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बार बार पेशाब आना: कारण, लक्षण, उपचार, रोकथाम और इलाज — Frequent Urination in Hindi

आखिरी अपडेट: Jun 24, 2023

बार-बार पेशाब आना क्या है? । What is Frequent Urination In Hindi

बार-बार पेशाब आना (Frequent Urination) एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति को सामान्य से अधिक बार पेशाब करने की इच्छा होती है। सामान्य परिस्थितियों में एक व्यक्ति दिन में 4 से 8 बार यूरिन पास करता है। लेकिन जब कोई व्यक्ति दिन में 8 बार से ज्यादा बार यूरिन पास करता है या रात में कई बार उठकर पेशाब करने जाता है तो यह आमतौर पर बार-बार पेशाब आने (Frequent Urination) की समस्या की ओर इशारा करता है।

बार-बार पेशाब आने (Frequent Urination) का अनुभव करने वाले लोगों के लिए, पेशाब करने की इच्छा अक्सर अचानक होती है और यह इच्छा एक फुल ब्लैडर की भावना के साथ होती है। एक व्यक्ति को अपने मूत्राशय पर नियंत्रण खोने की भावना का भी अनुभव हो सकता है। बार-बार पेशाब आना आपकी सामान्य दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या पर भारी पड़ सकता है और आपके नींद के चक्र पर विपरीत असर डाल सकता है।

बार-बार पेशाब आना किस बात का संकेत है? Frequent Urination Risk Factors in Hindi

बार-बार पेशाब आना एक या अधिक अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति का संकेत हो सकता है। इन स्थितियों में शामिल हैं:

  • यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI): यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) बार-बार पेशाब आने के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। यह स्थिति तब होती है जब बैक्टीरिया मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) के माध्यम से मूत्राशय (ब्लैडर) पर अटैक करते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यूटीआई का खतरा अधिक होता है। दरअसल महिलाओं में मूत्रमार्ग काफी छोटे होते हैं जो बैक्टीरिया की यात्रा को आसान बनाते हैं और मूत्र पथ (यूरिनरी ट्रैक्ट) में संक्रमण का कारण बनते हैं।
  • ओवरएक्टिव ब्लैडर (OAB): ओवरएक्टिव ब्लैडर (OAB) एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लैडर की मांसपेशियों में अति सक्रियता के कारण ब्लैडर का संकुचन शामिल होता है। OAB के कारणों में चोट लगना, मल्टीपल स्केलेरोसिस या स्ट्रोक, महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी और वजन बढ़ना जैसी स्थितियां शामिल हैं।
  • डायबिटीज: बार-बार पेशाब आना आमतौर पर दोनों प्रकार की डायबिटीज (T1D और T2D दोनों) का संकेत हो सकता है। डायबिटीज, यूरिन के माध्यम से शरीर से अतिरिक्त या अनुपयोगी ग्लूकोज को बाहर निकालती है।
  • गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का आकार काफी बढ़ जाता है। गर्भाशय की यह वृद्धि, ब्लैडर पर दबाव डालती है। इससे बार-बार पेशाब करने की इच्छा होती है।
  • प्रोस्टेट की समस्याएं: जब एक बढ़ा हुआ प्रोस्टेट, यूरेथ्रा पर दबाव डालता है तो, पुरुषों को बार-बार पेशाब करने की इच्छा हो सकती है। दबाव, यूरिन के मार्ग को प्रतिबंधित कर सकता है और ब्लैडर की दीवारों में जलन पैदा कर सकता है। यह ब्लैडर को सिकुड़ने के लिए प्रेरित करता है, भले ही उसमें मूत्र का स्तर कम हो।

उपर्युक्त स्वास्थ्य स्थितियों के अलावा, बार-बार पेशाब आना तनाव या चिंता, मूत्रवर्धक का अधिक सेवन, ब्लैडर या किडनी में पथरी, इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस आदि का भी संकेत हो सकता है। कुछ मामलों में, यह यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई), मूत्राशय के कैंसर, कोलन डायवर्टीकुलिटिस और पेल्विक क्षेत्र में ट्यूमर आदि का भी संकेत हो सकता है।

प्रारंभिक गर्भावस्था में कितनी बार पेशाब आता है?

