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फिशर क्या होता है? लक्षण, कारण, परहेज और इलाज

आखिरी अपडेट: Feb 27, 2024

फिशर क्या है? । Anal Fissure in Hindi

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गुदा के अंदर की परत में दरार आने को गुदा का फिशर कहा जाता है।ये दरार उस जगह होती है जहां से आप मल त्याग करते हैं। गुदा में दरार या कट आ जाने के कारण मांसपेशियां खुल जाती हैं। मांसपेशियों में होने वाली क्षति के कारण उनमें ऐंठन और दर्द हो सकता है जिससे फिशर की दरारें और बढ़ जाती हैं।मांसपेशियों में स्पास्म यानी ऐंठन के कारण अत्यधिक दर्द होता है और घाव भरना कठिन हो जाता है। इसके अलावा मल त्याग करने के कारण फिशर आसानी से ठीक नहीं हो पाता।

फिशर के कारण आमतौर पर मल त्याग करने के दौरान मल के साथ ब्लड बाहर आ सकता है। फिशर छोटे बच्चों में बेहद आम समस्या होती है। लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकती है। फिशर की ज्यादातर समस्याएं खान-पान में बदलाव करके ठीक हो सकती हैं। हालांकि फिशर के कुछ मामलों में दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। वहीं, गंभीर स्थिति में इसे सर्जरी के जरिए ठीक किया जा सकता है। एनल फिशर कोई गंभीर बीमारी नहीं है। इसे डॉक्टरी इलाज के जरिए ठीक किया जा सकता है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान भी एनल फिशर होने की संभावना हो सकती है।

एनल फिशर के प्रकार । Types of Anal Fissure in Hindi

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एनल फिशर को दो प्रकार होते हैं। पहला एक्यूट फिशर और दूसरा क्रॉनिक फिशर

  • एक्यूट फिशर: इस प्रकार के फिशर में दिखने वाले कट काफी ताज़े और बारीक होते हैं। यदि फिशर हाल ही में या बीते 6 हफ्तों के अंदर हुआ है तो उसे एक्यूट माना जाता है। हालांकि यह जल्दी ठीक भी हो जाता है।
  • क्रॉनिक फिशर: क्रॉनिक फिशर में गुदा की परत में होने वाली दरारे या कट काफी गहरे होते हैं। इनमें अंदर या बाहर की तरफ टिश्यू विकसित हो सकते हैं।अगर फिशर 6 हफ्ते से अधिक पुराना है तो वह क्रॉनिक माना जाता है।

एनल फिशर के लक्षण । Anal Fissure Symptoms in Hindi

एनल फिशर होने पर निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं।

  • गुदा में हल्का या तेज़ दर्द होना। यह दर्द मल त्यागने दौरान बढ़ जाता है।
  • मल त्याग के बाद गुदा में ऐसा दर्द जो कई लम्बी अवधि तक बना रह सकता है।
  • मल त्याग के बाद पोंछने पर ब्लड दिखना।
  • गुदा के आसपास की त्वचा में दिखाई देने वाली दरारें दिखना।
  • गुदा के आसपास की त्वचा पर छोटी सी गांठ हो जाना।
  • गुदा में जलन या खुजली होना

एनल फिशर के कारण । Anal Fissure Causes in Hindi

गुदा का फिशर होने के कई कारण हो सकते हैं।आम कारणों की बात करें तो इनमें शामिल हैं-

  • कब्ज़ के कारण कठोर मल का त्याग करना
  • कब्ज़ के कारण मल त्याग करते वक्त अत्यधिक ज़ोर लगाना
  • लम्बे समय तक डायरिया या दस्त से पीड़ित होना
  • एनल सेक्स करना
  • गर्भावस्था या शिशु को जन्म देने के कारण
  • क्रोहन डिज़ीज़ या आंतों से संबंधित संक्रामक रोग

  • एनल कैंसर
  • एचआईवी के कारण
  • टीबी का रोग होने पर
  • सिफिलिस रोग होने के कारण
  • हाइपोथायरायड या मोटापे के कारण
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फिशर से बचने और रोकने के उपाय । Prevention Tips for Fissure in Hindi

एनल फिशर होने पर आपको फाइबर का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। इससे मल कठोर नहीं होगा और मल त्याग करते समय गुदा की दरारों पर कम ज़ोर पड़ेगा। यहां कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में बताया गया है जो एनल फिशर के रोगियों को फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

