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Last Updated: May 04, 2023
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कौंच के बीज के नुकसान

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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कौंच के बीज इसकी फलियों में पाए जाते हैं। ये सम्बी बेलों पर निकलते हैं।कौंच की फलियां मबल रूप से दक्षिणी चीन और पूर्वी भारत में पाई जाती हैं। हालांकि, अब ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में इनकी खेती व्यापक रूप से होती है। इस पौधे का जीवनकाल छोटा होता है। कौंच के बीज का उपयोग मुख्य रूप से औषधीय जड़ी बूटी औऱ जैविक खाद और जानवरों के चारे के रूप में करते हैं।

दुनिया भर में फैले होने के कारण कौंच के पौधे को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे काउहेज ,किवांच और कोविच नाम से पुकारा जाता है। प्राचीन आयुर्वेद में कौंच की फलियों का उपयोग एक दवा के रूप में किया जाता रहा है जो चिंता, अवसाद, पेचिश, सांप के काटने और बांझपन के इलाज में मदद करती है। इसके अलावा, कौंच की फलियों का अर्क खांसी, मधुमेह और कैंसर के इलाज में भी मदद करता है।

कौंच के बीज दो प्रकार के होते हैं। एक वो जिनकी खेती की जाती है और दूसरे वो जो जंगल में अपने आप उग आते हैं।कौंच के बीज का इस्तेमाल का उपयोग कई गम्भीर बीमारियों जैसे मिर्गी ,पार्किंसन्स, इनफर्टिलिटी और सेक्सुअल पावर बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।

वैसे तो अधिकतर कौंच के बीज के सेवन के फायदों की ही बात होती है पर इसके कुछ नुक्सान भी हो सकते हैं।आइए आपको बताते हैं कि इन बीजों के अधिक इस्तेमाल से क्या परेशानियां हो सकती हैं।

 

1. कौंच का बीज कर सकता है पेट में गड़बड़

कई बार हम किसी औषधि का इस्तेमाल बस उसके गुणों के बारे में सुनकर ही शुरु कर देते हैं। ये जानने की कोशिश नहीं करते कि उसे कितनी मात्रा में या कितने दिनों तक लेना है। औऱ क्या उस औषधि के अधिक सेवन कर लेने से कोई समस्या भी हो सकती है। कुछ इसी प्रकार कौंच के बीज का सेवन करने वाले इसके तमाम गुणों के बारे में सुनकर इसका सेवन करने लगते हैं बिना यह जाने कि इसकी अधिक मात्रा उनकी सेहत को खराबी भी कर सकती है। यदी आप दिन में दो बार कौंच के बीजों का सेवन करते हैं तो ये आपका पेट खराब कर सकते हैं। इनके अधिक सेवन से आपको दस्त या डायरिया की समस्या हो सकती है। शरीर की ऐसी किसी भी प्रतिक्रिया पर इसका सेवन तुरंत बंद कर दें।

2. वज़न में अवांछित कमी

हम में से कई लोग वज़न कम करने के कई जतम करते हैं पर वज़न कम नहीं हो पाता वहीं कुछ लोग पहले से ही कम वज़न वाले होते हैं औऱ वज़न बढ़ाने की तरकीब ढूंढते रहते हैं। ऐशे लोगों के लिए कौंच के बीज का सेवन करनी ठीक नहीं है। कौंच के बीज का लगातार सेवन करने से आपका वज़न तेज़ी से कम हो सकता है । पहले से दुबले पतले लोगों के लिए यह कमज़ोरी का कारण बन सकता है।

3. आंतों के लिए खतरनाक है

कौंच के बीज जानकार मानते हैं कि कौंच के बीज का ज़रूरत से ज्यादा सेवन करने से आपकी आंतों पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके लगातार सेवन से आंतों के काम करने की गति सामान्य से अधिक हो जाती है जिसके कारण आपके शरीर की पूरी आंतरिक  प्रणाली पर असर पड़ता है। इससे आपको लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। अगर ब्लड प्रेशर सामान्य से कम होता है या फिर अधिक दोनों ही स्थिति आपके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं। इसलिए इसका सेवन उचित मात्रा में ही करें।आंतों की कार्यप्रणाली में बदलाव के कारण पेट दर्द और पाचन संबंधी परेशानियां भी आ सकती है।

