Jatamansi (Spikenard) Benefits and Side Effects in Hindi - जटामांसी के फायदे और नुकसान
धरती पर पाए जाने वाले तमाम औषधियों गुणों वाले पौधों में जटामांसी से होने वाले फायदे भी महत्वपूर्ण हैं. जटामांसी का का नाम अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग है; जैसे कि गुजराती में जटामांसी या बालछड़, तेलगू में जटामांही, पहाडी क्षेत्रों में भूतकेश आदि नाम प्रचलित हैं. किसी साधू की जटाओं जैसी दिखने वाली रोयेंदार तने और तेज महक समाहित किए जड़ वाली जटामांसी के तने व जड़ का प्रयोग दवा के रूप में करते हैं. फायदे तो इसके बहुत सारे हैं लेकिन ठीक से इस्तेमाल न करें तो इसके नुकसान भी खूब हैं. इसलिए आइए जटामांसी के इस्तेमाल से होने वाले फायदों और इसकी सीमाओं को समझें.
जटामांसी के फायदे निम्लिखित हैं-
1. मेनोपॉज और मासिक धर्म के समय: महिलाओं के मेनोपॉज और मासिक धर्म के समय जटामांसी काफी फायदेमंद साबित होता है. मेनोपॉज के समय तो यह विशेष रूप से मददगार साबित होता है. वहीं मासिक धर्म के दौरान होने वाले कष्ट से छुटकारा पाने के लिए आप जटामांसी का काढ़ा पी सकती हैं.
2. शर्बत के रूप में: जटामांसी के फायदे इसके बने शर्बत में भी नजर आता है. इसके साथ ही ये आपके शरीर से जमे हुए काफ को भी निकालने में मदद करता है.
3. मस्तिष्क और नाड़ी विकार में: जटामांसी के लाभ हमारे मस्तिष्क और नाड़ियों के रोगों में भी हमारी मदद करते हैं. हलांकि इसके काम करने की गति थोड़ी धीमी होती है लेकिन असरदार भरपूर होती है.
4. मनोविकारों में: कई तरह के मनोविकारों जैसे कि पागलपन, हिस्टीरिया, मिर्गी, मन बेचैन होना, याददाश्त कम होना आदि रोगों में भी जटामांसी के फायदों से हम रोग के प्रभाव से हम मुक्त होते हैं.
5. आँखों के लिए: यदि हम जटामांसी के काढ़े को रोज पियें तो इससे आँखों की रौशनी बढ़ती है. इस तरह से ये आँखों के लिए फायदेमंद साबित होता है.
6. चमड़े के विकारों में: चर्म रोग तथा सोरायसिस जैसे रोगों में भी इसका लेप लगाने से काफी फायदा मिलता है. इससे हम चमड़े की कई समस्याओं से निजात पा सकते हैं.
7. दन्त विकारों में: दांतों में होने वाले दर्द को मिटाने के लिए जटामांसी के महीन पिसे हुए पाउडर से मंजन कीजिए निश्चित रूप से राहत मिलेगा.
8. दर्द निवारक के रूप में: जटामांसी का उपयोग आप दर्द निवारक के रूप में भी कर सकते हैं. आपके शरीर के जिस हिस्से में दर्द है वहां पर इसे पानी में पीस कर इसका लेप लगाएं.
9. अन्य रोगों में: जटामांसी को खाने या पीने से मूत्रनली, पाचननली, श्वसनली, गले, हैजा आदि के रोग ठीक होते हैं.
10. पेट के लिए: पेट फूलने में भी जटामांसी को सिरके में पीसा हुआ नमक मिलाकर लेप करने से पेट का सूजन कम होकर पेट सपाट होता है.
जटामांसी के ये निम्नलिखित नुकसान भी हैं-
1. मासिक धर्म: महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान इसका ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने से समस्या हो सकती है.
2. गर्भावस्था के दौरान: गर्भवती महिलाओं को जटामांसी के नुकसान से बचने के लिए इस दौरान जटामांसी के इस्तेमाल से बचना चाहिए. इसके साथ ही महिलाओं को स्तनपान कराने के दौरान भी जटामांसी का इस्तेमाल रोक देना चाहिए.
3. ज्यादा इस्तेमाल से: सामान्य तौर पर भी अधिकतम इस्तेमाल से या इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने से जटामांसी के नुकसान मसलन पेट दर्द की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
4. रक्तचाप में: जिन लोगों को उच्च रक्तचाप की समस्या है उन्हें इसके इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लेना चाहिए. ऐसा नहीं करने से आपको एलर्जी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
5. अनावश्यक इस्तेमाल से: अनावश्यक रूप से जटामांसी का ज्यादा इस्तेमाल करने पर आपको उल्टी और दस्त जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.