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Last Updated: Nov 04, 2023
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एंडोमेट्रियल मोटाई क्या होता है - Endometrial Motai Kya Hota Hai!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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एंडोमेट्रियल मोटाई अंतर्गर्भाशयकला यानि एंडोमेट्रियम की मोटाई है जिससे यह निश्चित किया जाता है कि महिला का गर्भाशय गर्भधारण करने योग्य है या नहीं. अंतर्गर्भाशयकला गर्भाशय का आंतरिक परत है जो रक्त वाहिकाओं में समृद्ध एक म्यूकोसा है. इसका मुख्य कार्य गर्भाशय गुहा में अंडे के निषेचन के लिए अनुकूल परिस्थिति का निर्माण करना है. इसके अलावा यह सभी महिलाओं में मासिक धर्म के समय खून के बहने में मुख्य भूमिका निभाता है.

एंडोमेट्रियम यानि अंतर्गर्भाशयकला में दो परतें होती है

बेसल और कार्यात्मक. ये दोनों परतें हार्मोन्स के कार्रवाई के बाद मासिक चक्रीय परिवर्तन से होकर गुजरती है. कार्यात्मक परत की एक क्रमिक टुकड़ी होती है जो माहवारी के दौरान टूटती है जिसके परिणाम स्वरूप रक्त वाहिकाएँ नष्ट हो जाती हैं और इसी कारण मासिक धर्म के समय रक्तस्राव होता है. मासिक धर्म (माहवारी) के अंत तक एंडोमेट्रियम की मोटाई काफी पतली रहती है. इसके बाद बेसल परत के पुनर्योजी क्षमता के कारण उपकला कोशिकाओं की मात्रा व ऊपरी परत के कोशिकाओं का फिर से बढ़ना शुरू हो जाता है. एंडोमेट्रियल मोटाई यानि एंडोमेट्रियम की मोटाई मासिक से पहले की अवधि में यानि ओव्यूलेशन के तुरत बाद अधिकतम आकार की होती है. इसी मोटाई से पता चलता है कि गर्भाशय गर्भधारण के लिए तैयार है या नहीं. इसी समय गर्भाशय के गुहा तक निषेचित अंडे पहुँचती है. यदि अंडा निषेचित नहीं होती है तो अगली माहवारी के दौरान कार्यात्मक परत फिर से छिलने लगती है और मासिक धर्म के अंत तक एंडोमेट्रियल मोटाई काफी पतली हो जाती है.

चक्र के दिनों की एंडोमेट्रियल मोटाई

मासिक धर्म चक्र के अवधि में एंडोमेट्रियल मोटाई में बदलाव होते रहता है. समान्यतः इसकी मोटाई 0.5 सेमी से 1.5 सेमी तक हो सकती है. मासिक धर्म (महवारी) के दौरान इसकी मोटाई न्यूनतम रहती है. यदि मासिक धर्म के अवधि में इसकी मोटाई अधिक है तो यह एक अप्रिय व गंभीर लक्षण हो सकता है. एंडोमेट्रियम के मोटा होने की घटना को हाइपरप्लासिया कहा जाता है. ऐसी स्थिति होने पर इसका उपचार किया जाता है. आइये जानते हैं कि मासिक धर्म चक्र के किस अवधि में एंडोमेट्रियम की मोटाई समान्यतः कितनी रहती है.

मासिक चक्र के शुरुआत के समय में एंडोमेट्रियल मोटाई: -

मासिक चक्र के शुरुआत के समय यानि जब खून बहना शुरू हो रहा होता है उस समय एंडोमेट्रियल मोटाई समान्यतः 0.5 सेमी से 0.9 सेमी तक होती है. 3-4 दिन के मासिक धर्म के बाद एंडोमेट्रियल मोटाई 0.3 सेमी से 0.5 सेमी तक रहता है.

मासिक चक्र के बीच के समय में एंडोमेट्रियम मोटाई

मासिक धर्म चक्र के 5-7 दिनों में एंडोमेट्रियल मोटाई 0.6 सेमी से 0.9 सेमी तक रहता है. वहीं मासिक धर्म बाद 8-10 दोनों में यह 0.8 सेमी से 1 सेमी तक तथा 11-14 दिनों में 0.9 सेमी से 1.3 सेमी तक रहता है.

मासिक धर्म चक्र के अंत का समय में एंडोमेट्रियम मोटाई

मासिक धर्म चक्र के 15 से 18 दिनों के समय एंडोमेट्रियल मोटाई 1 सेमी से 1.3 सेमी तक तक मासिक धर्म चक्र के 19 से 23 दिनों के मध्य यह मोटाई 1 सेमी से 2.1 सेमी तक रहती है. फिर मासिक धर्म चक्र के 24 से 27 दिनों के समय में अंतर्गर्भाशयकला आकार में छोटी होती जाती है और इस समय एंडोमेट्रियल मोटाई 1 सेमी से 1.8 सेमी तक हो जाती है.

रजनोवृत्ति के साथ एक महिला के एंडोमेट्रियम की मोटाई

उम्र बढ्ने पर महिला में रजनोवृत्ति के स्थिति में प्रजनन कार्य समाप्त हो जाती है. इस समय सेक्स हर्मोन की कमी देखी जाती है. रजनोवृत्ति के स्थिति में एंडोमेट्रियम की सामान्य मोटाई 0.5 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए. यदि इस समय यह मोटाई 0.8 सेमी होती है तो महिला को इलाज कराने की जरूरत होती है.

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