  • पपीता: पपीते में मौजूद एंज़ाइम्स पाचन में मदद करते हैं। इसमें मौजूद कार्सिरोल कब्ज़ को दूर करता है।
  • नींबू: नींबू में भरपूर विटामिन सी होता है जो त्वचा के लिए लाभदायक है। साथ ही ये शरीर को हाइड्रेट करता है जिससे कब्ज़ की समस्या नहीं हो पाती है।
  • केला: केले में फाइबर काफी अधिक होता है। यह आंतों के लिए अच्छा माना जाता है। केला कब्ज़ की समस्या भी दूर करता है।
  • ओट्स:ओट्स में उच्च फाइबर होता है जो मल में पानी की मात्रा बनाए रखता है और उसे कठोर होने से रोकता है।
  • हल्दी: इसके एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी बायोटिक गुण इसे हर तरह की चोट और संक्रमण के लिए कारगर बनाते हैं।
  • घी: आयुर्वेद में घी को फिशर के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे प्राकृतिक लैक्सेटिव भी माना जाता है।
  • हरी सब्ज़ियां और फल: हरी सब्जियों और फल में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है। इससे मल त्यागने में आसानी होती है।
  • साबुत अनाज और दूध: साबुत अनाज और दूध का सेवन करने से फिशर में आराम मिलता है।

फिशर होने पर इन चीजों से करें परहेज (Fissure hone par en cheezo se kare parhez)

गुदा के फिशर में जिन चीज़ों को खाने से परहेज़ करना चाहिए उनमें शामिल हैं-

  • मैदे से बनी खाद्य सामग्री

  • ज्यादा तेल औऱ मसाले वाला भोजन

  • जंक फूड

  • प्रोसेस्ड फूड

  • ऐसी कोई भी चीज़ जिसको खाने से कब्ज़ होने की आशंका हो।

फिशर होने पर क्या करे (Fissure Hone par kya kare)

अगर आपको फिशर होने की आशंका है तो सबसे पहले अपने खान पान पर ध्यान दें।

  • खाने में हरी सब्ज़ियां औऱ उच्च फाइबर वाली चीज़ों का प्रयोग करें। ऐसा करने से मल त्याग करने में आसानी होगी।

  • भरपूर पानी पिएं- इससे नियमित रूप से मल त्याग कर सकेंगे

  • मल त्याग करते समय ज्यादा ज़ोर ना लगाएं वरना समस्य़ा बढ़ सकती है।

  • कब्ज़ से बचने के लिए स्टूल सॉफ्टनर का प्रयोग करें।

 फिशर होने पर क्या ना करे (Fissure hone par kya Na Kare)

  • फिशर होने पर बाहर का तला भुना ,अधिक मसाले वाला भोजन ना खाएं।

  • मल त्याग के बाद गुदा को साफ करते समय अधिक दबाव ना डालें

  • अधिक देर तक कमोड पर ना बैठें

  • ऐसी चीज़ों से परहेज़ करें जो कब्ज़ का कारण बनती हों।

फिशर को घर पर ठीक कैसे करे (Home Remedy for Fissure  Treatment in Hindi)

फिशर के कुछ घरेलू उपचार भी हो सकते हैं जैसे-

सिट्ज़ बाथ

ये छोटे प्लास्टिक के टब होते हैं जो कमोड पर फिट हो जाते हैं।इसमें थोड़ा गर्म पानी भरें फिर उस पर बैठकर सिंकाई करें ।इसपर इस प्रकार बैठना है जिससे आपका गुदा क्षेत्र पानी में डूब जाए। लगभग 10 से 15 मिनट तक सिंकाई से आराम मिल सकता है। आप सामान्य टब में बैठकर भी सिंकाई कर सकते हैं।

फाइबर युक्त खाना

खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाने मल को बहुत सख्त होने और कब्ज पैदा करने से रोका जा सकता है। उच्च फाइबर खाद्य पदार्थों में चोकर, साबुत अनाज,फलियाँ, दलिया,अलसी , छोले आदि शामिल हैं।

फाइबर सप्लीमेंट्स - आप ऐसे पाइबर सप्लीमेंट्स ले सकते हैं जो मल त्याग करने तो आसान बनाते हैं। इनका सेवन करने से कब्ज़ की समस्या कम होती है और मल त्यागने में परेशानी नहीं होती।

लैक्सेटिव

अगर आपको लम्बे समय से कब्ज़ की समस्या है तो लैक्सेटिव लेने से आपको राहत मिल सकती है। इससे आप नियमित रूप से मल त्याग कर सकेंगे और फिशर के कारण गुदा पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा।

