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हाइड्रोसील क्या होता है? लक्षण, कारण, परहेज और इलाज

आखिरी अपडेट: Jul 07, 2023

हाइड्रोसील क्या होता है?

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हाइड्रोसील पुरुषों को प्रभावित करने वाली एक सामान्य बीमारी है। इस स्थिति में अंडकोश में पानी भर जाता है। दूसरे शब्दों में समझे तो हाइड्रोसील अंडकोश में सूजन का एक प्रकार है। यह अंडकोष के आसपास द्रव की एक पतली लाइनिंग जमा होने के कारण होता है। यह समस्या आमतौर पर नवजात शिशुओं में देखने को मिलती है। हालांकि 40 साल की उम्र के बाद यह वयस्क पुरुषों को भी प्रभावित कर सकती है। थोड़े बड़े लड़कों और वयस्क पुरुष में अंडकोश में सूजन या चोट के कारण हाइड्रोसील को सकता है।

हाइड्रोसील आमतौर पर दर्दनाक या हानिकारक नहीं होता है और इसके लिए किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर आपको अंडकोश की सूजन है, तो डाक्टर से जरुर संपर्क करना चाहिए।

हाइड्रोसील के प्रकार ( Hydrocele Ke Prakaar)

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हाइड्रोसील के प्रकार नीचे दिए जा रहे हैं:

  • कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील: इस स्थिति में अंडकोश की थैली पूर्ण रूप से बंद नहीं होती। इसके कारण हाइड्रोसील, एब्डॉमिनकल कैविटी के तरल पदार्थ के साथ संपर्क में होता है। कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील, प्रोसेसस वेजिनेलिस के फेलियर के कारण होता है। प्रोसेसस वेजिनेलिस एक प्रकार की पतली झिल्ली होती है जो इनग्विनल कैनाल के अंदर से होती हुई अंडकोश तक फैली रहती है। इस झिल्ली के खुलने पर हर्निया और हाइड्रोसील दोनों विकार होने की संभावना होती है।
  • नॉन- कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील: इस स्थिति में अंडकोश की थैली बंद होने के बाद भी अंडकोश और उसके आसपास अतिरिक्त तरल पदार्थ जमने लगता है। इस प्रकार का हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में देखने को मिलता है जो समय के साथ ठीक हो जाता है। इसके लिए इलाज की आवश्यकता नहीं होती है।

हाइड्रोसील होने के लक्षण (Hydrocele Ke Lakshad)

हाइड्रोसील के लक्षण नीचे दिए जा रहे हैं।

  • चलने फिरने में परेशानी
  • उल्टी या दस्त आना
  • बुखार आना
  • कब्ज होना
  • अंडकोश में दर्द रहित सूजन रहना
  • सेक्स गतिविधियों में परेशानी होना
  • अंडकोश में भारीपन महसूस होना
  • अंडकोश का आकार बढ़ना

हाइड्रोसील होने के कारण (Hydrocele Hone Ke Kaaran)

हाइड्रोसील के निम्न कारण हो सकते हैं:

  • अंडकोश में चोट या सूजन के कारण
  • सिफलिस इंफेक्शन
  • एपिडीडिमिस का ट्यूबरक्लोसिस
  • हर्निया सर्जरी के कारण लगने वाली चोट या आघात
  • फाइलेरियासिस संक्रमण
  • मैलिग्नेंसी
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हाइड्रोसील का इलाज । Hydrocele ka Ilaj

यदि किसी नवजात शिशु को हाइड्रोसील है, तो यह लगभग एक वर्ष में अपने आप ठीक हो सकता है। किन्हीं कारणों से यदि बच्चे का हाइड्रोसील अपने आप ठीक नहीं होता है या बड़ा हो जाता है, तो इसे सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है। हाइड्रोसील का इलाज सर्जरी और नीडिल एसपिरेशन दो तरह से किया जा सकता है।

