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Last Updated: Apr 01, 2019
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अस्थमा के घरेलू उपचार - Asthma Ke Gharelu Upchaar!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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अस्थमा श्वसन संबंधी रोग होता है जो सांस लेने में कठिनाई पैदा करता है. अस्थमा में श्वास नलियों की सूजन आ जाती है जिस कारण श्वसनमार्ग संकुचित हो जाता है. श्वसनमार्ग के संकुचित हो जाने से सांस लेते समय आवाज़ आना, श्वास की कमी, सीने में जकड़न और खाँसी आदि समस्याएं होने लगती हैं. 
आइए इस लेख के माध्यम से हम अस्थमा के घरेलू उपचारों के बारे में जानें ताकि इस विषय में लोगों को जागरूक किया जा सके.

अस्थमा के कारण-

* जीवनशैली में परिवर्तन जैसे मिलावटी आहार और ज्यादा स्पाइसी खाना या सूखे आहार का ज्यादा सेवन
* स्ट्रेस या किसी बात के डर से भी अस्थमा हो सकता है
* ब्लड में किसी तरह का डिफेक्ट
* स्मोकिंग और टोबैको का सेवन
* नजल पाइप में धूल या मिट्टी फंस जाना
* प्रदुषण से होने वाली समस्या
* पर्यावरणीय कारक
* अधिक परिश्रम करना

अस्थमा के लक्षण-
* सांस फूलना और सांस लेने में तकलीफ होती है
* निरंतर खांसी आना
* सांस लेते समय व्हूप की आवाज आना
* छाती में संकुचन
* खांसी के साथ कफ का बाहर नहीं आना

अस्थमा के घरेलू उपचार-
* आयुर्वेदिक दवाएं बहुत सुरक्षित हैं और काफी हद तक समस्या का इलाज है. कुछ आम दवाओं कंटकारी अवालेह, अगस्त्याप्रश, चित्रक, कनाकसव का प्रयोग किया जा सकता है.
* रात का खाना जितना हल्का हो सके लें व सोने से एक घंटे पहले ही खा लें.
* सुबह या शाम टहलें और योग में मुख्य रूप से ‘प्राणायाम’ और भावातीत ध्यान करें.
* अस्थमा के मरीज अधिक व्यायाम करने से बचें.
* हवादार कमरे में रहें और सोएं. एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों की सीधी हवा से बचें.
* इस दौरान आपको ठंडे और नम स्थानों से दूर ही रहना चाहिए.
* धूम्रपान चबाने वाली तम्बाकू, शराब और कृत्रिम मिठास और ठंडे पेय न लें. जिन्हें इत्र से इलर्जी हैं, वे अगरबत्ती, मच्छर रेपेलेंट्स का प्रयोग न करें.
* दो तिहाई गाजर का रस, एक तिहाई पालक का रस, एक गिलास रोज पिएं.
* जौ, कुल्थी, बथुआ, द्रम स्तिच्क अदरक, करेला, लहसुन का अस्थमा में नियमित रूप से सेवन किया जा सकता है.
* मूलेठी और अदरक आधा-आधा चम्मच एक कप पानी में लेना बहुत उपयोगी होता है.
* तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, इसलिए अस्थमा के मरीजों को तुलसी का सेवन करना चाहिए.
* जो लोग इस रोग की चपेट में आ चुके हैं, उनके लिए हर ऋतु के प्रारम्भ में एक-एक सप्ताह तक पंचकर्म की नस्य या शिरोविरेचन चिकित्सा इस रोग की रोकथाम में सहायक होती है.
* दिल्ली के शालीमार बाग स्थित महर्षि आयुर्वेद अस्पताल में इसकी अच्छी व्यवस्था है.
* रात-विरात यदि दमा प्रकुपित हो जाए, तो छाती और पीठ पर गर्म तिल तेल का सेंक करें.
* घर में एक शीशी प्राणधारा की अवश्य रखें. उसमें अजवाइन का सत् होता है, जिसकी भाप दमा के दौरे में राहत देती है.
* एक चौथाई चम्मच सोंठ, छ: काली मिर्च, काला नमक एक चौथाई चम्मच, तुलसी की 5 पत्तियों को पानी में उबाल कर पीने से भी दमा में आराम मिलता है.
* एक चौथाई प्याज का रस, शहद एक चम्मच, काली मिर्च 1/8 चम्मच को पानी के साथ लें.
 

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