एनल फिशर का परीक्षण । Diagnosis of Anal Fissure in Hindi

एनल फिशर के इलाज के लिए डॉक्टर मरीज के फिजिकल टेस्ट करेंगे। चिकित्सक आपके फिशर से प्रभावित क्षेत्र यानी गुदा और उसके आसपास के क्षेत्र की दरारों को करीब से देखेंगे। इसके बाद कुछ और परीक्षण कराने की सलाह भी दे सकते हैं।

    एनोस्कोपी: एनोस्कोपी में रोगी की गुदा के अंदर एक पतला ट्यूब डाला जाता है। इस ट्यूब के ज़रिए चिकित्सक फिशर में आए कट या दरारों की स्थिति को जांचता है।

    फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी: इस प्रक्रिया में रोगी की गुदा में एक पतली, लचीलीट्यूब डाली जाती है जिसके सिरे पर कैमरा मौजूद होता है। इसे कोलन के निचले हिस्से में डाला जाता है।

    कोलोनोस्कोपी: कोलोन की जांच करने के लिए रेक्टम में एक ट्यूब डाली जाती है। यह ट्यूब फ्लेक्सिबल होती है। यह जांच 50 वर्ष से अधिक उम्र के पीड़ितों, या फिर पेट दर्द, दस्त जैसे लक्षणों अथवा पेट के कैंसर से पीड़ित लोगों में की जाती है।

दवाओं के ज़रिए इलाज

अगर आपको एक्यूट फिशर है तो दवाओं  के माध्यम से उसे नियंत्रित किया जा सकता है।इसके लिए चिकित्सक कुछ दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं जैसे-

नाइट्रो ग्लिसरीन: इसे गुदा के आसपास फिशर से प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जाता है। इससे फिशर के घाव का उपचार तेज़ी से हो सकता है। साथ ही यह एनल स्फ्लिंकटर को रिलैक्स करने में मदद करती है।हालांकि इसे इस्तेमाल करने से आपको तेज़ सिर दर्द की शिकायत हो सकती है।

टॉपिकल एनेस्थेटिक क्रीम: लाइडोकेन हाइड्रोक्लोराइड जैसी जवा के इस्तेमाल से दर्द में आराम मिल सकता है।

बोटूलिनम टॉक्सिन टाइप ए (बोटॉक्स) इंजेक्शन: इसको लगाने से अनल स्फ्लिंकटर की मांसपेशिया सुन्न पड़ जाती है और आसानी से रिलैक्स हो जाती हैं जिससे ऐंठन में राहत मिल सकती है।

ब्लड प्रेशर की दवाएं: आपके चिकित्सक आपको ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने की दवाएं दे सकते हैं। ये दवाएं भी एनल स्फ्लिंक्टर को रिलैक्स करने में मदद करते हैं।

सर्जरी के ज़रिए एनल फिशर का इलाज

अधितकर एक्यूट एनल फिशर में सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन अगर फिशर की समस्या पुरानी है तो इसका दवाओं से इलाज करना मुश्किल होता है।ऐसे में विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके लिए सर्जरी ही सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।

एनल फिशर सर्जरी की तैयारी

एनल फिशर की सर्जरी कराने जा रही रोगी से यह अपेक्षा की जाती है कि वो अपनी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पूरी जानकारी डाक्टर को देगा।

  • जैसे वो पहले से कौन से दवा ले रहा है

  • उसे ब्लड प्रेशर या शुगर जैसी बीमार तो नहीं है।

  • क्या वो धूम्रपान तो नहीं करता। ऐसी स्थित में उसे आपरेशन के दो हफ्ते पहले धूम्रपान बंद करना होगा।

  • अगर वो खून को पतला करने वाली कोई दवा जैसे एस्परिन ले रहा।

  • यदि ऐसा हुआ तो डाक्टर उसे आपरेशन से कुछ दिन पहले से दवा लेने से मना कर सकते हैं क्योंकि इन दवाओं से ब्लीडिंग का खतरा काफी बढ़ जाता है।

  • सर्जरी के समय से कम से 12 घंटे या फिर सर्जरी वाले दिन के एक रात पहले करीब आधी रात के बाद से रोगी को कुछ खाने पीन को नहीं दिया जाता है।

