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साइनस: लक्षण, कारण, इलाज और घरेलू उपचार | Sinus in Hindi

आखिरी अपडेट: Jun 29, 2023

साइनस क्या है? । Sinusitis

साइनस (Sinusitis in Hindi) की सूजन या लालिमा को साइनोसाइटिस कहा जाता है। साइनस, हमारे चेहरे पर गाल और भौहों के पीछे एक विशेष प्रकार की गुहाएं होती है। इनका मुख्य काम बलगम बनाना होता है ताकि नाक में नमी बनी रहे। यह बलगम छोटे-छोटे रोगाणुओं के कारण होने वाले संक्रमण से बचाने में हमारी मदद करते हैं। इसे हम आसान भाषा में नाक से संबंधित रोग के रूप में जानते हैं।

साइनस मुख्य रूप से चार भागों से मिलकर बना होता है। इन्हें, एथोमोइडल साइनस, स्फेनोइडल साइनस, मैक्सिलरी साइनस और फ्रंटल साइनस के नाम से जाना जाता है।

सिर में साइनस एक प्रकार की खाली जगह होती है जो नाक मार्ग से जुड़ी होती हैं। जब कुछ एलर्जिक कारण श्लेष्म झिल्ली में सूजन पैदा करते हैं, तो यह साइनस को अवरुद्ध करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, साइनस पर दबाव पड़ता है और हवा व बलगम अपने आप बाहर नहीं निकल पाती है। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। साइनस कैविटीज़ को भी दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।

सामान्य सर्दी और एलर्जी साइनस ब्लॉकेज की सबसे आम स्थिति है। अधिकांश लोग एलर्जी का इलाज निष्क्रिय रूप से करते हैं और इसे गंभीर स्थिति नहीं मानते हैं। इसके कारण अधिकांश लोग इसके आदी हो जाते हैं। उन्हें इस बात का एहसास भी नहीं होता है कि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली परिस्थितियों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अगर इनका समय पर इलाज नहीं कराया गया तो बढ़ती उम्र के साथ ये जटिलताएं और गंभीर हो सकती हैं।

साइनस के प्रकार । Types of Sinusitis

साइनसाइटिस के कई प्रकार हैं:

  • तीव्र साइनस संक्रमण (Acute sinus infection): तीव्र साइनस का संक्रमण का असर शरीर में 30 दिन से कम समय तक रहता है।
  • कम तीव्र साइनस संक्रमण (Sub acute sinus infection): इस प्रकार का साइनस संक्रमण एक महीने से अधिक समय तक रह सकता है। यह 3 महीने से अधिक समय तक नहीं रह सकता है।
  • क्रॉनिक साइनस संक्रमण (Chronic sinus infection): इस प्रकार का संक्रमण शरीर में 3 महीने से भी अधिक समय तक रह सकता है।
  • रीकरंट साइनसाइटिस (Recurrent Sinusitis): यह बार-बार होने वाला संक्रमण है। इस प्रकार की साइनसाइटिस स्थिति आम तौर पर सीधे वायरस संक्रमण के कारण होती है।

साइनस के लक्षण और संकेत क्या हैं? । Sinusitis Symptoms

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साइनस के अंदर रुकावट का कारण बनने वाली कुछ सबसे आम स्थितियां हैं:

  • सिरदर्द और भारीपन
  • भारी आवाज
  • बुखार और बेचैनी
  • आंखों के ऊपरी हिस्से में दर्द
  • दांतों में दर्द
  • सूंघने की क्षमता में कमी
  • स्वाद न आना
  • नाक बहना

साइनस के कारण क्या हैं? । Sinusitis Causes

साइनस की समस्या कई कारणों से हो सकती है।

  • मौसमी एलर्जी
  • वायरल संक्रमण
  • बैक्टीरियल संक्रमण
  • फंगस संक्रमण
  • रसायनिक और वायु प्रदूषण के कारण
  • कमजोर इम्यून सिस्टम
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साइनसाइटिस का निदान कैसे किया जाता है? Diagnosis

साइनस का निदान करने के लिए इसके लक्षणों की बारीकी से जांच की जाती है। साथ ही ENT सेप्शलिस्ट आपसे इस बारे में भी जानकारी ले सकता है कि साइनस संबंधी लक्षण आपको कब से दिख रहे हैं।

इसके लिए निम्न टेस्ट किए जा सकते हैं:

  • ब्लड टेस्ट
  • बलगम की जांच
  • नाक या साइनस का एक्स रे या सीटी स्कैन करना
  • नाक की एंडोस्कोपी
  • गंभीर स्थिति में सीटी स्कैनिंग

यदि साइनसाइटिस का इलाज नहीं किया जाता है तो क्या होता है?