  • सर्जरी: हाइड्रोसील को हटाने के लिए सर्जरी एनेस्थीसिया के तहत की जाती है। इसे हाइड्रोसिलेक्टोमी कहते हैं। ज्यादातर मामलों में मरीज हाइड्रोसिलेक्टोमी के कुछ घंटों बाद ही घर जा सकता है। सर्जरी के दौरान अंडकोश या पेट (जहां हाइड्रोसील है) में एक छोटा सा कट बनाया जाता है और हाइड्रोसील को हटा दिया जाता है। इसके बाद सर्जन चीरे की साइट पर एक बड़ी ड्रेसिंग लगा देते हैं। सर्जरी के बाद कुछ दिनों के लिए मरीज को पेशाब के लिए ट्यूब ड्रेन की आवश्यकता हो सकती है।
  • नीडिल एसपिरेशन: इस प्रक्रिया में हाइड्रोसील को एक सुई की मदद से निकाला जाता है। अंडकोश में जमा तरल पदार्थ को बाहर निकालने के लिए सुई को थैली में डाला जाता है। नीडिल एस्पिरेशन का इस्तेमाल आमतौर पर उन लोगों पर किया जाता है जिन्हें सर्जरी के दौरान ज्यादा जोखिम होता है। नीडिल एसपिरेशन के कारण मरीज को अंडकोश में अस्थायी दर्द और संक्रमण का खतरा हो सकता है।

हाइड्रोसील के जोखिम और जटिलताएं I Hydrocele ke jokhim aur jatilataen

हाइड्रोसील के जोखिमों और जटिलताओं में निम्न शामिल हैं:

  • संक्रमण या ट्यूमर: हाइड्रोसील का समय पर इलाज न कराने से अंडकोश में संक्रमण या ट्यूमर विकसित हो सकता है। इससे शुक्राणु उत्पादन या अंडकोश के कार्य में परेशानी हो सकती है।
  • ग्रोइन हर्निया: एक ऐसी स्थिति जिसमें आंत या पाचन वसा एक नहर के माध्यम से पेल्विक एरिया में घुस जाता है।
  • वृषण मरोड़: इस स्थिति में अंडकोष में रक्त प्रवाह को कम हो जाता है। यदि इस स्थिति का इलाज नहीं किया जाता है, तो बांझपन और अंडकोश खराब होने की आशंका होती है।
  • ऑर्काइटिस (वृषणशोथ) और एपिडीडिमाइटिस: हाइड्रोसील की वृषण सूजन से एक और अंडकोश की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसे ऑर्काइटिस कहा जाता है। ऑर्काइटिस की विशेषता वृषण की सूजन है, यह स्थिति एपिडीडिमाइटिस का कारण बन सकती है।
  • वृषण का क्षय: यह एक ऐसी स्थिति जिसमें अंडकोश सिकुड़ जाते हैं।

हाइड्रोसील की बीमारी के दौरान आपका खान-पान I Aapki Diet Hydrocele Bimari ke Dooran

हाइड्रोसील की स्थिति में निम्न खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए:

  • ताजे फल: सेब, संतरा, आड़ू, अनानास और अंगूर जैसे फलों को अपने नियमित आहार में शामिल करें। इसके अलावा बिना किसी अतिरिक्त चीनी के घर पर बने ताजे फलों का सलाद और स्मूदी भी ले सकते हैं।
  • उबली हुई सब्जियां: अपने नियमित आहार में उबली हुई सब्जियों को शामिल करें। लंच और डिनर के समय एक कटोरी उबली हुई सब्जियां खा सकते हैं। इसके अलावा आप सलाद को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
  • हाइड्रेटेड रहना: खुद को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। हाइड्रोसील से पीड़ित लोगों के लिए हाइड्रेटेड रहना बहुत जरूरी होता है।
  • काली चाय और अदरक की चाय: हाइड्रोसील की स्थिति में काली चाय और अदरक की चाय दोनों फायदेमंद है। हाइड्रोसील से पीड़ित लोगों के लिए ब्लैक टी और अदरक की चाय फायदेमंद हो सकती है। हर दिन, अदरक की चाय का एक छोटा कप हाइड्रोसील के दर्द और सूजन को कम कर सकता है।
  • फाइबर युक्त आहार: अच्छे पाचन तंत्र के लिए रेशेदार भोजन बहुत जरूरी है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे गेहूं, जौ, राई, जई, मेथी, ज्वार और बाजरा आदि हाइड्रोसील के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
  • स्ट्रॉबेरी: हाइड्रोसील से पीड़ित लोगों को अपने आहार में एंटीऑक्सीडेंट शामिल करना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। स्ट्रॉबेरी और अन्य लाल और नारंगी रंग के फल समेत जामुन में हाई एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं। यह आपकी बॉडी को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है।