4. कई रोगों में मना है कौंच के बीज का सेवन

विशेषज्ञ मानते हैं कि कई गम्भीर बीमारयों में कौंच के बीज का सेवन नहीं करना चाहिए । कौंच के बीज का सेवन इन बीमारियों के लक्षणों को बढ़ा भी सकता है। दरअसल कई बड़ी बीमारियों में आप लगातार उन रोगों से संबंधित दवाएं ले रहे होते हैं ।ऐसे में कौंच के बीज के सेवन से उस उपचार में बाधा उत्पन्न हो सकती है। हो सकता है कुछ दवाएं इसके सेवन से शरीर में अलग ही रिएक्शन पैदा करें। जिन बीमारियों में कौंच के बीज को ना लेने की सलाह दी जाती है उनमें ब्रेन ड़िस्ऑर्डर, ग्लूकोमा, हृदय संबंधी बीमारियां, और गुर्दे की बीमारियां शामिल हैं।

 

5. गर्भावस्था में ना करें सेवन

गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इनके इस्तेमाल से बचने की सलाह दी जाती है।

दरअसल इसमें एक ऐसा तत्व मौजूद होता है जो आपके यूटरस पर प्रभाव डाल सकता है। इसके सेवन से गर्भाशय में कई रसायनिक परिवर्तन हो सकते हैं जिनके कारण गर्भाशय फट भी सकता है। इसके अलावा गर्भाशय पर पड़ने वाले असर के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे में भी कई प्रकार की समस्याएं या विकृति पैदा हो सकती है।

6. लिवर की समस्या वाले रहे दूर

विशेषज्ञ कहते हैं कि लिवर से संबंधित समस्याओँ में भी कौंच के बीज का सेवन खतरनाक हो सकता है। कौंच के बीज में लिवोडोपा नाम का तत्व मौजूद होता है जो शरीर में सिरम ग्लूटैमिक ऑक्सेलोसिटिक ट्रांस्अमिनेस यानी एसजीओटी की मात्रा बढ़ा देता है। इनके बढ़ने से लिवर सामान्य तौर पर काम नहीं कर पाता।

 

7. भ्रम की स्थिति पैदा कर सकते हैं कौंच के बीज

कौंच के बीड का अत्यधिक सेवन करने से शरीर में लिवोडोपा की मात्रा अधिक हो जाती है। इसके कारण शरीर डोपामीन का उत्पादन शुरु कर देता है जो आपको हैलुसिनेशन और भ्रम की स्थिति में पहुंचा सकता है। अधिक गम्भीर स्थिति में व्यक्ति के शीजोफ्रेनिया भी हो सकता है।

 

8. कौंच के बीज में होते है एंटी न्यूट्रिएंट

कई अलग अलग शोध ये बताते है कि कौंच के बीज में कुछ ऐसे तत्व भी होते हैं जो एंटी न्यूट्रिएंट कहलाते हैं। जैसे टैन्निन्स,फिनॉल्स आदि। इसलिए इन बीजों का सेवन करने से पहले इन्हें कुछ देर भिगो कर छोड़ देना चाहिए जिससे अनचाहे तत्वों से छुटकारा मिल सके।

ये तो हमने बात की कौंच के बीज से होने वाले नुक्सान की पर ये भी सच है कि अगर इनका उचित मात्रा में सेवन किया जाए तो कई बीमारियों में लाभ भी हो सकता है।आइए जानते हैं कि इसके सेवन से क्या लाभ हो सकते हैं।