प्रारंभिक गर्भावस्था में बार-बार पेशाब आने के संबंध में कोई संख्या आधारित जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि यह सामान्य परिस्थितियों की तुलना में अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता के बारे में है। प्रारंभिक गर्भावस्था में बढ़ते समय गर्भाशय, ब्लैडर पर दबाव डालता है। गर्भाशय द्वारा डाला गया दबाव, ब्लैडर में संकुचन को ट्रिगर करता है। इसके परिणामस्वरूप प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता होती है। इसी तरह, गर्भावस्था के कारण होने वाले हार्मोनल परिवर्तन भी किडनी को सामान्य से अधिक मूत्र का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करते हैं।

क्या बार-बार पेशाब आना एनीमिया का संकेत है?

सिकल एनीमिया, किडनी के कार्य और यूरिन के कंसंट्रेशन को असंतुलित करता है जिससे बार-बार पेशाब आ सकती है।

बार-बार पेशाब आने के लक्षण क्या हैं? Symptoms of Frequent Urination in Hindi

बार-बार पेशाब करने के कुछ लक्षण नीचे दिए जा रहे हैं:

  • ब्लैडर पर ख़राब नियंत्रण
  • पेशाब करते समय दर्द या बेचैनी
  • निचली कमर का दर्द
  • नोक्टूरिया यानी रात में बार-बार पेशाब करने की इच्छा
  • बुखार
  • मतली
  • मूत्र में रक्त की उपस्थिति
  • भू और प्यास का बढ़ना
  • लिंग या योनि से डिस्चार्ज

बार-बार पेशाब आने का क्या कारण है? Causes of Frequent Urination in Hindi

शरीर से यूरिन के उत्पादन और निष्कासन से कई जैविक प्रक्रियाएं जुड़ी हुई हैं। इसलिए, कई कारक अधिक बार पेशाब करने की इच्छा को प्रभावित कर सकते हैं। बार-बार पेशाब आने के कुछ संभावित कारण हैं:

  • यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन
  • ओवरएक्टिव ब्लैडर सिंड्रोम
  • डायबिटीज
  • किडनी या ब्लैडर में पथरी
  • स्ट्रोक या न्यूरोलॉजिकल स्थितियां
  • कैफीन या अन्य मूत्रवर्धक का अधिक सेवन
  • इंटरस्टिशियल सिटिटिस
  • तनाव या चिंता
  • यौन संचारित संक्रमण
  • पेल्विक रीजन में ट्यूमर
  • ब्लैडर का कैंसर
  • रेडिएशन या कीमोथेरेपी का इतिहास

इनके अलावा कुछ ऐसी स्थितियां भी हैं जो पुरुषों और महिलाओं में बार-बार पेशाब आने (Frequent Urination) का कारण बन सकती हैं। बढ़े हुए प्रोस्टेट वाले पुरुषों में बार-बार पेशाब आने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि प्रोस्टेट द्वारा डाला गया दबाव, यूरिनरी ब्लैडर की दीवारों में जलन पैदा कर सकता है और संकुचन को उत्तेजित कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप बार-बार पेशाब आने का अहसास होता है। इसी तरह, गर्भावस्था से महिलाओं में गर्भाशय का विकास होता है जो अक्सर ब्लैडर पर दबाव डालता है और ब्लैडर को सिकुड़ने के लिए प्रेरित करता है।

क्या हर 2 घंटे में पेशाब करना सामान्य है?

अध्ययनों से पता चला है कि विटामिन डी की कमी से बार-बार पेशाब आता है। इसलिए डाइट या सप्लीमेंट के जरिए विटामिन डी का सेवन करना जरूरी है। हालाँकि, इसे कम मात्रा में लिया जाना चाहिए क्योंकि इसकी प्रचुरता बार-बार पेशाब आने के लक्षणों को खराब कर सकती है।:

  • उम्र
  • आप कितना पानी पीते हैं
  • दवाएं
  • डायबिटीज या यूटीआई जैसे मेडिकल डिसऑर्डर्स
  • ब्लैडर का साइज

क्या विटामिन की कमी से बार-बार पेशाब आता है?

