Hepatitis B in Hindi - जाने क्या होता है हेपेटिटिस बी?
कई बिमारियां ऐसी होती हैं जो बदलते मौसम के साथ आती हैं। कई बार तो बीमारियाँ आसानी से चली जाती हैं पर कई बार बात मरीज की जान पर बन आती है। अब जैसे बारिश के मौसम में ही गौर करें तो कई बीमारियां सिर उठाने लगती हैं और उन बिमारियों की तादाद में से एक बीमारी है हेपेटाइटिस बी। जो की वायरस बी की वजह से होती है।
लीवर में सूजन को ‘हेपेटाइटिस’ कहते हैं। लीवर में सूजन पैदा करने वाला खतरनाक वायरस है बी। इस वायरस के संक्रमण से होने वाले लीवर के रोग को हेपेटाइटिस बी के नाम से जाना जाता है। यह वायरस बी लीवर को बीमार बनाता है। शरीर में वायरस बी मौजूद है तो लीवर और उसके बीच लगातार जंग चलती रहती है। जरूरी नहीं की वायरस बी हमेशा खतरनाक ही साबित हो पर कभी कभी यह लिवर के लिए संकट का विषय बन जाता है।
टीका
अगर आप इस वायरस की चपेट में नहीं आये हैं तो हमेशा इस बीमारी के प्रति निडर रहने के लिए आप हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाएं। और यदि ग्रसित हैं तो फिर समझिए की लिवर पर संकट आ चूका है जिसके लिए टीका बेअसर है।
निष्क्रिय वायरस
लीवर खून में बने जहरीले पदार्थ और शरीर से वायरस बी को भी निकाल बाहर करता है। और अगर ऐसा नहीं हो सका तो वायरस बी लीवर पर हमले के लिए तैयार रहता है है। इन्फेक्शन के बाद लीवर को वायरस बी से बचाव लीवर पर हमेशा निगरानी रखनी पड़ेगी। हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव पाए जाने के बाद भी दो स्थितियां बनती हैं। वायरस बी निष्क्रिय अवस्था में रह सकता है। इस स्थिति में रहते हुए वायरस लीवर का कुछ नहीं बिगाड़ता। वह शरीर को छोड़ कर बाहर भी जा सकता है, लेकिन वह सक्रिय भी हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि हेपेटाइटिस बी वायरस निष्क्रिय अवस्था में भी रहे तो हमें नियमित रूप से इसकी जांच कराते रहनी चाहिए।
एक्टिव वायरस
दूसरी स्थिति है कि वायरस शरीर में सक्रिय स्थिति में हो तो यह खतरनाक है और दवा से इसका इलाज जरूरी है। सक्रिय हेपेटाइटिस वायरस का पुराना संक्रमण हो तो लीवर सिरसिस और कैंसर होने का खतरा मंडराता रहता है। शरीर में यह वायरस है तो साल भर में एक बार जांच करा लेने से यह पता चलता रहता है कि वायरस किस स्थिति में है।
आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन के हालिया आंकड़े के मुताबिक पूरी दुनिया में 2 अरब लोग इस वायरस से प्रभावित हैं। हर साल इसकी वजह से 6 लाख लोगों की मौत हो जाती है। भारत में अभी हेपेटाइटिस बी से पीड़ित लोगों की संख्या 4 करोड़ के आसपास है। हेपेटाइटिस बी एचआईवी की बीमारी 100 गुना से भी ज्यादा संक्रामक है।
वायरस बी संक्रमण के लक्षण
हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने के तुरंत बाद आमतौर पर कोई लक्षण सामने नहीं आता।
हेपेटाइटिस बी के शुरुआती लक्षण
• भूख की कमी
• थकावट का एहसास होना,
• हल्का बुखार आते रहना,
• मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द होना,
• मितली और उल्टी,
• त्वचा का पीला पड़ जाना
• पेशाब का रंग काला होने लगना
अगर आपका शरीर इस संक्रमण से लड़ने में सफल हो जाता है तो ये लक्षण खत्म हो जाते हैं। जो लोग इस संक्रमण से मुक्त नहीं हो पाते, उनके संक्रमण को कहा जाता है क्रोनिक। ऐसे लोगों में लक्षण सामने नहीं भी आ सकते और संभव है कि वे इस बात से अनभिज्ञ रह जाएं कि उन्हें यह वायरस है। लंबे समय बाद उन्हें इस बात का पता तभी लगता है, जब उनका लीवर क्षतिग्रस्त होने लगता है और सिरसिस की स्थिति तक पहुंच जाता है।
संक्रमण के कारण
हेपेटाइटिस बी के संक्रमण के कारण लगभग एचआईवी के जैसे ही हैं।
• खून के संपर्क में आने
• असुरक्षित यौन संबंध
• किसी बीमारी में खून का चढ़ाया जाना
• संक्रमित सूई, ड्रग्स लेने की आदत
• लंबे समय तक किडनी डायलिसिस होते रहना
• शरीर पर टैटू बनवाना या एक्यूपंक्चर की सुई
• मां का संक्रमित होना
बचाव के उपाय
संक्रमण से पूरी तरह बचाव के लिए पहले तो स्क्रीनिंग जरूरी है। एक साधारण खून की जांच से यह पता चल जाए कि आप इस संक्रमण से बचे हुए हैं तो कोई देरी किए बगैर टीका लगवाएं। ओने साथ ही परिवार के हर सदस्य को टीका लगवा दें |
संक्रमण का क्या है इलाज
हेपेटाइटिस बी संक्रमण के पुराने मरीजों का इलाज वायरल रोधी दवाओं से किया जाता है। ये दवाएं खून में वायरस की मात्रा घटा सकती हैं या उन्हें हटा सकती हैं, जिससे लीवर सिरसिस या लीवर कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।