बच्चे के जन्म के बाद अपने आप गायब हो जाती हैं.

17वें हफ्ते की प्रेगनेंसी में शिशु का विकास: 17वें हफ्ते की प्रेगनेंसी में शिशु लगभग 5½ इंच लंबा और वजन करीब 140 ग्राम का हो जाता है जो कि प्लेसेंटा से भी अधिक होता है. गर्भनाल की लम्बाई, मज़बूती और मोटाई में वृद्धि होती है. बच्चे की सुनने की क्षमता तेजी से विकसित होता है और इसी कारण तेज़ साउंड से वो गर्भ के अंदर ही डरने भी लगता है. हड्डियों का पूरी तरह से विकास हो जाता है और कान अपनी सही स्थान पर स्थित हो जाते हैं. फैटी टिश्यू और वर्निक्स (नवजात शिशु की त्वचा पर विकसित होने वाला सुरक्षात्मक आवरण) का ग्रोथ होता है और यह बॉडी के टेम्परेचर कम करने में मदद करते हैं. सॉफ्ट बोन से एक छोटे स्केल्टन का निर्माण होता है. हड्डियां फ्लेक्सिबल होती हैं जो जन्म देने वाली नली के माध्यम से बच्चे का जन्म होने में मदद करती हैं. यदि बच्चा लड़का होता है, तो इसी 17वें सप्ताह के दौरान उसमें प्रोस्टेट ग्लैंड का निर्माण होता है.

17वें सप्ताह के प्रेगनेंसी के लिए सुझाव: कुछ महिलाओं को इस सप्ताह से रैशेस पड़ने की समस्या शुरू होने लगती है और नए नए प्रकार की एलर्जी भी होती हैं. यदि आपको भी इन लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है तो अपने डॉक्टर से बात करने में संकोच न करें. डॉक्टर के सलाह के बिना कोई भी दवा न लें. यदि आपको क्रैंप या समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो अपने खड़े होने, बैठने या सोने की मुद्रा में बदलाव लाएं.

प्रेगनेंसी के 17वें हफ्ते की डाइट: प्रेगनेंसी के 17वें सप्ताह के दौरान, अपका वज़न धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो जाएगा लेकिन आपको इसे समय-समय पर चेक करना होगा. आमतौर पर यह समय आपके बच्चे के मस्तिष्क और आंखों के विकास का समय होता है. इसके अलावा, हार्मोनल ग्रंथियां भी विकासशील होती हैं. आपको अपने डाइट में कुछ अतिरिक्त पोषक तत्व शामिल करने की आवश्यकता होती है, जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड, आयोडीन और विटामिन डी आदि.

30वाँ सप्ताह-
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही और तीसवें सप्ताह के दौरान, आपको और ज्यादा समस्याओं का अनुभव हो सकता है. अब आपकी प्रेगनेंसी को पुरे होने में केवल कुछ ही हफ्ते और बचते हैं, लेकिन आप अपनी डिलीवरी की निर्धारित समय का बेसब्री से इंतज़ार करने लगती हैं. वास्तव में ऐसा सभी प्रेग्नेंट महिला के साथ होता है इसलिए थोड़ा सब्र रखें और कोई भी समस्या होने पर शीघ्र डॉक्टर से संपर्क करें.

30वें हफ्ते की प्रेगनेंसी में बॉडी में होने वाले परिवर्तन: प्रेग्नेंट महिलाओं का सबसे ज्यादा वजन 20वें से 30वें सप्ताह के दौरान ही बढ़ता है. लेकिन इस समय के दौरान शारीरिक परिवर्तन होने थोड़े कम हो जाते हैं. आपका वजन बढ़ने के कारण थोडा असहज महसूस कर सकती हैं और प्रेगनेंसी में होने वाले दर्द के कारण से आपकी रूटीन पर भी प्रभाव पड़ता है. पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को प्रबंधित करने के लिए उठने बैठने की सही पोजीशन का एक्सरसाइज करें. प्रेगनेंसी हार्मोन आपके जोड़ों को हानि पहुंचा सकते हैं. गर्भ में बच्चे के बढ़ने पर एम्नियोटिक फ्लूइड की मात्रा कम होती जाएगी. ज्यादा से ज्यादा रेस्ट करें, इससे प्रेगनेंसी में होने वाले दर्द और हार्मोनल असंतुलन आदि से सुरक्षा में मदद मिलेगी.