1. मस्तिष्क के कामकाज में सुधार

जैसा हमने आपको पहले भी बताया कि कौंच के बीज में सबसे शक्तिशाली फाइटोन्यूट्रिएंट लेवोडोपा (एल-डोपा) नामक एक एमिनो एसिड होता है। यह डोपामाइन का अग्रदूत है और डोपामाइन न्यूरोट्रांसमिशन को बढ़ाने के लिए रक्त-मस्तिष्क की बाधा को पार करता है। दरअसल डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो तंत्रिका संकेतों को प्रसारित करने में मदद करता है। हमारे शरीर में सतर्कता, एकाग्रता, खुशी, याददाश्त आदि को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त डोपामाइन की आवश्यकता होती है। अन्य न्यूरोट्रांसमीटर जैसे सेरोटोनिन और एड्रेनालाईन के साथ, मिलकर  यह  मोटर नियंत्रण, नींद ,तनाव ,प्रतिक्रिया और पाचन, हार्मोन संश्लेषण को नियंत्रित करता है।इसलिए इसके सीमित मात्रा में प्रयोग करना आपके मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बेहतर भी बना सकता है।

2. कैंसर विरोधी प्रभाव

रेडिकल सेल में क्षति कैंसर का प्राथमिक कारण है। कौंच के बीज के नियमित अनुशंसित सेवन से कैंसर विरोधी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। यह आपके शरीर में ग्लूटाथियोन, सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज और कैटेलेज के स्तर को बढ़ा सकता है। ये शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट हैं और आपकी कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाली क्षति से बचा सकते हैं। इसके अलावा, एंटीऑक्सिडेंट कोशिकाओं के ऑक्सीकरण को भी रोकते हैं। कोशिकाओं में ऑक्सीकरण कोशिकाओं के आवश्यक घटकों को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए, अपने आहार में कौंच के बीज को शामिल करने से कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोका और प्रतिबंधित किया जा सकता है।इनमें मौजूद मेथनॉल की मात्रा भी ट्यूमर के विकास को कम कर सकती है।

3. स्वस्थ प्रजनन प्रणाली

कौंच के बीज का रस प्रजनन संबंधी समस्याओं में सुधार कर सकता है। इनमें एल्कलॉइड की एक विस्तृत श्रृंखला होती है, जो टेस्टोस्टेरोन संश्लेषण को पुनर्जीवित कर सकती है। नतीजतन, यह आपके शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और व्यवहार्यता को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, टेस्टोस्टेरोन में सुधार स्वस्थ शुक्राणुओं के बेहतर सिंथेसिस में मदद कर सकता है। कम टेस्टोस्टेरोन, असामान्य एफएसएच और प्रोलैक्टिन बांझपन के कारण बनता है। इन बीजों के सेवन से एफएसएच और प्रोलैक्टिन कम हो सकते हैं। इसलिए, यह महिला प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकता है।

यह टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को भी बढ़ाता है, जो शुक्राणु संश्लेषण के लिए एक आवश्यक पुरुष हार्मोन है।

5. कौंच के बीज बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकता है

जानकार मानते हैं कि कौंच के बीजों का रस हेक्सेन, क्लोरोफॉर्म और मेथनॉल अर्क की जीवाणुरोधी गतिविधि को प्रदर्शित करता है।ये सभी अर्क बैक्टीरिया और फंगस की विभिन्न प्रजातियों के खिलाफ रोगाणुरोधी गतिविधि प्रदर्शित करते हैं। हालांकि, कौंच के बीजों का मेथनॉल अर्क सभी जीवाणु और फंगस प्रजातियों के खिलाफ उच्चतम रोगाणुरोधी गतिविधि को दर्शाता है। लोग आंतों में होने वाले कीड़ों के इलाज में भी इन बीजों के अर्क का उपयोग करते हैं। इसके पौधे की जड़ें भी जीवाणुरोधी होती हैं। किसान अक्सर उनका उपयोग बैक्टीरिया और दूसरे कीटाणुओं को पेड़ों और पौधों से दूर रखने के लिए करते हैं।

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