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Last Updated: Nov 05, 2020
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माहवारी सम्बन्धी समस्याएं - Mahawari Sambandhi Samasayen!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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महावारी महिलाओं में होने वाली एक प्रकृतिक प्रक्रिया है जो कि एक निश्चित अंतराल पर होती रहती है. महिलाएं पेट के अंदर अपने युटेरस के दोनों तरफ दो छोटे, अंगूर के साइज के ओवरी के साथ पैदा होती हैं. युटेरस सैकड़ों अंडे से भरा होता है. जब आप यौवन तक पहुंचते हैं तो आपका ओवरी हार्मोन (विशेष रूप से एस्ट्रोजेन) बनाता हैं जिससे स्तन का विकास और मासिक धर्म का आरम्भ होता है. आपके मस्तिष्क में पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा गोनैडोट्रोपिन नामक रासायनिक संदेशवाहक (FSH और LH) का स्राव किया जाता है, जो कि आपके अंडाशय को महीने में एक बार एक परिपक्व अंडा जारी करने का सन्देश देता है. अंडा फिर गर्भाशय की ओर जाता है. अगर अंडे को शुक्राणु द्वारा निषेचित नहीं किया जाता है, तो दो हफ्ते बाद, मोटी, खूनी अस्तर (एंडोमेट्रियम) जो आपके गर्भाशय में पीरियड्स के बीच बनाता है, आपकी योनि के माध्यम से आपके शरीर से बाहर निकलता है यह प्रवाह, जो रक्त के रूप में आता है, यह आपकी मासिक धर्म है. पूरी प्रक्रिया को माहवारी कहा जाता है, यह तब शुरू होता है जब आपका शरीर इसके लिए तैयार हो जाता है. आइए इस लेख के माध्यम से हम माहावारी संबंधी विभिन्न समस्याओं पर एक नजर डालें ताकि इस विषय में लोगों में जागरूकता फैल सके.

लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है-
जब मासिक धर्म (मासिक धर्म) नियमित रूप से आते हैं, इसे मासिक धर्म चक्र कहा जाता है. नियमित मासिक धर्म होने पर यह संकेत मिलता है कि आपके शरीर के महत्वपूर्ण अंग सही काम कर रहे हैं. मासिक धर्म चक्र आपको स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण शारीरिक रसायनों, जिन्हें हार्मोन कहा जाता है, प्रदान करता है. आपका मासिक धर्म चक्र आपके शरीर को प्रत्येक माह गर्भावस्था के लिए तैयार करता है एक चक्र पीरियड के पहले दिन से गिना जाता है. औसत मासिक चक्र 28 दिन लंबा होता है. हालाँकि यह चक्र वयस्कों में 21 से 35 दिनों के बीच और युवा किशोरों में 21 से 45 दिनों तक का भी हो सकता हैं. पुरे महीने के दौरान हार्मोन के स्तर में वृद्धि और गिरावट मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करती है.

नियमित तौर पर ख़ून का अंदरुनी हिस्से से स्राव होना-
महिलाओं के शरीर में चक्रीय हार्मोस में होने वाले बदलावों की वज़ह से गर्भाशय से नियमित तौर पर ख़ून और अंदरुनी हिस्से से स्राव होना माहवारी कहलाता है. जब कोई लड़की पैदा होती है, तो उसके अण्‍डाशयों में पहले से लाखों अपरिपक्‍व अण्‍डाणु मौजूद होते हैं. जवान होने पर, उनमें से दसियों अण्‍डे महीने में एक बार हार्मोन उत्तेजित (हार्मोनल स्टिमुलेशन) होने की वजह से विकसित होने शुरू हो जाएंगे. आमतौर पर, प्रत्‍येक चक्र के दौरान अण्‍डाशय में केवल एक ही अण्‍डा परिपक्‍व होता है और गर्भाशय में छोड़ा जाता है, जिसे अण्‍डोत्‍सर्ग कहा जाता है. उसी समय, गर्भावस्‍था की तैयारी में गर्भाशय का भीतरी हिस्सा मोटा होना शुरू हो जाता है. यदि यह अण्‍डाणु निषेचित नहीं होता, तो यह गर्भाशय के भीतरी हिस्से के अतिरिक्‍त ऊतकों के साथ माहवारी ख़ून के रूप में योनि से निकलना शुरू हो जाता है. यौन रूप से सक्रिय किसी भी महिला में गर्भधारण की संभावना रहती है. यदि आपको माहवारी नहीं आई, तो कृप्‍या अपने स्‍वास्‍थ्‍य देखरेख प्रदाता से सलाह प्राप्‍त करें.

माहवारी का विभिन्न कारणों से अनियमित हो जाना-

  • वज़न सामान्‍य से अधिक अथवा कम होना.
  • खान-पान संबंधी विकार जैसे कि एनोरेक्सिया नर्वोसा का होना.
  • बहुत अधिक कसरत करना.
  • तनाव होना.
  • कुछ दवाएं जैसे गर्भनिरोधक इंजेक्‍शन लेना.
  • मादक पदार्थों का सेवन करना.
  • स्‍तनपान कराना.
  • स्‍थाई बीमारियां या हार्मोन संबंधी विकार जैसे पॉलिसि‍स्टिक ओवरी सिंड्रम या थायराइड आदि होना.
  • ऐसी स्थितियां, जो डिम्‍बग्रंथि के कार्यको प्रभावित करती हैं.

माहवारी की पूरी प्रक्रिया काफी कष्टदायक है-
माहवारी का दर्द आमतौर पर माहवारी शुरू होने के कुछ समय पहले अथवा माहवारी शुरू होने पर होता है. आमतौर पर पेट के निचले हिस्‍से में हल्‍के से लेकर तेज़ पेट दर्द महसूस होता है. आमतौर पर भारी रक्‍तस्राव होने की स्थिति में तेज़ दर्द होता है. दर्द की वजह से पेट में गड़बड़ी हो सकती है, जैसे कि उल्‍टी आना अथवा पतला मलत्‍याग करना. माहवारी का दर्द 2 प्रकार का होता है: -
* किसी चिकित्‍सीय अवस्‍था की वजह से न होने वाला दर्द. यह आमतौर पर युवा महिलाओं में माहवारी आना शुरू होने के थोड़े समय बाद होता है.
* किसी अंतर्निहित अवस्‍था की वजह से होने वाला दर्द. यह एन्‍डोमेट्रिऑसिस, पेडू के संक्रमण, इंट्रायूट्रिन गर्भनिरोधक डिवाइस आदि के प्रयोग की वजह से हो सकता है.

आपको माहवारी आना बंद हुए एक साल होने के बाद योनि से ख़ून निकलना

  • 40 वर्ष की आयु में अथवा इसके बाद माहवारी के दौरान दर्द होना शुरू होना
  • मासिक चक्र 21 दिन से कम अवधि का होना
  • बहुत अधिक माहवारी आना (प्रश्‍न 4 देखें)
  • माहवारी के दौरान तेज़ दर्द होना / पेट दर्द होना
  • आपकी आयु 45 वर्ष से कम है और आपको एक वर्ष से माहवारी नहीं हुई है
  • यदि आपके कोई भी प्रश्‍न हैं, तो कृपया स्‍वास्‍थ्‍य पेशेवर से सलाह लें.
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