30वें हफ्ते की प्रेगनेंसी में शिशु का विकास: इस सप्ताह में बच्चे में हल्की झुर्रियां दिखाई देती हैं. लेकिन स्किन के नीचे फैटी टिश्यू के बनने के कारण ये झुर्रियां चिकनी हो जाती हैं और कुछ समय बाद चली जाती हैं. लैन्यूगो नामक गर्भरोम अभी भी आपके बच्चे के बॉडी पर मौजूद होते हैं जो उसके पैदा होने तक रहेंगे. इस हफ्ते बच्चा लम्बाई में लगभग 17 इंच और वजन में 1.8 किलो का हो जाता है. बच्चा गर्भ के बाहर सांस लेने के लिए एक्सरसाइज करना शुरु कर देता है. इस एक्सरसाइज और बच्चे को हिचकी आने के कारण आपको यूटेरस में खलबली का अनुभव हो सकती है. बच्चा इस समय तक लगभग पूरी यूटेराइन कैविटी के साइज़ का हो जाता है. जैसे-जैसे मस्तिष्क का विकास होता जाता है, यह आंखों, मसल्स और लंग को कार्य करने के लिए संकेत देना शुरू कर देता है. पाचन तंत्र इस तीसवें सप्ताह में पूरी तरह से कार्य करना शुरु कर देता है, क्योंकि बच्चा आपसे सभी पोषक तत्वों को प्राप्त करता है.

30वें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स: जैसे जैसे डिलीवरी का समय नकदीक आता जाए तो आप नित्य तरीके से डॉक्टर से अपना चेकअप, अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट कराती रहें. इसके साथ अच्छा और पौष्टिक भोजन करें. यदि आपको कब्ज का अनुभव हो तो ज्यादा से ज्यादा फाइबर युक्त आहार खाएं और अधिक से अधिक आराम करें. आप प्रेगनेंसी क्लासेज भी ज्वाइन कर सकती हैं. ऐसा करने से आपको आलस दूर करके एक्टिव रहने में मदद मिलेगी. अगर आपको आराम करने में समस्या हो रही है, तो प्रेगनेंसी तकिया का इस्तेमाल करें. यह बाजार में उपलब्ध हैं और आमतौर पर प्रेग्नेंटमहिलाओं के लिए ही बनायीं गयी हैं.

प्रेगनेंसी के तीसवें हफ्ते में डाइट: प्रेगनेंसी के 30वें हफ्ते अर्थात तीसरी तिमाही की डाइट 29वें हफ्ते की डाइट के लगभग एक जैसी ही होती है. इस हफ्ते से आपको अधिक एनर्जी की जरुरत होगी. इसके लिए आपको अब रोजाना ज्यादा से ज्यादा कैलोरी का सेवन करने की जरूरत है. अपने बॉडी को पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर मोईस्चर बनाए रखें.

31वाँ सप्ताह-
जब से आप तीसरी तिमाही में प्रवेश करती हैं, तब से आपका और बच्चे का वज़न निरंतर बढ़ रहा होता है. संतुलित आहार लेना (जिसमें कब्ज में फायदा पहुंचाने के लिए फाइबर भरपूर मात्रा में होता है) और ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ जैसे पानी या जूस आदि पीना इस लास्ट स्टेज में महत्वपूर्ण होता है. अपने डॉक्टर के पास नित्य चेकअप के लिए जाती रहें और उनसे मन में उठ रहे सभी सवाल पूछें.