हाइड्रोसील होने पर इन चीजों से करें परहेज (Hydrocele hone par en cheezo se kare parhez)

हाइड्रोसील होने पर निम्न चीजों का सेवन करने से बचें:

  • प्रोसेस्ड फूड: प्रोसेस्ड फूड में अतिरिक्त नमक और चीनी होती है। प्रोसेस्ड फूड में मौजूद कृत्रिम तत्व भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। हाइड्रोसील से पीड़ित लोगों को प्रोसेस्ड फूड खाने से बचना चाहिए।
  • प्रीजर्व्ड फूड: हाइड्रोसील होने की स्थिति में प्रीजर्व्ड फूड लेने से बचने की सलाह दी जाती है। इनमें कई तरह के रसायन और आर्टिफिशियल प्रिजर्वेटिव होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकते हैं। इन प्रिजर्वेटिव के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। BHA और BHT दोनों सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले आर्टिफिशियल प्रिजर्वेटिव हैं। दोनों कार्सिनोजेनिक हैं।
  • जंक फूड्स: जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, फ्राइज से बचना बहुत जरुरी है। इनमें खनिज, विटामिन और फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है। जंक फूड अक्सर भारी होते हैं। इनमें बड़ी मात्रा में वसा होता है, जो मल त्यागने में बाधा डालता है। इससे कब्ज होता है जो हाइड्रोसील को बढ़ा सकता है।
  • मसालेदार और भारी भोजन: यदि आप हाइड्रोसील की बीमारी से पीड़ित हैं तो मसाले का सेवन कम करना चाहिए। आपको भारी और चिकने भोजन से भी बचना चाहिए। भारी और चिकना भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • अचार और कैफीन: हाइड्रोसील के रोगियों को कैफीन युक्त पेय और अचार से बचना चाहिए। अचार में नमक और तेल का अधिक सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा बड़ी मात्रा में कैफीन के सेवन से भी पाचन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

हाइड्रोसील होने पर क्या करें I Hydrocele Hone par kya kare

  • हाइड्रोसील से पीड़ित व्यक्ति को हल्के व्यायाम करना चाहिए।
  • हाइड्रोसील से पीड़ित व्यक्ति को योग आसन करने चाहिए।
  • करीब 45 मिनट तेज वॉक करें।
  • खाने पीने का ध्यान रखें
  • ध्रूमपान और शराब का सेवन न करें।
  • अंडकोष को बांधकर रखें।

