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कम प्लेटलेट्स: उपचार, प्रक्रिया, लागत और साइड इफेक्ट्स | Low Platelets: Treatment, Procedure, Cost ‎And Side Effects‎

आखिरी अपडेट: Jul 08, 2023

लो प्लेटलेट काउंट क्या है? | low platelets count kya hai in hindi

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प्लेटलेट्स ब्लड सेल्स होते हैं जो ब्लड क्लॉटिंग में अहम भूमिका निभाते हैं। जब किसी व्यक्ति को चोट लगती है तो यह ब्लड सेल्स खून को बहने से रोकते हैं। एक वयस्क व्यक्ति के खून में प्लेटलेट्स की रेंज 150,000 से 450,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर होती है। जब प्लेटलेट्स काउंट 150,000 प्रति माइक्रोलीटर से घट जाता है तो इसे लो प्लेटलेट्स कहा जाता है। लो प्लेटलेट काउंट की समस्या को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के रूप में भी जाना जाता है।

इंसान के ब्लड के मुख्य चार भाग होते हैं। एरिथ्रोसाइट्स (रेड ब्लड सेल्स), ल्यूकोसाइट्स (वाइट ब्लड सेल्स), थ्रोम्बोसाइट्स (ब्लड प्लेटलेट्स) और प्लाज्मा। प्लाज्मा लिक्विड फॉर्म में होता है। ब्लड के अन्य तीन भाग प्लाज्मा के अंदर तैरते हैं। थ्रोम्बोसाइट्स मुख्य रूप से बाहरी और आंतरिक चोटों के कारण होने वाली ब्लीडिंग को रोकता है। ब्लड में प्लेटलेट्स की उपस्थिति के बिना ब्लड क्लॉट (रक्त का थक्का) बनना और घावों से होने वाली ब्लीडिंग रुकना असंभव है। यदि ब्लड में पर्याप्त प्लेटलेट्स नहीं हैं, तो ब्लड क्लॉटिंग नहीं हो सकती है।

लो प्लेटलेट काउंट के लक्षण | low platelet ke lakshan

  • मसूड़ों से खून बहना।
  • मल या मूत्र में खून आना।
  • मासिक धर्म में अधिक ब्लीडिंग होना।
  • खून की उल्टी होना।
  • मलाशय(रेक्टम) से ब्लीडिंग होना।
  • आंतरिक ब्लीडिंग होना।
  • लाल या बैंगनी रंग के डॉट्स के साथ रैशेस जिन्हें पेटीचिया कहते हैं।
  • लाल, भूरे या बैंगनी रंग के चोट के निशान जिन्हें पुरपुरा कहते हैं।
  • कुछ गंभीर लक्षण जैसे मस्तिष्क में ब्लीडिंग होना।

लो प्लेटलेट के कारण | low platelet ke karan

  • अप्लास्टिक एनीमिया
  • आयरन डेफिशियेंसी
  • विटामिन बी12 डेफिशियेंसी
  • फोलेट डेफिशियेंसी
  • ल्यूकेमिया
  • सिरोसिस
  • मायलोडायप्लासिया
  • शराब का अधिक सेवन
  • चिकन पॉक्स
  • एचआईवी वायरस
  • एपस्टीन-बार वायरस (मोनोन्यूक्लिओसिस यानी की चूमने से फैलने वाली बीमारी)
  • प्रेगनेंसी
  • हेमोलिटिक यूरीमिक सिंड्रोम (किडनी से संबधित बीमारी)
  • डिस्सेमिनेटेड इंट्रावैस्कुलर कोएगुलेशन (छोटी नसों में खून के छोटे-छोटे क्लॉट्स बनना)
  • हाइपरस्प्लेनिज्म
  • थ्रोम्बोटिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (पूरे शरीर की छोटी ब्लड वेसल्स में ब्लड क्लॉट्स जमना)
  • इडियोपैथिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा
  • खून में बैक्टीरियल इन्फेक्शन
  • चिकनपॉक्स, मम्प्स व रूबेला जैसी वायरस संबंधी बीमारियां
  • एड्स
  • कीमोथेरेपी

