ट्यूबरक्लोसिस: लक्षण, कारण, इलाज और घरेलू उपचार | Tuberculosis (TB) In Hindi
आखिरी अपडेट: Jun 23, 2023
ट्यूबरक्लोसिस रोग क्या होता है? (Tuberculosis Meaning in Hindi)
ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक संक्रामक रोग है। यह इंसान के फेफड़ों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। इसके अलावा टीबी का बैक्टीरिया किडनी और ब्रेन को भी संक्रमित कर सकता है। माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है।
टीबी के कई प्रकार होते हैं, लेकिन इसका सक्रिय रूप खांसी, छींक, लार आदि के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में काफी तेजी से फैलता है। अधिक संचारी होने के कारण टीबी विश्व स्तर पर दूसरी घातक बीमारी घोषित हो चुकी है। यह ट्यूबरक्लोसिस का सबसे आम प्रकार है। फैफड़ों में होने वाली टीबी ही सबसे ज्यादा संक्रामक होती है और बेहद आसानी से एस इंसान से दूसरे इंसान में फैलती है। इसके अलावा टीबी इम्यून सिस्टम (लिम्फ नोड्स), हड्डियों व जोड़ों, पाचन तंत्र, मूत्राशय और प्रजनन प्रणाली के साथ नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करती है। इसके लक्षण फेफड़ों वाली टीबी से कई गुना घातक होते हैं।
एड्स या डायबिटीज जैसी बड़ी बीमारियों से ग्रसित लोगों को टीबी का सबसे ज्यादा खतरा होता है। इसके अलावा टीबी, कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को भी आसानी से अपना शिकार बना सकती है। हालांकि टीबी का इलाज व रोकथाम संभव है।
रोग से संबंधित कुछ तथ्य इस प्रकार हैं:
- तथ्य 1: 2021 में दुनियाभर के कुल मामलों में, अकेले भारत में टीबी के 28% मामले दर्ज किए गए थे।
- तथ्य 2: 2021 में भारत में 21.4 लाख टीबी के नए मामले सामने आए थे।
- तथ्य 3: 2021 में भारत में 22 करोड़ से अधिक लोगों पर टीबी की जांच की गई थी। यह 2020 की तुलना में 18% अधिक थी।
- तथ्य 4: 2021 में भारत में 5 लाख से अधिक लोगों की मौत टीबी से हुई थी।
- तथ्य 5: 2021 में भारत में टीबी से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 5.8 मिलियन रह गई।
- तथ्य 5: 2021 में भारत में टीबी के मामले प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 210 रही।
- तथ्य 5: बीजीसी एकलौती मान्यता प्राप्त टीबी वैक्सीन है, जिसे 1921 में विकसित किया गया था।
- तथ्य 5: टीबी के 16 टीके पर काम चल रहा है।
ट्यूबरक्लोसिस (टीबी रोग) के प्रकार क्या हैं? Types of Tuberculosis (TB disease) in Hindi
- अव्यक्त टीबी:
अव्यक्त टीबी के मामलों में, टीबी के जीवाणु शरीर में निष्क्रिय अवस्था में रहते हैं। यह रोग के लक्षण का कारण नहीं बनते हैं और संक्रामक नहीं होते हैं। हालांकि, अव्यक्त टीबी बैक्टीरिया किसी भी समय सक्रिय हो सकता है। जानकारी के अनुसार, दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी को अव्यक्त टीबी ही है।
- सक्रिय टीबी:
सक्रिय टीबी में रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया टीबी के लक्षण दिखाते हैं। टीबी का यह प्रकार संक्रामक भी होता है।
ट्यूबरक्लोसिस (टीबी रोग) के लक्षण क्या हैं? (Tuberculosis Symptoms in Hindi)
- 3 महीने से अधिक समय तक खांसी
- थकान
- तेज बुखार
- ठंड लगना
- रात में पसीना आना
- सीने में दर्द
- सांस लेने में तकलीफ
- भूख न लगना
- ग्रंथियों में सूजन
- पेट दर्द
- हड्डी या जोड़ में दर्द
- भ्रम की स्थिति
- लगातार सिरदर्द होना
- फिट्स आना (दौरे)
ट्यूबरक्लोसिस (टीबी रोग) रोग कैसे फैलता है? How is Tuberculosis (TB disease) spread in Hindi
टीबी एक संक्रामक बीमारी है। यह सक्रिय टीबी रोग से संक्रमित व्यक्ति द्वारा हवा में छोड़े गए ट्यूबरक्लोसिस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कराण फैलता है। यह बैक्टीरिया टीबी मरीज के खांसने, छींकने, बात करने, गाने या हंसने के माध्यम से हवा में फैलते हैं। यह बैक्टीरिया लंबे समय तक हवा में मौजूद रहते हैं और स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। हालांकि केवल सक्रिय पल्मोनरी संक्रमण वाले लोग ही संक्रामक होते हैं।
क्या शरीर में हमेशा के लिए ट्यूबरक्लोसिस रहता है?
