Lybrate Logo
Get the App
For Doctors
Login/Sign-up
Last Updated: Nov 07, 2023
BookMark
Report

Nirgundi Benefits and Side Effects in Hindi - निर्गुण्डी के फायदे और नुकसान

Profile Image
Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
Topic Image

हिमालय की तराई क्षेत्र में पाए जाने वाले निर्गुंडी के फायदे आपको मांसपेशियों को आराम देने और दर्द से राहत में मिल जाएंगे इसके अलावा निर्गुंडी मच्छरों को भी दूर करती है. और चिंता एवं अस्थमा को दूर करने वाली एक बहुत अच्छी औषधि मानी जाती है. निर्गुंडी का वैज्ञानिक नाम वाइट टैक्स निर्गुंडी है. निर्गुंडी की पत्तियां 5 - 5 के समूह में लगी होती हैं गर्म तासीर वाले निर्गुंडी का प्रयोग अंबानी और आंतरिक दोनों रूपों में कर सकते हैं मुख्य रूप से निर्गुंडी मध्य एशिया और भूमध्य सागर में पाई जाने वाली में पाया जाने वाला पौधा है.

1. पाचन में सुधार
पाचन में सुधार के लिए भी निर्गुंडी का प्रयोग किया जाता है. दरअसल निर्गुंडी भूख को उत्तेजित करती है. इसके अलावा यह एक कृमिनाशक के रूप में भी कार्य करती है. इसलिए पाचन तंत्र की सफाई करने वाले एजेंट के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए निर्गुंडी के 10 पत्तों पत्तों का 10 मिलीमीटर रस और दो किसी हुई काली में एवं अजवाइन के साथ सुबह शाम सेवन करने से पाचन शक्ति में सुधार होता है.
2. गठिया के उपचार में
निर्गुंडी गठिया में गठिया के उपचार में भी लाभदायक साबित होती है. निर्गुंडी के पत्तों से निकाले हुए तेल की हल्की मालिश गठिया संधि शोथ साइटिका आदि में आराम पहुंचाती है. इसके पत्तों का काढ़ा रोजाना सुबह-शाम पीने से भी इसमें फायदे मिलते हैं. इसके साथ ही यह मस्तिष्क टॉनिक के रूप में भी काम करता है.
3. त्वचा को चमकदार बनाने में
त्वचा की चमक को बरकरार रखने में भी निर्गुंडी का प्रयोग किया जाता है. त्वचा से रूखापन चेहरे से मुंहासों आदि को दूर करने में भी निर्गुंडी की मुख्य भूमिका होती है. इससे त्वचा में चमक भी आती है.
4. बालों के लिए
निर्गुंडी का नियमित प्रयोग बालों के गिरने को तो रोकता ही है. बालों का विकास भी करता है. यदि आप नियमित रूप से निर्गुंडी का प्रयोग बालों के लिए करते हैं तो आपके बाल बालों का सफेद होने की संभावना भी काफी हद तक कम हो जाती है. इस तरह से निर्गुंडी के पत्तों से बने तेल को बालों के लिए टॉनिक के रुप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
5. खांसी के उपचार में
यदि आप खांसी की समस्या से परेशान हैं तो निर्गुंडी इसमें भी आपकी मदद करता है. दरअसल निर्गुंडी कब से भरे हुए रास्ते को साफ कर श्वसन को सुचारू बनाता है. इसके लिए निर्गुंडी के पत्तों के रस को हल्की आग पर चढ़ाकर गाढ़ा करके लगातार 7 दिन तक लेना होता है. ऐसा करने से खांसी निमोनिया दमा और ब्रोंकाइटिस आदि रोग नष्ट होते हैं.
6. घाव भरने के लिए
निर्गुंडी के पत्ते निर्गुंडी के पत्तों से बनाया हुआ तेल पुराने से पुराने घाव को भी भर सकता है. आप चाहें तो निर्गत निर्गुंडी के पत्तों को पीसकर लेप बना कर भी छोटी लिया सूजन वाले स्थान पर लगा सकते हैं. इससे भी आपको आराम मिलता है और घाव भी जल्द से जल्द ठीक होता है. निर्गुंडी के पत्तों का काढ़ा बनाकर भी आप प्रभावित क्षेत्रों को धो सकते हैं. इससे भी उस मक्खी मच्छर या आधी आपके गांव के आसपास नहीं आएंगे निर्गुंडी में एंटीबैक्टीरियल और सूजन को कम करने वाले गुणों की वजह से ऐसा होता है.