यदि साइनसाइटिस का सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो व्यक्ति को तब तक असुविधा और दर्द होने लगता है जब तक कि नाक पूरी तरह से साफ नहीं हो जाती। इससे मेनिन्जाइटिस, ब्रेन में फोड़ा या हड्डी का संक्रमण भी हो सकता है।

साइनस का इलाज कैसे किया जाता है? । Sinusitis Treatment

साइनाइटिस का इलाज सामान्य तौर पर इसके संक्रमण और लक्षणों के आधार पर किया जाता है। इसके इलाज की निम्न प्रक्रियाएं नीचे दी जा रही हैं:

  • नेजल इरिगेशन: नेजल इरिगेशन के जरिए बलगम को पतला किया जाता है, जिससे बलगम बाहर निकल जाता है।
  • नेजल स्प्रे: इलाज की इस प्रक्रिया में भी विशेष दवाओं को नाक में स्प्रे किया जाता है। इससे साइनस में जमा बलगम बाहर निकलने लगता।
  • डिकंजेस्टेन्ट मेडिसिन: साइनाइटिस के इलाज में इस प्रकार की दवाएं कम समय के लिए दी जाती हैं। इन दवाओं का इस्तेमाल करने से प्रेशर व दर्द को कम करने में मदद मिलती है।
  • एंटीबायोटिक: बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होने वाले साइनस संक्रमण को दूर करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
  • एंटी-हिस्टामाइन दवाएं: साइनस में एलर्जी के कारण होने वाले साइनोसाइटिस के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए एंटी-एलर्जिक दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं।
  • स्टेरॉयड: नेजल स्टेरॉयड की मदद से साइनस में हुई सूजन व लालिमा को कम किया जा सकता है।
  • साइनस सर्जरी: यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है। इसका इस्तेमाल साइनाइटिस की गंभीर स्थिति का इलाज करने में किया जाता है।

उपचार के लिए कौन योग्य है?

ऐसे लोग जिन्हें साइनस संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं वे इलाज करा सकते हैं। इसके लक्षणों को नजरअंदाज कई प्रकार की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

उपचार के लिए कौन पात्र नहीं है?

यदि आपको एंटीबायोटिक दवाओं से एलर्जी है, तो अपने डॉक्टर को बताएं, ताकि दवाओं का एक वैकल्पिक रूप आपके लिए सुझाया जा सके। यदि आप गर्भवती हैं या आपकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है, तो अपने डॉक्टर से उन दवाओं के प्रकार के बारे में सलाह लें जो आपको लेनी चाहिए क्योंकि सभी दवाएं आपके लिए उपयुक्त नहीं हो सकती हैं। इसके अलावा, एक बार में तीन दिनों से अधिक के लिए नाक के डिकॉन्गेस्टेंट का उपयोग न करें। इससे कई प्रकार की जटिलताएं हो सकती हैं।

साइनस संक्रमण और सामान्य सर्दी में क्या अंतर है? Difference between sinus infection and common cold