ट्यूबरक्लोसिस के जीवाणु बिना रोग पैदा किए जीवन भर निष्क्रिय अवस्था में शरीर में रह सकते हैं। कमजोर इम्यून सिस्टेम वाले लोगों में बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं और ट्यूबरक्लोसिस रोग का कारण बनते हैं। हालांकि इसके बैक्टीरिया शरीर में लगभग 6 महीने तक ही रहते हैं।
ट्यूबरक्लोसिस के मुख्य कारण क्या हैं? | Tuberculosis (TB) Causes in Hindi
ट्यूबरक्लोसिस (टीबी रोग) किसे हो सकता है? Who can get tuberculosis (TB disease) in Hindi
टीबी होने का सबसे ज्यादा जोखिम उन लोगो को होता है जो ऐसी जगह या ऐसे देश में रहते हैं या वहां की यात्रा करते हैं, जहां टीबी की दर बहुत अधिक है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीजों को टीबी का बैक्टीरिया असानी से अपना शिकार बनाता है।
इसके अलावा HIVएड्स, डायबिटीज, किडनी की गंभीर समस्या, कीमोथेरेपी, जैविक एजेंट, ऑर्गन ट्रांसप्लांट कराने के लिए दी जाने वाली दवाएं, रूमेटोइड गठिया, क्रोन की बीमारी और सोरायसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के अधिक इस्तेमाल से टीबी का खतरा बढ़ जाता है। अनियमित खानपान और नशे की लत के शिकार लोगों को भी टीबी हो सकती है।
क्या ट्यूबरक्लोसिस जानलेवा है?
ट्यूबरक्लोसिस, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करता है। कुछ मामलों में, यह किडनी, रीढ़ और मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है। यदि पर्याप्त उपचार प्राप्त नहीं किया गया तो ट्यूबरक्लोसिस घातक हो सकता है।
क्या मुझे ट्यूबरक्लोसिस के बारे में चिंता करनी चाहिए?
यदि टीबी का सही से इलाज नहीं कराया, तो ट्यूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया फेफड़ों के साथ रीढ़, मस्तिष्क और किडनी पर भी हमला कर सकते हैं। ऐसे में यह और घातक हो सकते हैं। यदि आप किसी टीबी मरीज के संपर्क में हैं या खांसी, वजन घटना, बुखार, रात को पसीना, ग्रंथियों में सूजन जैसे टीबी के लक्षण को मेहसूस करते हैं, तो डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए।
ट्यूबरक्लोसिस (टीबी रोग) के कितने चरण होते हैं? Tuberculosis (TB disease) stages in Hindi
ट्यूबरकुलोसिस के लक्षण अचानक दिखाई नहीं देते हैं। यह कुछ चरणों में बढ़ते हुए दिखाई देते हैं:
- संसर्ग (Exposure): संक्रमण का यह चरण तब सामने आता है जब कोई स्वस्थ्य व्यक्ति टीबी से संक्रमित मरीज के संपर्क में आता है।
- गुप्त टीबी संक्रमण (Latent TB infection): इस चरण में जब किसी व्यक्ति के शरीर में टीबी के बैक्टीरिया होते हैं, लेकिन इसके लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। इस स्थिति में संक्रमित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम टीबी के बैक्टीरिया से दूर हो जाता है। आमतौर पर संक्रमित लोगों में टीबी जीवन भर निष्क्रिय रहती है।
- टीबी रोग (TB disease): यह टीबी रोग का अंतिम चरण होता है। इस स्थिति में व्यक्ति में सक्रिय संक्रमण के संकेत और लक्षण दोनों साफ दिखते हैं।
ट्यूबरक्लोसिस से कैसे बचें (Prevention from Tuberculosis in Hindi)
टीबी संक्रमण से बचने के लिए निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए:
- सक्रिय टीबी के मरीज की पहचान कर उनका इलाज करके टीबी संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
- खांसते वक्त सावधानी बरतें। खांसते या छींकते वक्त अपने चेहरे को ढंकना चाहिए।
- जेल व अस्पतालों जैसी जगहों पर मास्क और श्वासयंत्र का उपयोग करना चाहिए।
- दूध का पाश्चुरीकरण भी बोवाइन टीबी के प्रसार को रोकता है।
- टीबी संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण का उपयोग किया जा सकता है।
- बीसीजी का टीका लगवाएं।
- जितना हो सके बाहर समय बिताएं।
- यदि संभव हो तो, पर्याप्त हवादार कमरे में अकेले सोएं।
- जितना हो सके पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर कम से कम समय बिताएं।
- दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी चलने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
- टीबी मरीज के पास जाने से बचें। यदि मरीज से मिलना ही पड़े तो मास्क जरूर लगाएं।
- टीबी मरीज के बिस्तर, रुमाल या तैलिया आदि का इस्तेमाल न करें।
- खांसते वक्त मुंह को रुमाल से ढक लें और वहां से दूर हट जाएं।
- टीबी मरीज से मिलने के बाद हाथ और मुंह को अच्छी तरह धोएं व कुल्ला करें।
- विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम और फाइबर से भरपूर खाद्य-पदार्थों का सेवन करें।
- रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें।
- भीड़-भाड़ वाली जगहों पर कम समय बिताएं।
ट्यूबरक्लोसिस (क्षय रोग) में क्या नहीं खाना चाहिए?