अध्ययनों से पता चला है कि विटामिन डी की कमी से बार-बार पेशाब की शिकायत हो सकती है। इसलिए डाइट या सप्लीमेंट के जरिए विटामिन डी का सेवन करना जरूरी है। हालांकि, इसे कम मात्रा में लिया जाना चाहिए क्योंकि इसकी प्रचुरता बार-बार पेशाब आने के लक्षणों को खराब कर सकती है।

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बार-बार पेशाब आने का डायग्नोसिस क्या है? Diagnosis of frequent urination

डॉक्टर उपचार शुरू करने से पहले रोगी की मेडिकल हिस्ट्री का विस्तृत अध्ययन करेंगे। इसमें निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

  • यूरिन सैम्पल्स का फिजिकल एग्जामिनेशन
  • डिसऑर्डर की शुरुआत और अवधि
  • बार-बार पेशाब आने का पैटर्न
  • पानी या फ्लूइड का ओवरआल सेवन
  • दर्द, खुजली आदि के अन्य लक्षण
  • मरीज द्वारा ली जा रहीं दवाएं

बार-बार पेशाब आना परीक्षण (फ्रीक्वेंट यूरिनेशन टेस्ट्स):

इन टेस्ट्स में यूरिन के सैम्पल्स का रूटीन और कल्चर, किडनी की विसुअल इमेज के लिए अल्ट्रासाउंड, पेट का सीटी स्कैन (KUB- किडनी, यूट्रस और ब्लैडर), सिस्टोस्कोपी, किसी भी नर्व डिसऑर्डर का पता लगाने के लिए न्यूरोलॉजिकल टेस्ट और अन्य संबंधित एक्सामिनेशन्स शामिल हैं।

बार-बार पेशाब आने को रोकने का उपचार - Frequent Urination Treatment

बार-बार पेशाब आने का उपचार, अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है। डॉक्टर या विशेष रूप से मूत्र रोग विशेषज्ञ उपचार शुरू करने से पहले मूल कारण का पता लगाएंगे। इसने के लिए यूरिन सैम्पल्स के रूटीन और कल्चर टेस्ट्स किए जाते हैं।

स्थिति के आधार पर निम्नलिखित उपचार शामिल हो सकते हैं:

  • डायबिटीज के लिए: ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए दवाएं या उपचार
  • बैक्टीरियल संक्रमण के लिए: एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक जैसी दवाएं
  • ओवरएक्टिव ब्लैडर या यूरिनरी असंयम के लिए: ऐसी दवाएं जो मूत्राशय में मांसपेशियों की ऐंठन को नियंत्रित करती हैं

इनके अलावा इसके उपचार में डेरीफेनासिन (एनेबलेक्स), डेस्मोप्रेसिन एसीटेट (नोक्टिवा), इमीप्रामाइन (टोफ्रेनिल), मिराबेग्रोन (मायरबेट्रिक) और ऑक्सीब्यूटिनिन (डिट्रोपैन) जैसी दवाएं शामिल हो सकती हैं। डिसऑर्डर को दोबारा होने से रोकने के लिए दवाएं कम से कम दो सत्रों के लिए निर्धारित की जाती हैं।

एंटीबायोटिक्स दवाओं का उपयोग ई-कोलाई और बी-कोलाई जैसे बैक्टीरिया को मारने के लिए किया जाता है जो संक्रमण का कारण बनते हैं। जिसके परिणामस्वरूप दर्द और खुजली के अन्य लक्षणों के साथ बार-बार पेशाब की समस्या पैदा होती है। डॉक्टर डिसऑर्डर को रोकने के लिए जीवन शैली और भोजन की आदत में बदलाव की सिफारिश भी कर सकते हैं।