31वें हफ्ते की प्रेगनेंसी में बॉडी में होने वाले परिवर्तन: इस दौरान बच्चे का वजन बढ़ेगा और साथ ही आपका वजन भी बढ़ेगा. इस समय आपके यूटेरस का दर्द ठीक होता है तो पीठ में दर्द का एहसास हो सकता है. इसके बाद ज्यादातर गर्भवती महिलाएं लम्बे समय के लिए सहज तरीकें से सो नहीं पाती हैं. इसलिए ऐसी स्थिति में जितना संभव हो सके रेस्ट करने की कोशिश करें जो आपके लिए ज्यादा आरामदायक होगा. आपको पेट या पीठ के बल नहीं सोना चाहिए. हालांकि, इस समय के लिए एक विशेष प्रकार की प्रेगनेंसी तकिया आती है जो आपके पेट या पीठ के लिए सोते समय आराम प्रदान करती है. ब्रैस्ट में दूध का उत्पादन होना शुरु हो जाता है और एक पीला, चिपचिपा पदार्थ जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं निकल सकता है. यह एक सामान्य स्थिति होती है. हंसने, छींकने, खांसने पर अनजाने में मूत्र भी निकल सकता है और दुर्भाग्यवश यह होना भी सामान्य ही है. कीगल एक्सरसाइज और पैड का इस्तेमाल इस समय कारगर साबित हो सकते हैं.

31वें हफ्ते की प्रेगनेंसी में शिशु का विकास: इस हफ्ते में शिशु कि लम्बाई लगभग 15 इंच और वजन करीब 1.3 से 1.5 किलोग्राम तक हो जाता है. इस स्टेज पर बच्चा जन्म के समय होने वाले साइज़ का आधा होता है. क्योंकि अब शिशु में फैट स्टोर होने लगती है इसलिए अब बच्चे का वज़न इन दो महीनों में ज्यादा तेजी से बढ़ेगा. पाचन तंत्र और लंग लगभग विकसित हो जाते हैं और सही से कार्य करना भी शुरु कर देते हैं. कान पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं और बच्चा गर्भ के भीतर सब कुछ सुनने भी लगता है. इस लेवल पर शिशु को मां का सांस लेना और हार्ट बीट भी सुनाई देने लगती है. वो म्यूजिक और दूसरों की आवाज सुन सकता है. इस समय बहुत ज्यादा शोर-शराबे वाले माहौल से दूर रहने की कोशिश करें. पैरों और हाथों के नाखून पूरी तरह से बन जाते हैं और गर्भ में उसके खुद के ही लग सकते हैं. इस बिंदु पर एम्नियोटिक द्रव बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. शिशु इसे निगल लेता है और एक दिन में लगभग आधा लीटर तक मूत्र द्वारा निकाल भी देता है. यदि थैली में बहुत अधिक एम्नियोटिक द्रव है तो इसका मतलब यह हो सकता है कि आपका बच्चा निगलने की क्रिया ठीक से नहीं कर पा रहा है. उसे पेट सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं. बहुत कम एम्नियोटिक द्रव होने पर बच्चा ठीक से पेशाब भी नहीं कर पाता है अर्थात उसे किडनी सम्बन्धी समस्या भी हो सकती है.

31वें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स: इस सप्ताह के दौरान आपका वज़न स्थिर गति से बढ़ता है. इस समय में तेजी से वजन में वृद्धि कुछ महिलाओं के लिए भावनात्मक रूप से स्वीकार करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है. इसीलिए इस स्टेज पर आपके आस पास लोगों, हस्बैंड और रिश्तोदारों का होना बहुत जरुरी होता है. इससे आपको यह पता लगता है कि आप जो अनुभव कर रहे हैं, आप के साथ साथ और लोग भी कर रहे हैं.

प्रेगनेंसी के 31वें हफ्ते में डाइट: प्रेगनेंसी के 31वें हफ्ते अर्थात तीसरी तिमाही की डाइट 29वें और 30वें हफ्ते की डाइट के समान ही होती है. बॉडी को हाइड्रेटेड रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें. इसके साथ ही अब से आपको प्रतिदिन कम से कम 300 कैलोरी का सेवन करना शुरु कर देना चाहिए ताकि गर्भावस्था में कोई समस्या न आये क्योंकि अब आपको अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी.