ट्यूबरक्लोसिस में जिन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए वे हैं:
- कॉफ़ी
- परिष्कृत उत्पाद जैसे चीनी, सफेद चावल या ब्रेड
- तंबाकू
- हाई कोलेस्ट्रॉल और फैटी भोजन
- शराब
ट्यूबरक्लोसिस होने पर आपको क्या नहीं करना चाहिए?
- चिकित्सा देखभाल से न बचें
- डॉक्टर द्वारा निर्देश दिए जाने तक दवा बंद करने से बचें
- पब्लिक में न थूकें
ट्यूबरक्लोसिस के इलाज के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं? Test of Tuberculosis (TB) in Hindi
- CBNAAT टेस्ट: CB-NAAT टेस्ट का पूरा नाम कार्ट्रिज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट है। इस टेस्ट के जरिए मरीज के शरीर में मौजूद टीबी के बैक्टीरिया का पता लगाया जा सकता है।
- ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट: ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट के जरिए मरे हुए टीबी के कीटाणु का उपयोग किया जाता है। इन्हें त्वचा में इंजेक्ट किया जाता है। यदि व्यक्ति टीबी से संक्रमित होगा, तो इंजेक्शन की जगह पर एक गांठ बन जाएगी।
- टीबी ब्लड टेस्ट: इस टेस्ट में मरीज का ब्लड सैंपल लिया जाता है। इसके जरिए बैक्टीरिया में पाए जाने वाले एंटीजन (प्रोटीन) के एक समूह से प्रेरित टीबी बैक्टीरिया का पता लगाया जाता है। यदि इम्यून सिस्टम ने कभी ऐसा एंटीजन देखा है, तो कोशिकाएं इंटरफेरॉन-गामा का उत्पादन करेंगी। यह इम्यून सिस्टम द्वारा प्रोड्यूस होने वाला एक पदार्थ होता है, जिसे प्रयोगशाला में मापा जा सकता है।
- एक्स-रे: इसके जरिए टीबी के कीटाणुओं के कारण फेफड़ों में होने वाली सूजन का पता लगाया जा सकता है।
- स्प्यूटम टेस्ट: इस टेस्ट के लिए फेफड़ों से निकले बलगम के नमूनों का परीक्षण किया जाता है। इससे टीबी के कीटाणुओं की मौजूदगी का पता चलता है।
ट्यूबरक्लोसिस (टीबी रोग) के इलाज के लिए जरूरी दवाएं कौन सी हैं? Medicines for tuberculosis (TB disease) treatment in Hindi
- गुप्त टीबी के मरीजों को केवल एक या दो प्रकार की टीबी की दवाएं लेने की आवश्यकता हो सकती है। जबकि सक्रिय टीबी के इलाज में मरीज को एक साथ कई दवाओं की आवश्यकता होगी। टीबी के प्रारंभिक इलाज में मरीज को आइसोनियाज़िड (एच), रिफैम्पिसिन, पायराज़िनमाइड (जेड) और एथमब्यूटोल (ई) दवाओं को आठ सप्ताह तक दिया जाना चाहिए। इसके अगले चरण में तीन दवाएं आइसोनियाज़िड, रिफैम्पिसिन और एथमब्यूटोल शामिल होनी चाहिए।
- टीबी प्रतिरोधी दवाएं जैसे फ्लूरोक्विनोलोन (fluoroquinolones) नामक एंटीबायोटिक दवाओं का संयोजन और इंजेक्शन जैसे एमिकासिन या कैप्रोमाइसिन (कैपास्टैट) आमतौर पर 20 से 30 महीनों के लिए उपयोग की जाती है। इन दवाओं के इस्तेमाल से कई प्रकार के साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। इनसे बचने के लिए बेडाक्विलिन (Bedaquiline) और लाइनज़ोलिड (Linezolid) दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है।
ट्यूबरक्लोसिस के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार क्या है? Home Remedies forTuberculosis (TB) in Hindi
- विटामिन डी: टीबी रोगियों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी का सेवन करना चाहिए। इससे रोगियों स्वास्थ्य में सुधार होता है।विटामिन डी अंडे, फोर्टिफाइड दूध, मछली और कॉड लिवर ऑयल के साथ सुबह की धूप से भी प्राप्त किया जा सकता है।