लो प्लेटलेट काउंट की जांच Low platelets ke test

  • ब्लड टेस्ट
  • बोन मैरो एस्पिरेशन
  • बायोप्सी
  • स्प्लीन की अल्ट्रासाउंड इमेजिंग
  • पुरानी चल रही दवाओं की जानकारी के आधार पर जांच (यदि कोई हो तो)
  • सामान्य लक्षण की जांच
  • आनुवंशिकता की जांच
  • रोगी के शरीर पर रैशेस और खरोंच की जांच

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लो प्लेटलेट्स का इलाज low platelets ka ilaj

  • लो प्लेटलेट के इलाज के दौरान इसकी समस्या के कारणों को ठीक किया जाता है। डॉक्टर प्लेटलेट कम होने के कारणों का पता लगाकर इसका इलाज शुरू कर सकते हैं।
  • यदि लो प्लेटलेट काउंट ज्यादा कम नहीं है तो डॉक्टर इसका कोई इलाज नहीं करते और स्थिति को अपने आप ठीक होने देते हैं। जबकि गंभीर स्थिति यानी की बहुत अधिक मात्रा में प्लेटलेट कम होने पर इसका इलाज किया जा सकता है।
  • किसी दवा के रिएक्शन या इम्यून सिस्टम की वजह से प्लेटलेट कम होने पर डॉक्टर कोर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids) जैसी कुछ दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं।
  • प्लेटलेट काफी कम होने पर डॉक्टर मरीज को खून व प्लेटलेट चढ़ाने की सलाह दे सकते हैं। कुछ गंभीर मामलों में डॉक्टर सर्जरी करने का निर्णय ले सकते हैं।
  • ऐसे मरीज जिनकी प्लेटलेट कम होती हैं उन्हें कम शराब पीने की सलाह दी जा सकती है। साथ ही प्लेटलेट काउंट पर विपरीत असर डालने वाली दवाओं के इस्तेमाल पर रोक और उन्हें बदलने की सलाह दी जा सकती है।
  • लो प्लेटलेट काउंट की अधिक गंभीर स्थिति जैसे ब्लड या प्लेटलेट का ट्रांस्फ्यूजन, प्लेटलेट एंटीबॉडी को रोकने के लिए इम्यून-ग्लोबुलिन, स्टेरॉयड और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का प्रबंधन या स्प्लीन (स्प्लेनेक्टोमी) सर्जरी की जा सकती है।

क्या लो प्लेटलेट्स अपने आप ठीक हो सकते हैं? Kya low platelets apne aap theek ho sakte hain

लो प्लेटलेट्स का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि खून में प्लेटलेट्स की संख्या किस हद तक कम हुई है। सामान्य स्थिति यानी कि जब प्लेटलेट काउंट बहुत कम (low) नहीं होता है, तो यह अपने आप मैनेज हो जाता है। जबकि प्लेटलेट बहुत कम (low) होने पर इसके इलाज की आवश्यकता होती है।

लो प्लेटलेट की गंभीर स्थितियां low platelets ki serious conditions

  • मसूड़ों से खून बहना
  • मल या मूत्र से खून आना
  • पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग होना
  • खून की उल्टी होना
  • गुदा से खून बहना
  • इंटरनल ब्लीडिंग होना
  • लाल या बैंगनी रंग के धब्बे दिखाई देना
  • लाल, भूरे या बैंगनी रंग के निशान दिखना
  • मस्तिष्क में ब्लीडिंग जैसी गंभीर स्थिति होना

उक्त सभी परिस्थितियों में मरीज को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इन स्थितियों में इलाज की बेहद जरूरत होती है।

इन कंडीशन में नहीं होती इलाज की जरूरत(In conditions mai nahi treatment ki zarurat)