34वाँ सप्ताह-
जैसे जैसे 34वां सप्ताह शुरु होता है आपको बेचैनी महसूस हो सकती है. डॉक्टर के पास नियमित अपॉइंटमेंट्स पर जाती रहें क्योंकि वह आपको डिलीवरी के चरणों के लिए तैयार करते हैं और आपकी स्वास्थ्य जांच के लिए भी यह बहुत ज़रूरी होता है. प्रत्येक प्रेगनेंसी अलग प्रकार की होती है और कुछ महिलाओं की तो 40 सप्ताह की अवधि भी पूरी नहीं हो पाती है और डिलीवरी हो जाती है क्योंकि डॉक्टर द्वारा डिलीवरी का निर्धारित समय 36-40 हफ़्तों के बीच का ही होता है जिसमें बच्चा कभी भी पैदा हो सकता है और परिपक्व होता है. इस दौरान आपके डॉक्टर अगले कुछ हफ्तों में ग्रुप बी स्ट्रेप बैक्टीरिया की जांच के लिए योनि के नमूने को कल्चर करेंगे. ग्रुप बी स्ट्रेप एक बैक्टीरिया है जो कुछ महिलाओं में योनि और आंत में पाया जाता है और अगर इसका उपचार नहीं किया जाता है तो यह आपके नवजात शिशु में संक्रमण का कारण बन सकते हैं. यदि आप ठीक होती हैं, तो डॉक्टर बैक्टीरिया की मात्रा और संक्रमण की संभावना कम करने के लिए, डिलीवरी के दौरान आपको नसों द्वारा एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं.

34वें हफ्ते की प्रेगनेंसी में बॉडी में होने वाले परिवर्तन: इस सप्ताह में आपको महसूस होने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि आपकी छाती और फेफड़ों पर भार पड़ना कम हो जाएगा. ऐसा आपके बच्चे के पेल्विक एरिया में नीचे चले जाने के कारण होता है. आपका गर्भाशय, नाभि के करीब 5½ इंच ऊपर होना चाहिए. आपकी नाभि बेहद सेंसिटिव होती है और यदि यह अभी तक उभर कर बाहर नहीं आयी है तो अब यह आ सकती है. कुछ महिलाओं के हार्टबर्न और हाथ, कलाई, चेहरे, पैर, टखनों और पंजों में सूजन आने लगती है. यदि सूजन के साथ गंभीर सिरदर्द, चक्कर या ऊपरी पेट में दर्द का अनुभव भी हो तो डॉक्टर से कांटेक्ट करें क्योंकि यह प्री-एक्लेमप्सिया का संकेत हो सकता है. सूजन का एक और कारण वाटर रिटेंशन भी हो सकता है और इसे कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. कम पानी पीने से स्थिति और भी गंभीर होती है.

34वें हफ्ते की गर्भावस्था में बच्चे का विकास: जैसे जैसे आपका बच्चा लम्बाई और वजन में बढ़ता है उसका वज़न करीब 2.2 किलो और लम्बाई लगभग 15 ½ से 17½ इंच के बीच हो जाती है. फेफड़ों के आलावा अधिकांश अंग लगभग पूरी तरह से परिपक्व हो चुके होते हैं. चेहरे की विशेषताएं या आकृतियां इस बिंदु पर बिलकुल स्पष्ट होती हैं. त्वचा के नीचे वसा का निर्माण होने के कारण अब बच्चा थोड़ा फूला हुआ सा (मोटा) दिखाई देगा. वह निर्धारित तारीख तक थोड़ा थोड़ा बढ़ता रहेगा. आप उसकी हिचकियों को भी महसूस कर सकती हैं जो सामान्य प्रक्रिया है.

34वें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स: यदि आपको हार्टबर्न की शिकायत होती है तो दो या तीन बार ज्यादा मात्रा में भोजन करने के बजाय प्रतिदिन छह या सात बार कम मात्रा में भोजन करने का कोशिश करें. इसके अलावा, टाइट कपड़े न पहनें और महसूस होने वाली असुविधा को कम करने के लिए लूज़ और आरामदायक कपड़े पहनें. इसके साथ ही कुछ दिनों तक अपनी बॉडी में मालिश करवाएं. इससे आपके बॉडी में होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है.

प्रेगनेंसी के 34वें हफ्ते में डाइट: 34वें हफ्ते की डाइट 33वें हफ्ते के लगभग एक जैसी ही होती है. इस समय विशेष रूप से विटामिन K से भरपूर फल और सब्जियां अपने डाइट में शामिल करें. विटामिन के आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरुरी पोषक तत्व है साथ ही यह ब्लड क्लॉट ज़माने में भी मदद करता है.