  • सर्जरी से पहले डॉक्टर एक रेचक नाम की दवा जो कोलन को खाली करने के लिए इस्तेमाल होती है उसे दे सकते है। या फिर एनीमा प्रक्रिया भी निर्देशित कर सकता है। 

  • सर्जरी के ज़रिए एनल स्फिंक्टर की मांसपेशियों को रिलैक्स करने की कोशिश की जाती है ।ऐसा करने से इन मांसपेशियों में होने वाला स्पास्म या ऐंठन कम होती है औऱ दर्द में कमी आती है।

लेटरल इंटरनल स्फिंकटेरोटोमी (एलआईएस)

एनल फिशर की सर्जरी में लेटरल इंटरनल स्फिंकटेरोटोमी (एलआईएस) नाम की प्रक्रिया करते हैं ।इसमें एनल स्फिंकटर की मांसपेशियों में से एक छोटा सा टुकड़ा काटकर हटा दिया जाता है।इससे गुदा के आसपास दर्द में कमी आती है। शोध बताते है कि पुराने फिशर के लिए सर्जरी किसी भी चिकित्सा उपचार की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी है। इसे दो तरीकों से किया जा सकता है।

ओपन स्फिंक्टरोटॉमी  और क्लोज्ड स्फिंक्टरोटॉमी

ओपन स्फिंक्टरोटॉमी  में की प्रक्रिया में सर्जन त्वचा  पर एक छोटा सा कट लगाते हैं जिससे वो स्फिंक्टर मसल्स को देख सकें। इस कट को आम तौर पर खुद से सूख कर ठीक होने के लिए छोड़ दिया जाता है। वहीं क्लोज्ड स्फिंक्टरोटॉमी में सर्जन त्वचा के अंदर एक ब्लेड ले जाते हैं जिसेस वो स्फिंक्टर मसल्स को ढूंढ सके और फिर उन्हें सर्जरी के दौरन काट देते हैं। इस प्रक्रिया की सबसे खराब बात ये है कि इसमें ज्यादातर पीड़ित का अपने पेशाब करने की वृत्ति पर नियंत्रण खत्म हो जाता है।

इन दो सर्जिकल विकल्पों के साथ ही फिशरेक्टॉमी  और एनल एडवांसमेंट प्लैप के विकल्प भी मौजूद हैं।

फिशर की सर्जरी के बाद आमतौर पर एक या दो हफ्तों के बीच रोगी सामान्य दिनचर्या में लौट सकता है। दफ्तर जाने वाले लोग इस अवधि के बाद आफिस जाना शुरु कर सकते हैं। हालांकि आपकी गुदा को पूरी तरह ठीक होने में 6 हफ्तों का समय लग सकता है।

लेजर सर्जरी

इस सर्जरी को लोकल एनेस्थीसिया के साथ किया जाता है।

सर्जरी के लिए  कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) लेजर का ज्यादातर प्रयोग होता है।

एक खास प्रभावित क्षेत्र पर लेजर फोकस करके एसका उपयोग किया जाता है।

ये ज्यादा कंट्रोल्ड प्रक्रिया है

सामान्य और परंपरागत तौर पर की जाने वाली सर्जरी के साथ ही अब एनल फिशल के लिए अब लेजर सर्जरी भी बहुत भी लोकप्रिय विकल्प के तौर पर उभर कर सामने आ रही है। लेजर सर्जरी की प्रक्रिया आधे घंटे के अदंर ही हो जाती है लेकिन यह बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली है। यह पूरी तरह से सुरक्षित भी है। सामान्य सर्जी में मरीज के आपरेशन के दौरान काफी बड़ा कट लगता है। इस कट के परिणाम स्वरूप बहुत ज्यादा खून निकलता है।

फिशर रोग को अच्छा करने के लिए खाने में क्या क्या खाना चाहिए? Diet to cure fissure

फिशर की सर्जरी के बाद इस बात का ख़ास ध्यान रखना जरूरी है की अपने खान-पान में ऐसी किन चीजों को शामिल करें जो आपकी हीलिंग में मदद करे। आइये जानते हैं:

  • फाइबर रिच डाइट: फाइबर से भरपूर आहार जैसे दलिया, सेब, केला आदि लेने से फिशर और तेजी से ठीक होता है। फिशर के मरीज को अपने आहार में 25 से 30 ग्राम फाइबर का सेवन जरूर करें।
  • गेहू का चोकर: फिशर के इलाज के बाद यह बहुत जरूरी है की आपका मल आसानी से पास हो। इसके लिए जरूरी है की आपको कब्ज़ की समस्या न हो। गेहू का चोकर आपको कब्ज़ की समस्या से दूर रखने का बेहतरीन नुस्खा है।
  • साइट्रस फ्रूट: नीम्बू और संतरे जैसे साइट्रस फ्रूट्स फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से रिच होते हैं। अपने खान-पान में इसको शामिल करने से फिशर के कारण होने वाली गुदा की सूजन कम होती है।
  • ज्यादा पानी पीना है जरूरी: पानी हमारे जीवन के लिए अमृत है और इसका अधिक से अधिक सेवन करने से बहुत से रोगों में फायदा मिलता है। पानी पीने से आपके शरीर की पाचन क्रिया अच्छी होती है और इससे फिशर के जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। आप जितना ज्यादा पानी पिएंगे, इलाज के बाद आप उतनी ही जल्दी फिशर से निज़ात पाएंगे।
  • हरी सब्जियां: फिशर ठीक होने में हरी सब्जियों का सेवन बहुत मददगार साबित होता है। हरी सब्जियों में पोषक तत्व होते हैं जो त्वचा की हीलिंग में फायदेमंद साबित होते हैं। फिशर की सर्जरी के बाद त्वचा की जल्दी हीलिंग के लिए हरी सब्ज़ियां अपने खाने की थाली में ज्यादा से ज्यादा शामिल करें।

ठीक होने के लक्षण

फिशर के सफल इलाज के बाद आपका यह जानना भी जरूरी है कि आपका इलाज ठीक हुआ है और आपकी बीमारी ठीक हो रही है।

आपका फिशर रिकवरी फेज में है या ठीक हो रहा है, इसके निम्नलिखित लक्षण हैं -

  • मल त्याग करते समय दर्द महसूस न होना
  • मल त्याग करने के बाद दर्द न होना
  • मल त्याग करने के बाद ब्लड लॉस न होना
  • गुदा में जलन या खुजली न होना
  • ब्लड के ड्रॉप्स न गिरना

इलाज का खर्चा (Fissure ke Ilaaj ka Kharcha)

भारत में फिशर का इलाज सर्जरी की लागत करीब 35 हज़ार से लेकर 50 हज़ार तक का खर्च आ सकता है। हालांकि किसी व्यक्ति के इलाज में कितना खर्च आएगा ये कई बातों पर निर्भर करता है। सबसे पहले तो ये कि आपकी समस्या का स्तर क्या है। अगर बीमारी गंभीर रूप ले चुकी है तो सर्जरी की लागत अधिक हो सकती है। इसके अलावा आप किस अस्पताल में और किस डॉक्टर से ये सर्जरी करा रहे हैं इसपर भी सर्जरी की लागत निर्भर करती है।

निष्कर्ष I Conclusion

एनल फिशर गुदा के अंदर की परत में दरारे या कट आने को कहते हैं। यह स्थिति काफी दर्दनाक होती है। इसमें हर बार मल त्याग करने पर दरारें बढ़ सकती हैं और उनमें स् रक्त स्राव हो सकता है। एनल फिशर दो प्रकार का होता है- एक्यूट और क्रॉनिक। 

अगर आपको फिशर की समस्या बीते 6 हफ्तों के अंदर ही हुई है तो यह एक्यूट फिशर है ।पर अगर आपकी समस्या 6 हफ्तों से अधिक पुरानी है तो य़ह क्रॉनिक फिशर कहलाता है। फिशर का घरेलू इलाज करने के लिए गर्म पानी की सिंकाई ,लैकसेटिव और फाइबर सप्लीमेंट लिए जा सकते हैं। 

इसके अलावा उच्च मात्रा में फाइबर वाला खाना खाने की सलाह दी जाती है। नियमित व्यायाम और भरपूर पानी पीना भी आवश्यक है। शुरुआती एनल फिशर को दवाओं के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।इसमें ऐसे ट्यूब और दवाएं दी जाती हैं जो एनल स्फिंकटर को रिलैक्स करें ।इसके अलावा क्रॉनिक एनल फिशर के लिए सर्जरी ही सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि इससे समस्या स्थायी रूप से ठीक हो सकती है।

Frequently Asked Questions (FAQs)

फिशर का मुख्य कारण क्या है?

तनावग्रस्त मल त्याग, सख्त और बड़े मल का पास होना और क्रोनिक दस्त गुदा विदर के कुछ मुख्य कारण हैं।

आप फिशर को कैसे ठीक करते हैं?

