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Last Updated: Oct 16, 2023
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शल्लकी के फायदे और नुकसान

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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शल्लकी यानी लोबान आयुर्वेद की प्राचीन जड़ी-बूटियों में से एक है। संस्कृत में शालकी और विज्ञान में इसे बोसवेलिया सेराटा भी कहा जाता है। इसका संबंध बरसिरासी परिवार से है। यह एक मध्यम-बड़े आकार का शाखाओं वाला वृक्ष है । यह भारत के पहाड़ी क्षेत्र, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में उगता है।

भारत में यह गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उड़ीसा, असम के शुष्क पहाड़ी जंगलों और असम और आंध्र प्रदेश के मध्य प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में पाया जाता है।

शल्लकी के पेड़ से निकलने वाले ओलियो गोंद का प्रयोग विभिन्न आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं में किया जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल अगरबत्ती बनाने में किया जाता है।

शल्लकी के अन्य नाम

  • आयुर्वेद में इसे शल्लकीके नाम से ही जाना जाता है।
  • हिंदी में इसे सलाई कहते हैं।
  • यूनानी में ये कुंदूर कहलाता है।
  • भारतीय बोलचाल में इसे लोबान और अंग्रेजी में इंडियन ओलिबैनम। कहते हैं।
  • गुजराती में इसे गुगली कहा जाता है।
  • बंगाली में इसे सलाई और कुंदूर के नाम से जाना जाता है।
  • तेलुगु में इसे सांभरानी और फिरंगी कहा जाता है।
  • तमिल और मलयालम में परंगी और सांबरानी कहलाता है।
  • कन्नड़ में गुगुलधुफ और चित्त के नाम से प्रसिद्ध है।

शल्लकी की रासायनिक संरचना

शल्लकी के अर्क में चीनी, एसेंशियल ऑयल, वाष्पशील तेल, टेरपेनोइड्स और कई पेंटासाइक्लिक ट्राइटरपीन एसिड जैसे तत्व शामिल हैं।

शल्लकी के गुण

  • इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं
  • इसमें गठिया विरोधी गुण होते हैं
  • इसमें एंटीसेप्टिक गुण भरपूर मात्रा में होते हैं
  • ये बवासीर के उपचार में बहुत उपयोगी है
  • इसमें एनाल्जेसिक गुण भी होते हैं
  • इसमें ट्यूमर रोधी प्रभाव हो सकता है

शल्लकी के लाभ

1. गठिया में लाभकारी

शल्लकी का अपयोग गठिया के रोग में किया जाता है। इस रोग में जोड़ों की सूजन से राहत पाने के लिए शल्लकी की 1-2 गोलियां पानी के साथ ले सकते हैं। यह अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के कारण सूजन वाले जोड़ों में को आराम पहुंचाने के साथ साथ जकड़न को भी कम करता है।

2. मस्तिष्क के लिए लाभकारी

शल्लकी को मस्तिष्क के लिए भी कारगर माना जाता है। जानकार मानते हैं कि नियमित रूप से भोजन करने से पहले शल्लकी के रस का सेवन करने से भी मस्तिष्क के कार्य में सुधार होता है क्योंकि यह अपनी एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के कारण मुक्त कणों से होने वाली कोशिका क्षति को रोकता है।

3. हड्डियों के दर्द में राहत

शल्लकी के तेल में नारियल के तेल को मिलाकर धीरे-धीरे जोड़ों पर मालिश करने से भी जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है क्योंकि इसमें एनाल्जेसिक गुण होते हैं। इसका सामयिक प्रयोग और इसका तेजी से उपचार करने के गुण के कारण घावों को ठीक करने में मदद करता है।

4. इम्यूनिटी बढ़ाए

जानकार मानते हैं कि कुठ दवाओं में इसके इस्तेमाल से इम्यूनिटी पर बेहतर प्रभाव देखने को मिला है। शल्लकी को संक्रमण पर भी असरदार माना जाता है।

5. अस्थमा में लाभकारी

शल्लकी अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करता है और सांस फूलने की स्थिति में राहत देता है। आयुर्वेद के अनुसार, अस्थमा में शामिल मुख्य दोष वात और कफ हैं। दूषित 'वात' फेफड़ों में 'कफ दोष' के साथ जुड़ जाता है, जिससे श्वसन मार्ग में रुकावट आती है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। इस स्थिति को अस्थमा के रूप में जाना जाता है। शल्लकी फेफड़ों से अतिरिक्त बलगम को निकालने में मदद करता है और अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाता है।

6. अल्सरेटिव कोलाइटिस में असरदार

शल्लकी अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए उपयोगी है। आयुर्वेद के अनुसार, अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण आईबीडी के समान होते हैं। यह पाचन अग्नि के असंतुलन के कारण होता है। शल्लकी अपने शोषक और ठंडे गुणों के कारण अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों को ठीक करने में मदद करता है। यह मल को गाढ़ा करने में मदद करता है और मल में खून आना भी बंद हो जाता है।