- केला: केले में विटामिन और कार्बनिक यौगिकों की उच्च सांद्रता सूजन, खांसी, तेज बुखार और अत्यधिक बलगम उत्पादन को तेजी से कम कर सकती है।
- अनानास: यह श्वसन पथ में बलगम को तोड़ने और फेफड़ों व नाक की बंद गुहाओं को खत्म करने के लिए प्रभावी माने जाते हैं।
- लहसुन: टीबी के मामले में यह सल्फ्यूरिक एसिड की तरह काम करती है, जो टीबी बैक्टीरिया के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली है।
- लौकी: टीबी रोगियो में लौकी बहुत प्रभावी प्रतिरक्षा प्रणाली उत्तेजक के रूप में कार्य करती है।
- पुदीना: यह श्वसन पथ में जमा हुए बलगम को तोड़ने में सक्षम है, जिससे हवा का मार्ग साफ हो जाता है। इसमें प्रतिरक्षा उत्तेजक गुण और एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं जो शरीर में किसी भी संक्रमण को सीधे प्रभावित कर सकते हैं।
- आंवला: यह पेट और श्वसन पथ को कवर करता है और सूजन व परेशानी से राहत प्रदान कर सकता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को इसके सिद्ध जीवाणुरोधी गुणों के साथ उत्तेजित कर सकता है।
- संतरा: विटामिन सी और अन्य विटामिन व एंटीऑक्सिडेंट की बहुत अधिक मात्रा संतरे को टीबी के लिए एक बहुत प्रभावी घरेलू उपचार बनाती है। संतरे का फेफड़ों और श्वसन पथ में जमाव को तोड़ सकता है और थूक में बलगम, खांसी में रक्त की मात्रा को कम कर सकती है।
- काली मिर्च: यह एक सूजन-रोधी पदार्थ है और फेफड़ों को साफ करने, खांसी को कम करने और दर्द व परेशानी को खत्म करने में भी मदद कर सकती है।
- अखरोट: अखरोट में विटामिन और खनिजों की एक विस्तृत श्रृंखला टीबी के उपचार को तेज करती है और शरीर को द्वितीयक संक्रमणों से बचाती है।
- ग्रीन टी: इसमें बैक्टीरिया की तलाश करने और इसे शरीर के बाकी हिस्सों में फैलने से रोकने के लिए उच्च पॉलीफेनोल सामग्री होती है।
ट्यूबरक्लोसिस रोगियों के लिए कौन सा भोजन अच्छा है?
- विटामिन A, C और E से भरपूर खाद्य पदार्थ: टीबी रोगियों को विटामिन्स की कमी को दूर करने के लिए फल और सब्जियां जैसे संतरा, मीठा कद्दू, आम, गाजर, अमरूद, आंवला, टमाटर, नट का सेवन करना चाहिए। इनमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन A,C और E मौजूद होता है।
- प्रोटीन युक्त भोजन: टीबी रोगियों की भूख कम हो जाती है। ऐसे में उन्हें अंडे, पनीर और सोया चंक्स जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।ये खाद्य पदार्थ प्रोटीन से भरपूर होते हैं। इन खाद्य पदार्थों को शरीर आसानी से अवशोषित कर सकता है और आवश्यक ऊर्जा दे सकता है।
- बी कॉम्प्लेक्स विटामिन: टीबी के रोगियों को बी कॉम्प्लेक्स विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए साबुत अनाज, मेवा, बीज, मछली और चिकन का सेवन करना चाहिए।
- जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ: नट्स, जिंक का एक बड़ा स्रोत है। यह शरीर को जरूरी पोषक तत्व दे सकते हैं। बीज जैसे सूरजमुखी के बीज, चिया बीज, कद्दू के बीज और अलसी के बीज और मेवा टीबी रोगियों को काफी फायदेमंद होते हैं।
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