7. बांझपन में
बांझपन कई महिलाओं के लिए काफी परेशान करने वाली बीमारी है. इस समस्या से निपटने में भी निर्गुंडी के सकारात्मक प्रभाव देखे गए हैं. शोधों से पता चलता है कि 200 मिलीग्राम निर्गुंडी बचपन की विभिन्न समस्याओं नेतृत्व की मदद कर सकती है. 10 ग्राम निर्गुंडी 100 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रख दें. सुबह में इसके चौथाई होने तक उबालें और इसे जानने के बाद इसमें 10 ग्राम पिसा हुआ गोखरू मिलाकर पीरियड्स खत्म होने के बाद पहले दिन से लगभग 1 सप्ताह तक सेवन करते रहें ऐसा करने से महिलाएं गर्भ धारण करने के योग्य हो जाती हैं.
8. बुखार के लिए
निर्गुंडी की पत्तियां बुखार में भी काफी उपयोगी साबित होती है. दो गिलास पानी में निर्गुंडी की पत्ती को 15 मिनट तक उबालें इसके बाद काढ़े को छानकर इसे तीन भागों मेन बाँट लें. फिर 4 घंटे के अंतराल पर दिन में 3 बार इसका सेवन करने से आपको बुखार में काफी राहत मिलेगी. निर्गुंडी के बीज ग्राम पत्तों को 400 मिलीलीटर पानी में इसके चौथाई होने तक उबालें. इसके बाद इस कार्य में 2 ग्राम पीपल का चूर्ण डालकर सुबह शाम 10 से 20 मिलीलीटर पीने से सिर सिर दर्द बुखार और जुकाम में राहत मिलती है.
9. माइग्रेन में
निर्गुंडी के पत्ते माइग्रेन में भी फायदेमंद साबित होते हैं. निर्गुंडी के पत्तों को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाएं. इस पेस्ट को माथे पर लगाने से आपको राहत मिलती है. इसके अलावा इसके सूखे पत्तों का धुंआ करके उसे सूंघने से भी आप लाभ प्राप्त कर सकेंगे. इसके अलावा निर्गुंडी के ताजे पत्तों के रस को हल्का गर्म करके दो-दो बूंद कान में डालने से भी माइग्रेन का दर्द खत्म होता है.
10. सूजन में
निर्गुंडी के पत्तों का रस 10 से 20 मिलीमीटर रोजाना सुबह-शाम लेने से हृदय की सूजन में लाभ मिलता है. विटामिन सी से भरपूर निर्गुंडी को एक बहुत अच्छा प्राकृतिक एंटीबायोटिक माना जाता है. इसके साथ ही यह सूजन को भी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यही कारण है कि निर्गुंडी की जड़ के सेवन से इस के काटने से कुल्ला करने से टॉन्सिल भी खत्म होता है.

निर्गुंडी के नुकसान

  • निर्गुंडी की अधिक मात्रा में सेवन करने से आपको जलन और सिर में दर्द जैसा दुष्परिणाम देखने को मिल सकता है. इसके अलावा किडनी पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है.
  • गर्म प्रकृति वाले लोगों को इसका सेवन करने से बचना चाहिए.
  • निर्गुंडी के आंतरिक प्रयोग के लिए चिकित्सकों की सलाह महत्वपूर्ण है.
     

chat_icon

Ask a free question

Get FREE multiple opinions from Doctors

posted anonymously
doctor

Book appointment with top doctors for Staying Healthy treatment

View fees, clinc timings and reviews
doctor

Treatment Enquiry

Get treatment cost, find best hospital/clinics and know other details