फाइबर का सेवन बढ़ाने, बहुत सारे तरल पदार्थ पीने और घरेलू उपचारों का सावधानीपूर्वक पालन करने से, गुदा विद को आसानी से ठीक किया जा सकता है जब तक कि वे क्रोनिक न हों।

फिशर के लिए सबसे अच्छी क्रीम कौन सी है?

लिडोकेन क्रीम, रिएक्टिव (नाइट्रोग्लिसरीन) और निफेडिपिन क्रीम गुदा विदर के लिए कुछ शीर्ष-निर्धारित क्रीम और ऑइंटमेंट हैं।

मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे बवासीर है या फिशर है?

देखा जाने वाला मुख्य अंतर यह है कि बवासीर में पूरे दिन दर्दनाक लक्षण दिखाई देते हैं, जबकि मल त्याग के दौरान फिशर के लक्षण विशेष रूप से दर्दनाक हो जाते हैं।

फिशर को ठीक करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?

सिट्ज़ बाथ दिन में तीन बार करना, दर्द और फिशर के लक्षणों को काफी तेजी से कम करने में कारगर साबित हुआ है।

क्या वैसलीन फिशर के लिए अच्छा है?

वैसलीन जैसी पेट्रोलियम जेली उस जगह को शांत कर सकती है और दर्द को कम कर सकती है, लेकिन किसी भी अध्ययन ने पूरी तरह से घावों को ठीक करने में वैसलीन की प्रभावशीलता नहीं दिखाई है।

मेरा फिशर ठीक क्यों नहीं हो रहा है?

इसका कारण यह हो सकता है कि स्फिंक्टर की मांसपेशी अत्यधिक तनावग्रस्त हो गई है कि लाइनिंग में ब्लो प्रवाह प्रभावी रूप से कम हो गया है, जिससे विदर(फिशर) ठीक नहीं हो रहा है।

आप फिशर होने पर कैसे बैठते हैं?

अगर आपको फिशर हैं तो बैठना काफी दर्दनाक हो सकता है। यह अनुशंसा की जाती है कि आप लकड़ी की कुर्सियों या पत्थर की बेंच जैसी कठोर सतहों पर न बैठें। कुशन पर बैठें। शौच करते समय, अपनी टॉयलेट सीट पर ज्यादा देर तक न बैठें क्योंकि इससे रक्तस्राव हो सकता है। लैक्सेटिव लेने से यह सुनिश्चित होगा कि आपके मल त्याग अधिक नियमित हैं।

क्या खुजली का मतलब है कि विदर ठीक हो रहा है?

जरूरी नहीं है कि खुजली, विदर फिशर के उपचार का संकेत देती है। जब आपका फिशर ठीक हो जाता है और फिर से खुलता है (आमतौर पर शौच के दौरान), तो यह खुजली को ट्रिगर कर सकता है।

फिशर के लिए कौन सा एंटीबायोटिक सबसे अच्छा है?

खुद से दवा लेना आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है, खासकर यदि आप अपने डॉक्टर से परामर्श किए बिना एंटीबायोटिक्स लेते हैं। अपने डॉक्टर को एंटीबायोटिक्स लिखने दें और इसकी डोज़, फिशर की स्थिति पर निर्भर करता है।

सर्जरी के बिना फिशर को स्थायी रूप से कैसे ठीक करें?

फल, ताजी सब्जियां और अन्य फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जो कब्ज को कम करने के लिए अच्छे हैं, समय पर दवाएं लेने से सर्जरी के बिना फिशर को कम करने में मदद मिल सकती है।

आप फिशर के दर्द को कैसे सुन्न कर सकते हैं?

लिडोकेन जैसी टॉपिकल दवाएं लगाने से फिशर के लक्षणों से जुड़े किसी भी दर्द को कुछ समय के लिए सुन्न किया जा सकता है। दवा बंद होने के बाद, दर्द धीरे-धीरे वापस आ जाएगा। दर्द को सुन्न रहने के लिए दवा को नियमित अंतराल पर लगाने की आवश्यकता होती है।

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लेखकDr. Pankaj Verma ACLS,POST GRADUATE COURSE IN RHEUMATOLOGY,Fellowship in Diabetes,MBBS,Post Graduate Course In Rheumatology,MD - Medicine,Masters in Psychotherapy and CounsellingInternal Medicine
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Reviewed ByDr. Bhupindera Jaswant SinghMD - Consultant PhysicianGeneral Physician
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