7. त्वचा पर झुर्रियां पड़ने से रोके

उम्र के साथ त्वचा पर उम्र बढ़ने के लक्षण जिखाई देने लगते हैं।इनमें शुष्क त्वचा और बारीक रेखाएं आम हैं।आयुर्वेद के अनुसार, यह बढ़े हुए वात के कारण होता है। शल्लकी उम्र बढ़ने के संकेतों को नियंत्रित करने में मदद करता है और त्वचा में नमी की मात्रा को बढ़ाता है। यह इसकी तैलीय प्रकृति के कारण संभाव होता है।जानकार कहते हैं कि आधा चम्मच शल्लकी पाउडर लेकर इसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर पेस्ट बना लें।इसे दिन में एक बार प्रभावित जगह पर लगाएं और 20-30 मिनट के लिए छोड़ दें। इससे आपको लाभ हो सकता है।

8. दांतों के लिए गुणकारी

शल्लकी या लोबान दांतों के लिए बहुत काम की चीज़ है। इसे दांतों की कई समस्याओं में इस्तेमाल किय़ा जाता है। किसी को दांत में दर्द की परेशानी हो या फिर दांत हिल रहा हो।शल्लकी की छाल को चबाने से ये सारी समस्याएं ठीक होती हैं। इसके अलावा मुंह में बदबू आने की समस्या को भी ये दूर कर सकता है।इसके एंटी बैक्टीरियल गुण इसे मुंह के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी बनाते हैं।

9. गले के रोग में आए काम

शल्लकी गले के रोगों को दूर करने में भी सक्षम होता है।कई बार गले में गांठ सी महसूस होने पर लोबान का लेप लगाया जाता है। इसके लिए आप थोड़ा सा लोबान लें और उसे पानी में घोलकर पेस्ट बना लेंम।इसे प्रभावित जगह पर लगाने से आपको आराम मिल सकता है।

10. बुखार से छुटकारा दिलाए

जानकार मानते हैं कि शल्लकी बुखार को दूर भगाने में भी माहिर है। इसके औषधीय गुण बुखार से होने वाली कमज़ोरी औऱ थकान में भी आराम पहुंचाते हैं। इसके लिए लोबान के फूल के चूर्ण का सेवन करने की सलाह दी जाती है।

11. दाद में आए काम

शल्लकी त्वचा के रोगों में बहुत प्रभावशाली माना जाता है। ये शरीर पर कहीं भी दाद खाज में काफी असरदार इलाज प्रदान करता है। इसकी छाल को पीसकर दाद पर नियमित रूप से लगाने से आपको समस्य़ा में राहत मिल सकती है।

11. पेट के लिए है रामबाण

लोबान या शल्लकी के एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पेट से संबंधित समस्याओं को दूर करने के काम आते हैं। यह आंतों को  दिक्कतों को दूर करता है और पेट में दर्द, ऐंठन, सूजन, और इरीटेबल बाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में भी कारगर साबित हुआ है।इसके नियमित इस्तेमाल से पेट की समस्याओं में आराम मिल सकता है।

12. कैंसर पर है असरदार

जानकार मानते हैं कि लोबान में कैंसर विरोधी प्रभाव हो सकते हैं। लोबान में बोसवेलिक एसिड कैंसर की कोशिकाओं को फैलने से रोक सकता है। बोसवेलिक एसिड का काम कैंसर सेल्स में डीएनए में किसी भी प्रकार के बदलाव को रोकना है।इस प्रकार कैंसर को बढ़ने का मौका नहीं मिलता औऱ उसके फैलने की गति धीमी हो सकती है। कई शोध में सामने आया है कि लोबान ब्रेस्ट , प्रोस्टेट , अग्नाशय , स्किन  और पेट के कैंसर के खिलाफ भी प्रभावी है।यही नहीं कैंसर के उपचार में होने वाली स्वास्थ्य के नुक्सान की भरपाई भी ये कर सकता है।

शल्लकी के नुकसान

गर्भवती महिलाओं औऱ स्तनपान कराने वाली माँओं को शल्लकी के इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जाती है।इसके अलावा अगर आपका कोई इलाज चल रहा हो तो इसके उपयोग से पहले चिकित्सक से परामर्श ज़रूर लें।कई लोगों में इसके प्रति एलरीज पाई जा सकती है। ऐसे में गैस,जलन या अन्य लक्षण हो सकते हैं।

शल्लकी के बहुत अधिक सेवन से निम्नलिखित नुक्सान हो सकता हैं

  • अगर आपको शल्लकी सूट नहीं करता तो आपको जी मिचलाने की समस्या हो सकती है
  • इसके बहुत अधिक इस्तेमाल से पेट संबंधी परेशानी उत्पन्न हो सकती है औरदस्त या कब्ज़ का कारण बन सकती है।
  • हो सकता है ये आपके शरीर को रास ना आए जिसके परिणामस्वरूप आपको  बुखार हो सकता है।
  • कई बार शल्लकी के अधिक इस्तेमाल से अपच की समस्य़ा देखने को मिल सकती है।
  • शल्लकी के साइड इफेक्ट्स में पेट दर्द बेहद आम है।
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