साइनस संक्रमण और सामान्य सर्दी कई मामलों में एक दूसरे से अलग है।

  • साइनस संक्रमण के कारण होने वाले कंजेशन में डिकंजेस्टेंट दवाएं अधिक प्रभावी नहीं होती हैं जबकि सामान्य सर्दी इन दवाओं के जरिए तुरंत ठीक हो जाती है।
  • साइनस संक्रमण के कारण साइनस में सूजन होती है। साइनस, नाक के आसपास की हड्डियों में खोखली गुहा होती है। वहीं, सामान्य सर्दी, वायरल संक्रमण के कारण होती है। इस स्थिति में ऊपरी श्वसन पथ नाक को प्रभावित करता है।
  • वायरस के कारण होने वाला साइनस संक्रमण राइनोवायरस, इन्फ्लूएंजा वायरस और पैराइन्फ्लुएंजा वायरस के कारण होता है। यह संक्रमण कई हफ्तों तक रह सकता है। वहीं, सामान्य सर्दी सिर्फ राइनोवायरस की वजह से होती है। यह कुछ दिनों में ठीक हो जाती है।
  • साइनस संक्रमण के लक्षण में आंखों से पानी आना, सिरदर्द, चेहरे का दर्द और साइनस में दबाव महसूस होना शामिल है। जबकि सामान्य सर्दी में छींक आना, नाक बहना, गले में खराश और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

साइनस उपचार के दुष्प्रभाव क्या हैं? Side effects of sinus treatment

साइनस के इलाज में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में कुछ लोगों को साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह इन दवाओं से होने वाली एलर्जी हो सकती है। यदि आपको एंटीबायोटिक दवाओं से किसी भी प्रकार की कोई एलर्जी है तो इन दवाओं का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर को एलर्जी के बारे में जरूर बताएं।

उपचार के बाद के दिशानिर्देश क्या हैं? Post treatment guidelines

साइनस संक्रमण के इलाज के दौरान कुछ प्रकार की एलर्जी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं। ऐसे में आपको इनके प्रति सावधान रहने की सलाह दी जाती है। ऐसे में आपको उन कारकों के बारे में जानने की आवश्यकता है जिनसे आपको एलर्जी है। साथ ही आपको उन खाद्य पदार्थों के बारे में पता होना चाहिए जो आपके लिए असुरक्षित हैं। इसके अलावा यदि आपको नाक संबंधी समस्याएं लगातार रहती हैं तो आपको ऐसे स्थान की आवश्यकता हो सकती है जहां धूल और ठंडा मौसम न हो।

ठीक होने में कितना समय लगता है? Recovery time

साइनस संक्रमण से ठीक होने की अवधि इसके संक्रमित होने के प्रकार, कारण और किए जा रहे इलाज के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। अधिक गंभीर स्थिति होने पर इसका इलाज लंबे समय तक चल सकता है। दवाओं के माध्यम से होने वाला उपचार बेहद आसान होता है और अधिकांश मामलों में मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन सर्जिकल प्रक्रियाओं में आपको अधिक समय लग सकता है।

भारत में उपचार की कीमत क्या है? Cost for treatment in India

भारत में साइनस के इलाज की कीमत इसके प्रकार पर निर्भर करती है। अधिकांश मामलों में इसका इलाज काउंटर दवाओं के जरिए किया जा सकता है। जिनमें नाक डिकॉन्गेस्टेंट, एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं शामिल हो सकती हैं। वहीं, साइनस की सर्जरी की बात करें तो इसकी कीमत आपके द्वारा चुने गए डॉक्टर, हॉस्पिटल और शहर के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। नाक की सर्जरी की शुरुआती कीमत 45000 रुपए हो सकती है। हालांकि इसकी कीमत में बदलाव हो सकता है।

स्थायी रूप से साइनस का इलाज कैसे करें? Cure sinus permanently

साइनस की समस्या आमतौर पर कुछ हफ्तों के बाद आपने आप ही ठीक हो जाती है। लेकिन गंभीर स्थितियों में इसे इलाज की आवश्यकता होती है। यदि आपको एलर्जी के कारणों का एहसास होता है तो आपको साइनस की समस्या बार-बार हो सकती है। हानिकारक कार्सिनोजेन्स के कारण आपको यह संक्रमण बार होता रहेगा। ऐसे में आपको यह सुनिश्चित करना है कि आप इस प्रकार के उत्पादों से दूर रहें।

साइनस के लिए निवारक उपाय क्या हैं? Preventive measures for sinus

ये ऐसे निवारक उपाय हैं जिन्हें साइनस के लिए लिया जा सकता है:

  • नेजल इरिगेशन: अगर आप साइनस से पीड़ित हैं तो आपको अपनी नाक को नमक वाले पानी से स्प्रे या वॉश का उपयोग कर नम रखना चाहिए।
  • दूरी बनाए रखें: संक्रमित लोगों से दूरी बनाकर रखें। यहि आप साइनस संक्रमण से ग्रसित लोगों से मिल रहे हैं तो अपने हाथ को साफ करते रहें।
  • उचित वेंटिलेशन: अपने घर में हवा आने के लिए पर्याप्त वेंटिलेशन रखें। बासी हवा साइनस की समस्या को बढ़ाती है।
  • हाइड्रेटेड रहें: यदि आप साइनस से पीड़ित हैं तो आपको हाइड्रेटेड रहना चाहिए और प्रति दिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए। पानी के अलावा फलों के रस को भी लिया जा सकता है। दरअसल तरल पदार्थ बलगम को पतला करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही आपको शराब और कैफीन से बचना चाहिए क्योंकि वे शरीर को निर्जलित करते हैं।
  • ऊर्जा संरक्षण: अपने शरीर को उचित आराम दें और कम से कम 8 घंटे की नींद लें। आराम करने से शरीर तेजी से ठीक होता है।
  • धूम्रपान न करें: सिगरेट और सिगार से दूर रहें। इनका सेवन करने से ये नाक मार्ग में जलन और सूजन पैदा कर सकते हैं।
  • एलर्जी का ध्यान रखें: अगर आपको एलर्जी का खतरा है तो उन चीजों से दूर रहें जो इसे ट्रिगर कर सकती हैं। सावधानी बरतें और अपनी एलर्जी को प्रबंधित करने का प्रयास करें।

साइनसाइटिस के घरेलू उपचार । Home Remedies for Sinus in Hindi

साइनस की समस्या से निजात पाने के लिए निम्न घरेलू नुस्ख़ों को अपनाया जा सकता है:

  • अदरक: अदरक का इस्तेमाल सदियों से सर्दी खांसी के इलाज में किया जा ता रहा है। इसमें बहुत से एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं। जो एलर्जी के लक्षणों को मजबूत करते हैं।
  • लहसुन और प्याज: साइनस से पीड़ित लोगों के लिए प्याज और लहसुन जड़ी-बूटी का काम करते हैं। यह शरीर में बनने वाले बलगम को खत्म करने और बलगम को शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं। प्याज में मौजूद सल्फर सर्दी, खांसी और साइनस के संक्रमण के लिए एंटी बैक्टिरियल का काम करता है।
  • खूब पानी पिएं: पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर साइनस की समस्याओं से बचा जा सकता है।
  • हल्दी वाला दूध: एक गिलास में एक चम्मच हल्दी का दूध और शहद मिलाकर पीने से साइनस की समस्या में आराम मिलता है।
  • काली मिर्च: साइनस में काली मिर्च का इस्तेमाल करने से सर्दी से राहत मिलती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए एक कटोरे सूप में एक छोटी चम्मच काली मिर्च पाउडर डालकर पीने से साइनस की सूजन कम होती है और बलगम सूख जाता है।
  • टी ट्री ऑयल: टी ट्री ऑयल में एंटीसेप्टिक, एंटी इंफ्लैमटोरी और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो कि साइनस के सिरदर्द को जड़ से खत्म करता है।
  • दालचीनी: साइनस पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों को दालचीनी नष्ट करने में मदद करती है। एक गिलास गरम पानी में एक छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से साइनस में आराम मिलता है।
  • तुलसी की चाय: साइनस की समस्या होने पर तुलसी की चाय पीने से सर्दी का जुकाम से आराम मिलता है।
  • नींबू: एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़ कर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से साइनस का दर्द दूर होता है। यह नाक की नली को भी साफ करता है।

साइनस उपचार के विकल्प क्या हैं? Sinus treatment options

साइनस के वैकल्पिक उपचार के रूप में, आप अपने आराम क्षेत्र में रहने के लिए हर्बल उपचार और घरेलू उपचार का विकल्प चुन सकते हैं। आप नियमित रूप से भाप ले सकते हैं, और आप गहरी साँस लेने के व्यायाम के लिए कोशिश कर सकते हैं। इसके अलावा, अपने आहार को बदलने से भी इसे ठीक किया जा सकता है।

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लेखकDr. Anjan Jyoti BhuyanMS - ENTEar-Nose-Throat (ENT)
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