हाइड्रोसील होने पर क्या ना करे I Hydrocele hone par kya Na Kare

हाइड्रोसील से पीड़ित लोगों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • हाइड्रोसील से पीड़ित व्यक्ति को भारी चीजें नहीं उठानी चाहिए इससे टेस्टिकल पर तनाव बढ़ता है।
  • हाइड्रोसील के रोगी को ऐसे व्यायाम नहीं करना चाहिए जिनसे स्क्रोटम या टेस्टिकल्स पर जोर पड़ता।
  • मल त्यागते या पेशाब करते समय ताकत नहीं लगाना चाहिए।
  • शाम या रात में अधिक भोजन नहीं करना चाहिए। खाने के बाद तुरंत सोने से भी बचें।
  • हाइड्रोसील के दौरान हल्दी को पानी के साथ पीसकर अंडकोष पर इसका लेप लगाने से सूजन खत्म हो जाती है।
  • हाइड्रोसील के आकार को बढ़ने से रोकने के लिए टेस्टिकल को बांधकर रखें।
  • हाइड्रोसील की रोकथाम के लिए मरीज को समय पर दवाई लेनी चाहिए।
  • यदि पीड़ित ने हाइड्रोसिलेक्टोमी सर्जरी कराई है तो उसे तुरंत यौन गतिविधियां नहीं करना चाहिए।
  • हाइड्रोसील का इलाज कराने के तुरंत बाद सामान्य गतिविधियों को न दोहराएं।

हाइड्रोसील को घर पर ठीक कैसे करे I Home Remedy for Hydrocele Treatment

हाइड्रोसील के लिए घरेलू उपाय नीचे दिए जा रहे हैं:

  • एप्सम सॉल्ट से स्नान करने से अंडकोश की दर्द रहित सूजन कम हो जाती है। इसके लिए एक निश्चित मात्रा में एप्सम नमक को गर्म पानी में मिला लें। इसके बाद अपने दोनों पैरों को फैलाकर 15-20 मिनट के लिए टब में आराम करें। इससे पानी और एप्सम नमक की गर्मी शरीर में मौजूद अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकाल सकती है। इससे सूजन कम हो सकती है। हाइड्रोसील में दर्द होने पर एप्सम बाथ ना करें।
  • हाइड्रोसील होने पर धैर्य रखें। अधिकांश मामलों में हाइड्रोसील बिना किसी इलाज के अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। अगर हाइड्रोसील दर्दनाक नहीं है, पेशाब या सेक्स के दौरान समस्या पैदा नहीं कर रहा है तो इसके इलाज की आवश्यकता नहीं है।
  • दो रत्ती सुहागा को फुलाकर रोज गुड़ के साथ कुछ सप्ताह तक खाने से हाइड्रोसील से होने वाले दर्द में आराम मिलता है। इससे सूजन भी कम होती है।
  • हल्दी के लेप को अंडकोष में लगाने से हाइड्रोसील के कारण होने वाली सूजन और दर्द दोनों में ही राहत मिलती है।
  • तंबाकू का पत्ता, छोटी अरनी का पत्ता, बागान की जड़, कटोरी की जड़, कालीमिर्च और जीरा के उपयोग से हाइड्रोसील का इलाज किया जा सकता है।
  • वचा और सरसों के पानी का इस्तेमाल करने से अंडकोष के बढ़ते हुए आकार को रोका जा सकता है।
  • अंडकोष को किसी भी प्रकारी की चोट न लगने दें। इससे हाइड्रोसील होने के चांस बढ़ जाते हैं।
  • कुश्ती, मार्शल आर्ट और साइकल चलाते समय पूरा ध्यान दें। अगर आप कोई गेम खेल रहे हैं जिसमें अंडकोष पर चोट लग सकती है तो गार्ड का इस्तेमाल करें।
  • सुरक्षित सेक्स करें। कंडोम का इस्तेमाल करें।
  • एसटीडी के जोखिम से बचें।

हाइड्रोसील के इलाज की लागत I Hydrocele ke Ilaaj ka Kharcha

हाइड्रोसील के इलाज की लागत बीमारी की गंभीरता के हिसाब से तय होती है। सामान्य तौर पर हाइड्रोसील के इलाज की लागत 25-85 हजार रुपए के बीच हो सकती है। इलाज का खर्च इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप किस अस्पताल और कितने अनुभवी डाक्टर से इलाज करा रहे हैं।