39 वाँ सप्ताह-
यदि आप गर्भावस्था के 39वें सप्ताह में हैं तो किसी भी समय आपकी डिलीवरी हो सकती है. अपनी प्रेगनेंसी के इन आखिरी क्षणों का आनंद लें, क्योंकि मां बनने के बाद आपको नयी मुश्किलों का सामना करना होगा. अब किसी भी समय आपको लेबर पेन हो सकती है. आप अपने रोजाना के कार्यों को करती रहें, लेकिन ध्यान रखें कि बच्चा किसी भी समय पैदा हो सकता है इसलिए ज्यादा परिश्रम वाला काम बिलकुल न करें.

39वें हफ्ते की गर्भावस्था में शरीर में होने वाले बदलाव: जैसे ही 39वें हफ्ते की शुरुआत होती है आपको हर समय परेशानी का सामना करना पड़ता है. आपको बैठने या लेटने के बाद उठने में समस्या होती है. आपके ब्रैस्ट और अधिक संवेदनशील हो जाएंगे मतलब उन्हें स्पर्श करने पर दर्द होगा. कोलोस्ट्रम नामक फ्लूइड जिसे मां का पहला दूध भी कहा जाता है, आपके स्तनों से स्रावित होने लगेगा. आपके बॉडी के हर हिस्से में सूजन होने लगेगी. लेकिन इस दौरान ज्यादा से ज्यादा पानी पीना बहुत जरुरी है. यदि आपको अभी तक प्रसव जैसी क्रैंप का अनुभव नहीं हुआ है तो अब आपको उसका अनुभव होना भी शुरू हो जायेगा. यदि इस सप्ताह आपकी पानी की थैली फट जाती है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और हॉस्पिटल जाएं.

39वें हफ्ते की गर्भावस्था में बच्चे का विकास: यदि आपका बच्चा इस हफ्ते में पैदा होता है, तो वह स्वस्थ होगा और उसके सभी अंग कार्य भी करेंगे. उसके लंग 39वें सप्ताह तक विकसित तो होते हैं, लेकिन जन्म के बाद भी वे पूरी तरह से कार्य करने में सक्षम नहीं होते हैं. इस हफ्ते बच्चे का वज़न लगभग 3.1 किलोग्राम या उससे ज्यादा होता है. यदि इस हफ्ते भी डिलीवरी नहीं होती है तो बच्चा जन्म तक गर्भ में ही एक्टिव रहता है. इसलिए, यदि इस लेवल पर बच्चे की एक्टिविटी में कमी महसूस हो तो अपने डॉक्टर से काॅंटैक्ट करें.

39वें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स: यदि आपको सोने में समस्या हो रही है, तो एक झुकाव वाली कुर्सी या सोफे में सोने की कोशिश करें. यदि आपके पास ऐसी कुर्सी नहीं है तो अधिक तकिया अपने सिर या पैरों के नीचे लगा कर सही पोजीशन बना कर रेस्ट करें. ज्यादा पानी पिएं और संतुलित आहार खाएं. हालांकि इस समय आराम करना बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन उसके साथ साथ एक्टिव रहना भी उतना ही जरुरी होता है. जब भी अनुकूल हो एक्सरसाइज ज़रूर करें और रोजाना थोड़ी देर टहलने की कोशिश करें.

प्रेगनेंसी के 39वें हफ्ते में डाइट: इस समय लेबर पेन को सहने के लिए और ज्यादा ताकत वाली चीज़ें खाएं और पौष्टिक आहार खाती रहें. कार्बोहाइड्रेट, प्रसव के समय के लिए बहुत लाभदायक पोषक तत्व होता है, इसलिए आप पके हुए आलू, टोस्ट और केले का सेवन करें. तरल पदार्थों का सेवन करने के लिए, नींबू, शहद का पानी, नारियल पानी और फलों का जूस पिएं. ब्रैस्टफीडिंग के लिए अपने डाइट में, विभिन्न पोषक तत्वों जैसे सब्जियां, फल, चिकन, साबुत अनाज और टोन्‍ड मिल्‍क (बिना फैट वाला दूध) को शामिल करें.

chat_icon

Ask a free question

Get FREE multiple opinions from Doctors

posted anonymously
doctor

Book appointment with top doctors for Pregnancy Query treatment

View fees, clinc timings and reviews
doctor

Treatment Enquiry

Get treatment cost, find best hospital/clinics and know other details