हृदय गति रुकना - Hriday Gati Rukna!
हृदय की गति रुकना एक बेहद गंभीर और जानलेवा बीमारी है. इसे ही कार्डियक अरेस्ट भी कहा जाता है. देखा जाए तो दिल के दौरे से मिलते जुलते ऐसे ही दो-तीन बीमारियाँ और हैं जिन्हें लेकर लोगों में अक्सर कन्फ़्यूजन होता है. लोग हृदय संबंधी समस्या होने पर हार्ट अटैक और कार्डिक अरेस्ट (अचानक हृदय गति रुकना) शब्द का इस्तेमाल एक ही रूप में करते हैं, लेकिन ये समानार्थक शब्द नहीं है. इन दोनों बीमारियों के कारण भिन्न होते हैं. दिल का दौरा (हार्ट अटैक) तब होता है जब हृदय में पहुंचने वाला रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है. वहीं दूसरी ओर हृदय गति रुकना तब होता है, जब हृदय विद्युतीय प्रक्रिया में अचानक समस्या आ जाती है और हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है. सरल शब्दों में समझा जाएं तो हार्ट अटैक का सीधा संबंध रक्त प्रवाह से है, जबकि हृदय गति रुकना का संबंध हृदय को गति देने वाली विद्युतीय तरंगों में आई समस्या से होता है. हृदय गति रुकना को हृदय गति रुकना भी कहा जाता है. आइए इस लेख के माध्यम से हम हृदय की गति रुकने के कारणों और इससे जुड़ी अन्य बातों को जानें.
कार्डियक अरेस्ट को लेकर दूर करें संदेह-
कार्डियक अरेस्ट बिना किसी पूर्व लक्षण के अचानक हो जाता है. यह समस्या हृदय को गति देने वाली विद्युतीय तरंगों में आई खराबी के कारण उत्पन्न होती है. इसके कारण हृदय की दर अनियमित हो जाती है. हृदय की धड़कनों व पम्पिंग क्रिया में बाधा आने के कारण हृदय मस्तिष्क, फेफड़ों और अन्य अंगों को रक्त नहीं पहुंचा पाता है. इसके बाद व्यक्ति को बेहोशी आने लगती है और कुछ समय के बाद नसों में रक्त बहना बंद हो जाता है. इस समस्या में व्यक्ति का तुरंत इलाज न हो पाने की स्थिति में उसकी मृत्यु भी हो सकती है.
यह दोनों समस्याएं कैसे एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं?
यह दोनों ही समस्याएं हृदय से संबंध रखती हैं और यह दोनों हृदय रोग है. अचानक होने लाने वाला हृदय गति रुकना हार्ट अटैक के बाद होता है या हार्ट अटैक के ठीक होने की प्रक्रिया में हो सकता है. इससे कहा जा सकता है कि हार्ट अटैक के बाद हृदय गति रुकना होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. ऐसा जरूरी नहीं है कि हार्ट अटैक की समस्या होने पर हृदय गति रुकना होता ही हो, परंतु हृदय गति रुकना के कई मामलों में हार्ट अटैक का होना एक मुख्य वजह के रूप में देखा जाता है. हृदय से जुड़ी अन्य समस्याएं भी हृदय की धड़कनों को भी बाधित कर सकती है और हृदय गति रुकना की वजह बन सकती है. इन समस्याओं में हृदय की मांसपेशियों का अकड़ना (कार्डियोम्योपैथी), दिल की विफलता, अनियमित दिल की धड़कन, वेंट्रिकुलर फैब्रिलेशन और क्यूटी सिंड्रोम शामिल हैं.
अचानक हृदय गति रुकना होने पर ये करें-
हृदय गति रुकना के कुछ ही मिनटों में इलाज प्रदान करने से इसको ठीक किया जा सकता है. इसके लिए आप सबसे पहले अस्पताल कॉल कर एंबुलेंस व अपातकाल चिकित्सा को बुलाएं. जब तक अपातकालीन इलाज शुरू नहीं होता तब तक आप मरीज को डिफब्रिलेटर (हृदय पर विद्युतिय झटके देने वाली मशीन) से प्राथमिक इलाज करते रहें. इसके अलावा हृदय गति रुकना मरीज को तुरंत कार्डियोपल्मोनरी रिसासिटेशन (हृदय धड़कन रूकने पर मरीज को दी जाने वाली चिकित्सीय प्रक्रिया) देनी चाहिए.
हार्ट अटैक (हृदयघात) क्या होता है?
हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियां जब अवरुद्ध होकर हृदय के एक भाग तक ऑक्सीजन युक्त रक्त को जाने से रोक देती है, तो इस स्थिति को हार्ट अटैक कहा जाता है. यदि इस अवरुद्ध धमनी को जल्दी से नहीं खोला जाता है, तो इस धमनी की वजह से हृदय पर प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है. लंबे समय तक इस समस्या का उपचार न करने से हृदय की क्षति में बढ़ोतरी हो जाती है. हार्ट अटैक के लक्षण तत्काल और तीव्र हो सकते हैं. कई बार इस समस्या के लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और लंबे समय तक उपचार न होने पर यह हार्ट अटैक का कारण बन जाते हैं. आपको बता दें कि अचानक होने वाले हृदय गति रुकना के विपरीत हार्ट अटैक में दिल की धड़कने बंद नहीं होती हैं.