ब्लैडर रिटेनिंग मेथड भी इलाज की एक तकनीक हो सकती है। इस प्रक्रिया के दौरान बोटॉक्स नामक दवा को ब्लैडर की मांसपेशियों में इंजेक्ट किया जा सकता है जिससे मूत्राशय को आराम मिलता है और ब्लैडर की स्टोरेज करने की क्षमता बढ़ जाती है। इससे लीकेज की घटनाएं कम हो जाती हैं।

ओवरएक्टिव ब्लैडर के लिए उपचार में: पेशाब में देरी, डाइट मॉडिफिकेशन और फ्लूइड्स के सेवन की निगरानी में मदद करने के लिए, केगल्स या ब्लैडर को फिर से प्रशिक्षित करने के व्यायाम जैसे पैल्विक व्यायाम करना शामिल है। इसके अलावा, एक एंटीकोलिनर्जिक के रूप में जानी जाने वाली दवा का उपयोग किया जा सकता है। इनके अलावा, गंभीर यूरिन संबंधी समस्याओं के मामलों में, डिसऑर्डर की गंभीरता के आधार पर सर्जरी भी उपलब्ध है।

बार-बार पेशाब आने की समस्या के लिए सबसे अच्छी दवा कौन सी है? । Medicine for Frequent Urination In Hindi

कुछ दवाएं जो बार-बार पेशाब आने की समस्या का इलाज करने में मदद करती हैं:

  • डारिफेनासीन (एनब्लेक्स)
  • ऑक्सीब्यूटिनिन (डिट्रोपैन)
  • ट्रोस्पियम एक्सटेंडेड-रिलीज़ (सैंक्टुरा एक्सआर)
  • मिराबेग्रोन (मिरबेट्रिक)
  • सोलिफेनासीन (वेसिकेयर)
  • डेस्मोप्रेसिन एसीटेट (नोक्टिवा)
  • टोलटेरोडाइन एक्सटेंडेड-रिलीज़ (डेट्रॉल LA)
  • इमिप्रामाइन (टोफ्रेनिल)

क्या दवा का कोई भी दुष्प्रभाव हैं? Is there any side effect of medication?

बार-बार पेशाब आने के उपचार में लंबे समय तक दवाओं का इस्तेमाल करने से कई प्रकार के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। गंभीर मामलों में या जब रोगी बहुत लंबी अवधि के लिए दवा ले रहा होता है, तो शरीर उन दवाओं के प्रति रेसिस्टेंट हो सकता है और प्रतिक्रिया देना बंद कर सकता है। इसके अलावा मरीजों को मतली, सिरदर्द, उल्टी और भूख न लगना जैसे दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है।

इसके अलावा लंबे समय तक दवाएं शरीर के उचित ग्रोथ और विकास को भी बाधित करती हैं। यदि व्यक्ति को किसी विशेष दवा से एलर्जी नहीं है तो अल्पकालिक दवाएं दुष्प्रभाव का कारण नहीं बनती हैं।

उपचार के बाद दिशानिर्देश क्या हैं? Post treatment guidelines

उपचार के बाद मरीज को दवाओं का समय पर सेवन, उचित भोजन और फ्लूइड्स का सेवन बनाए रखने की सलाह दी जाती है। साथ ही आवश्यकतानुसार पेशाब करना और डॉक्टर की सलाह का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। डिसऑर्डर और अन्य संबंधित संक्रमणों की जांच के लिए, मेडिकल कोर्स के बाद शारीरिक जांच की जानी चाहिए। साथ ही, दवाओं के पूरा होने के बाद, समस्या को दोबारा होने से रोकने के लिए डॉक्टर से जांच कराने की सलाह दी जाती है।

ठीक होने में कितना समय लगता है?