ऐसे मरीज जिनमें ब्लड प्लेटलेट की रेंज 150,000 से 400,000 तक के बीच होती है उन्हें किसी भी प्रकार के इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। लो प्लेटलेट के हल्के लक्षण वाले रोगियों में कुछ समय बाद ही प्लेटलेट की संख्या बढ़ने लगती है।

कम प्लेटलेट के साइड इफेक्ट low platelets ke side effect

  • वजन बढ़ना
  • गाल में सूजन
  • बार-बार पेशाब आना
  • लो बोन डेंसिटी
  • मुंहासे
  • नींद की समस्या
  • कमजोरी
  • सिरदर्द
  • जी मिचलाना
  • बुखार
  • ठंड लगना
  • कमजोर इम्यून सिस्टम
  • उल्टी की इच्छा होना
  • रक्त के थक्के का जोखिम
  • मांसपेशियों में दर्द रहना

इलाज के बाद इन बातों का रखें ध्यान (ilaj ka baad rakhe in baato ka dhyan)

  • सब्जियों और फलों से युक्त स्वस्थ ‎आहार लें
  • कुनैन और एस्पार्टेम (quinine and aspartame) युक्त भोजन का सेवन न करें
  • शराब के अधिक ‎सेवन से बचें
  • जोखिम वाले खेलों या अन्य गतिविधियों से दूर रहें
  • एस्पिरिन और इबुप्रोफेन (aspirin and ibuprofen) जैसी दवाएं लेने से बचें

कम प्लेटलेट ठीक होने में कितना समय लगता है? Low platelets ki problem kitne din me theek ho jati hai

सामान्य से अधिक मात्रा में ब्लड प्लेटलेट कम होने पर इलाज की जरूरत होती है। इसका इलाज जांच के आधार पर और ब्लड प्लेटलेट के कम होने के कारणों पर निर्भर करता है। सफल इलाज होने के बाद ब्लड प्लेटलेट काउंट को सामान्य होने में एक सप्ताह का समय लग सकता है।

ब्लड प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के तरीके platelets count ko kaise badhaye

  • एलोवेरा का जूस लेने से प्लेटलेट काउंट ठीक होता है।
  • अश्वगंधा के इस्तेमाल से कम हुई प्लेटलेट बढ़ने लगती है।
  • फास्फोरस युक्त खुराक लेने से प्लेटलेट बढ़ती है।
  • पपीता के पत्ते का रस पीकर कम हुई प्लेटलेट को बढ़ाया जा सकता है।
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं के इस्तेमाल से ब्लड प्लेटलेट काउंट बढ़ता है।
  • विटामिन सी से भरपूर आहार ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • हेल्दी डाइट प्लेटलेट को कम होने से रोकती है।
  • नियमित व्यायाम से इसमें लाभ मिलता है।
  • तनाव को कम करने से ब्लड प्लेटलेट काउंट को बनाए रखने में मदद मिलती है।

ब्लड प्लेटलेट को कम होने से रोकने के तरीके Blood platelets ko kam karne se rokne ke tareeke

  • ऐसी एक्टिविटी से बचना चाहिए जिसमें त्वचा के कटने का जोखिम होता है।
  • शेविंग के लिए इलेक्ट्रिक रेजर का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • जूते पहनकर पैरों की सुरक्षा करनी चाहिए।
  • अल्कोहल-आधारित माउथवॉश के उपयोग से बचना चाहिए।
  • दांतों को ब्रश करने के लिए सॉफ्ट टूथब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए और डेंटल फ्लॉस से बचना चाहिए।
  • ज्यादा फिटिंग वाले कपड़े और ज्वेलरी पहनने से बचना चाहिए।
  • रक्त के थक्के को प्रभावित करने वाली दवाएं नहीं लेना चाहिए।
  • एस्पिरिन नहीं लेना चाहिए।

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लेखकDr. Atindra Nath Bagchi Diploma in CardiologyGeneral Physician
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