निष्कर्ष

हाइड्रोसील अंडकोश में सूजन का एक प्रकार है जो तब होता है जब द्रव एक अंडकोष के आसपास के पतली लाइनिंग में जमा हो जाता है। हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में आम समस्या होती है थोड़े बड़े लड़कों और वयस्क पुरुषो में अंडकोश में सूजन या चोट के कारण हाइड्रोसील की समस्या विकसित हो सकती है। इसके अलावा सिफलिस इंफेक्शन, हर्निया की सर्जरी के कारण लगने वाली चोट या आघात और फाइलेरियासिस संक्रमण जैसे तमाम कारण भी हाइड्रोसील का कारण बन सकते हैं।

बहुत छोटे बच्चो में होने वाला हाइड्रोसील एक साल के भीतर अपने आप ही खत्म हो जाता है। इसके कई घरेलू इलाज है पर फायदा ना होने पर चलने फिरने में परेशानी, उल्टी या दस्त आना, बुखार, कब्ज होना, चलने-फिरने के अलावा सेक्स गतिविधियों में भी दिक्कत होना शुरु हो जाती है। हाइड्रोसील होने पर खान पान का ध्यान रखने के साथ यह भी ध्यान रखना होता है कि पीड़ित कोई भारी चीज न उठाएं। कुछ ऐसा ना करें जिससे लोवर बॉडी पर असर पडे। जरुरत पड़े तो अंडकोष को बांधकर भी रखा जाता है। इसके अलावा स्पोर्ट्स साइकलिंग, क्रिकेट या किसी भी कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स में गार्ड्स पहना भी जरुरी है। यदि घरेलू आराम से इलाज ना मिले तो सर्जरी और नीडिल एस्पिरेशन का सहारा लिया जा सकता है। ये बहुत छोटी सी सर्जरी होती है और उसी दिन छुट्टी मिल जाती है। 5 दिन में व्यक्ति अपनी सामान्य गतिविधि पर आ जाता है पर यौन गतिविधियों के लिए डाक्टर से सलाह लेनी होती है।

Frequently Asked Questions (FAQs)

हाइड्रोसील क्या है?

हाइड्रोसील अंडकोश में सूजन का एक प्रकार है जो तब होता है जब द्रव एक अंडकोष के आसपास के पतली लाइनिंग में जमा हो जाता है।

हाइड्रोसील का सही इलाज क्या है?

हाइड्रीसील का सही इलाज उसमें स्थिति द्रव्य को बाहर निकलने से होता है। इसके कई तरीके हैं।

हाइड्रोसील बीमारी कैसे होता है?

हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में आम समस्या होती है थोड़े बड़े लड़कों और वयस्क पुरुष अंडकोश में सूजन या चोट के कारण हाइड्रोसील विकसित कर सकते हैं।

हाइड्रोसील बढ़ने से क्या नुकसान होता है?

इससे व्यक्ति के सामान्य जीवन पर असर पड़ता है चलने, दौडने, यौन संबंध आदि पर असर पड़ता है। यदि ठीक ना किया जाय तो ये नपुंसकता भी ला सकता है।

हाइड्रोसील में क्या क्या परहेज करना चाहिए?

शराब, सिगरेट, प्रोसेस्ड फूड, प्रिजर्व खाना, तैलीय खाद्य पदार्थ, कब्ज बनाने वाले खाने से परहेज करना चाहिए।

हाइड्रोसील बिना ऑपरेशन के कैसे ठीक करें?

हाइड्रोसील बिना आपरेशन के ठीक करने के कई उपाय हैं पर कुछ दिन में राहत ना मिले तो सर्जन से मिलना चाहिए।

घर में हाइड्रोसील का सबसे अच्छा इलाज क्या है?

पान के पत्ते पर हल्दी का लेप लगाने को लेकर दावा किया जाता है कि ये सबसे अच्छा इलाज है।

रेफरेंस

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लेखकDr. C.S. Ramachandran DNB (General Surgery),FICS,MBBS,MS - General Surgery,FCCP (USA)General Surgery
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