उपचार की अवधि, डिसऑर्डर के मूल कारण पर निर्भर करती है। रोग के कारण के आधार पर, ठीक होने की अवधि अलग-अलग हो सकती है। हालांकि हल्के संक्रमण और समस्याओं के कारण होने वाली पेशाब की आवृत्ति को ठीक करने में अधिक समय नहीं लगता है। जबकि जटिल स्थितियों के लिए, इसे ठीक होने में आठ महीने या एक साल तक का समय लग सकता है।

भारत में इलाज की कीमत क्या है? Cost of treatment

बार-बार पेशाब आने की समस्या के उपचार के लिए आवश्यक लागत बहुत अधिक नहीं है। इसमें मुख्य रूप से परामर्श शुल्क शामिल होती है, जो विभिन्न डॉक्टरों के लिए अलग-अलग होता है, लेकिन आमतौर पर यह लगभग 600-रु से लेकर 800-रु तक हो सकती है। निर्धारित टेस्ट की कीमत, 1200 रुपये से 2000 रुपये के बीच हो सकती है। सर्जिकल ट्रीटमेंट के मामले में, मूल्य सीमा 15000 रुपये से 20000 रुपये तक हो सकती है।

क्या बार-बार पेशाब आने के उपचार के परिणाम स्थायी हैं? Are the results of frequent urination treatment permanent?

बार-बार पेशाब के उपचार के परिणाम आमतौर पर स्थायी और शीघ्र होते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में, यह कारण को समाप्त किए बिना रोगी को अस्थायी राहत प्रदान कर सकता है। यदि व्यक्तिगत स्वास्थ्य का ध्यान न रखा जाए तो बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। यदि दवाएं ठीक से नहीं ली जाती हैं या अन्य निर्देशों की उपेक्षा की जाती है, तो पोलक्यूरिया फिर दोबार अधिक जटिलताओं के साथ हो सकता है।

लगातार पेशाब को कैसे रोकें? Prevention of Frequent Urination

बार-बार पेशाब आने की समस्या को, अंतर्निहित कारणों को दूर करके हल किया जा सकता है। यदि जीवनशैली की आदतें जैसे फ्लूइड्स का अधिक सेवन, मूत्रवर्धक, कैफीनयुक्त पेय पदार्थ, शराब, निकोटीन और आर्टिफिशल स्वीटनर्स जिम्मेदार हैं, तो उनके सेवन की निगरानी और सीमित करने से बार-बार पेशाब आने से राहत मिल सकती है।

इसके अलावा यदि कोई अन्य चिकित्सा स्थिति के कारण यह समस्या हो रही है, तो उसके डायग्नोसिस के लिए एक चिकित्सक से परामर्श करने की आवश्यकता है।स्थिति का डायग्नोसिस होने के बाद, चिकित्सक एक उपयुक्त ट्रीटमेंट रेजिमेन निर्धारित करेगा।

रात में लगातार पेशाब को कैसे रोकें?

रात में बार-बार पेशाब आना जिसे नोक्टूरिया भी कहा जाता है एक ऐसी स्थिति है जिसे सोने से पहले पानी और अन्य तरल पदार्थों का सेवन कम करके रोका जा सकता है। ऐसे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के सेवन से बचें जो मूत्राशय की दीवारों में जलन पैदा कर सकते हैं। साथ ही रात में मूत्रवर्धक खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों का सेवन न करें।

बार-बार पेशाब आना स्वाभाविक रूप से कैसे रोकें? How to stop frequent urination naturally?

स्वाभाविक रूप से पेशाब की आवृत्ति को कम करने के लिए निम्न उपायों का पालन किया जा सकता है:

  • ब्लैडर ट्रेनिंग: यह एक ऐसा उपचार है जिसमें ब्लैडर को लंबे समय तक मूत्र बनाए रखने के लिए प्रशिक्षण देना शामिल है। प्रशिक्षण आमतौर पर 12 सप्ताह से अधिक का होता है। यह वॉशरूम की लगातार दो यात्राओं के बीच अंतराल की अवधि को बढ़ाने में मदद करता है।
  • फ्लूइड्स के सेवन की निगरानी: पानी और अन्य फ्लूइड्स का अधिक सेवन मूत्र उत्पादन को बढ़ा सकता है। इससे बार-बार पेशाब करने की जरूरत बढ़ जाती है। दिन भर में फ्लूइड्स के सेवन को नियंत्रित करने से मूत्र उत्पादन कम हो सकता है और वॉशरूम में जाने की संख्या सीमित हो सकती है।
  • केगेल व्यायाम: ये ऐसे व्यायाम हैं जो पैल्विक मांसपेशियों और यूरेथ्रा की ताकत में सुधार करते हैं। केगेल व्यायाम, बेहतर ब्लैडर कंट्रोल और कम अर्जेन्सी और पेशाब करने की आवृत्ति में कमी के साथ जुड़ा हुआ है। ये आमतौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए निर्धारित होते हैं। सर्वोत्तम परिणामों के लिए, इन अभ्यासों को नियमित रूप से दिन में कम से कम 3 से 4 बार करीब 8 महीने तक करना चाहिए।
  • बायोफीडबैक: यह एक ऐसी तकनीक है जो किसी व्यक्ति को पेल्विक की मांसपेशियों पर अपने नियंत्रण को बेहतर बनाने में सक्षम बनाती है। बायोफीडबैक आमतौर पर केगेल व्यायाम के साथ अभ्यास किया जाता है।
  • आहार परिवर्तन: इसमें खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के सेवन को कम करना शामिल है जो ब्लैडर की दीवारों या मूत्रवर्धक गुणों वाले लोगों को परेशान कर सकते हैं। चाय, कॉफी, शक्कर और कार्बोनेटेड पेय, चॉकलेट, शराब आदि कुछ खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों से बचना चाहिए। अधिक फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करें। उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ कब्ज को दूर करने में मदद कर सकते हैं जो ओवरएक्टिव ब्लैडर सिंड्रोम के पीछे एक प्रमुख कारण है।

उपचार के विकल्प क्या हैं? Options for treatment

यदि कोई गंभीर चिकित्सा स्थिति नहीं है जिसके लिए चिकित्सक द्वारा उपचार की आवश्यकता है, तो घरेलू उपचार द्वारा मूत्र आवृत्ति (यूरिनरी फ्रीक्वेंसी) को कम किया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण केगेल व्यायाम है जो पेल्विक और यूरेथ्रल की मांसपेशियों को मजबूत करता है और ब्लैडर को सपोर्ट करता है।

नियमित व्यायाम इन मांसपेशियों को टोन करने में मदद कर सकता है जो ब्लैडर पर नियंत्रण में सुधार करने में मदद करता है और मूत्र की तात्कालिकता और आवृत्ति (यूरिनरी अर्जेन्सी और फ्रीक्वेंसी) को भी कम करता है। थोड़ी देर के लिए स्वेच्छा से, ब्लैडर को मूत्र को होल्ड करके रखने से, रिटेंशन कैपेसिटी और फ्रीक्वेंसी को बढ़ाया जा सकता है

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक बार पेशाब करने की तीव्र इच्छा होने पर, उसे रोककर नहीं रखा जाना चाहिए। पेशाब रोकना, अन्य समस्याओं और संक्रमणों का कारण बन सकता है। फ्लूइड्स के सेवन की निगरानी और आहार में संशोधन भी बार-बार पेशाब आने को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकता है। साथ ही, पोलक्यूरिया को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार का उपयोग किया जा सकता है।

कौन से खाद्य पदार्थ बार-बार पेशाब आना बंद कर देते हैं? Food to stop frequent urination

बार-बार पेशाब आने से रोकने में मदद करने वाले खाद्य पदार्थ हैं:

  • फल: केला, अंगूर, सेब, तरबूज, स्ट्रॉबेरी, नारियल और ब्लैकबेरी का सेवन करके इस समस्या से निजात मिल सकती है।
  • सब्जियां: शतावरी (ऐस्पैरागस), मिर्च (पेप्पर), गाजर, खीरा, सेलेरी, ब्रोकोली, केल और लेटुस का सेवन करके बार-बार पेशाब की समस्या ठीक हो सकती है।
  • फाइबर से भरपूर आहार: दाल, आर्टिचोक, रसभरी, बादाम, बीन्स, चोकर, जौ और जई इस समस्या के इलाज में मदद कर सकते हैं।
  • प्रोटीन से भरपूर आहार: मछली, अंडे, टोफू और चिकन में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है। इससे यह रोग ठीक हो सकता है।

रेफरेंस

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लेखकDr. Rajeev Sarpal DNB - Urology/GenitoUrinary SurgeryUrology
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